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दिल्ली से सटे हरियाणा की इन सीटों के MLA बन सकते हैं मंत्री, राव-गुर्जर की भूमिका रहेगी अहम

मनोहर लाल आज मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। उनके साथ कुछ मंत्रियों भी शपथ ले सकते हैं। दिल्ली से सटी सीटों के कुछ विधायकों के नाम भी चर्चा में है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 27 Oct 2019 09:31 AM (IST)Updated: Sun, 27 Oct 2019 09:31 AM (IST)
दिल्ली से सटे हरियाणा की इन सीटों के MLA बन सकते हैं मंत्री, राव-गुर्जर की भूमिका रहेगी अहम
दिल्ली से सटे हरियाणा की इन सीटों के MLA बन सकते हैं मंत्री, राव-गुर्जर की भूमिका रहेगी अहम

फरीदाबाद/पलवल [बिजेंद्र बंसल/संजय मंगू]। दक्षिण हरियाणा के लिए विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे से लेकर अब मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले विधायकों के नाम तय करने में भी केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर और राव इंद्रजीत सिंह की अहम भूमिका रहेगी। इस बार विधानसभा चुनाव में राव के प्रत्याशी रेवाड़ी और गुरुग्राम की सीट हार गए तो नूंह जिले की तीनों मेवाती सीट भी वे लोकसभा चुनाव की तर्ज पर छू नहीं पाए।

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इसके चलते उनकी स्थिति अब उतनी तो सशक्त नहीं रहेगी, बावजूद इसके पार्टी मंत्रियों के नाम तय करते समय राव की मर्जी जरूर पूछेगी। यह अलग बात है कि इस बार मुख्यमंत्री मनोहर लाल अहीरवाल से नाम व काम के आधार पर अपने विश्वस्त व लगातार दूसरी बार नांगल चौधरी से चुनाव जीतने वाले डॉ.अभय सिंह यादव को मंत्रिमंडल में शामिल कर लें क्योंकि एक अहीर चेहरा मंत्रिमंडल में जरूर लिया जाना है।

हालांकि सूत्र बताते हैं कि राव इंद्रजीत सिंह, डॉ. अभय सिंह के नाम का पुरजोर विरोध करेंगे। पार्टी सूत्र यह भी बता रहे हैं कि इस बार पार्टी नेता राव से उनकी मर्जी जरूर पूछेंगे मगर उनकी हर बात मान ली जाए, यह एकदम जरूरी नहीं है।

कृष्णपाल गुर्जर का कद बढ़ा

2014 के चुनाव की तुलना में राव इंद्रजीत सिंह की तुलना में फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र से केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर का वजन बढ़ा है। गुर्जर के क्षेत्र में भाजपा ने 2014 में नौ में से महज तीन सीटें जीती थीं मगर इस बार जीत का यह आंकड़ा सात पर पहुंच गया है। दोगुना से भी ज्यादा। जिन दो सीटों पर भाजपा हारी है, उनमें से एक सीट पर भाजपा का बागी उम्मीदवार जीता है।

पार्टी सूत्रों के अनुसार, यदि पृथला से जीते निर्दलीय नयनपाल रावत को मंत्री नहीं बनाया गया तो फिर गुर्जर अपनी पसंद से जगदीश नायर या सीमा त्रिखा का नाम दे सकते हैं। गुर्जर नहीं चाहेंगे कि उनके परंपरागत विधानसभा क्षेत्र तिगांव से राजेश नागर मंत्री बनें। हालांकि राजेश नागर को बड़ा नेता बनाने का वायदा खुद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह कर चुके हैं। गुर्जर इस लॉ¨बग में जुटे हुए हैं कि फरीदाबाद से सिर्फ जगदीश नायर या सीमा त्रिखा ही मंत्री बनें।

गुजर्र ने दिखाया सात का दम

प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा को भले ही वह आशातीत सफलता नहीं मिली, लेकिन फरीदाबाद संसदीय क्षेत्र के नौ में से सात विधानसभा सीटों पर कमल खिलाकर केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने खुद को कुशल सारथी साबित कर दिया है। विधानसभा चुनाव के दौरान गुर्जर ने जिस प्रकार की रणनीति के तहत काम किया, उसके बाद वह संगठन में अपने लिए अलग मुकाम भी तय कर गए।

विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद फरीदाबाद संसदीय क्षेत्र में आने वाले फरीदाबाद व पलवल जिले ही ऐसे थे जहां पहले यह कयास लगाए जा रहे थे कि यहां के चुनाव परिणाम भाजपा की राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं।

फरीदाबाद में उद्योग मंत्री विपुल गोयल की टिकट काटने और फरीदाबाद, एनआइटी, पृथला, होडल व हथीन विधानसभा क्षेत्रों में चेहरे बदलने के बाद बगावत की सुगबुगाहट भी सुनने को मिली थी। यह गुर्जर का रण कौशल ही कहा जाएगा कि पृथला को छोड़कर शेष किसी भी सीट पर कोई बगावत नहीं हुई। सभी सीटों पर दावेदारों ने प्रत्याशियों के साथ कदमताल की। बड़खल, तिगांव, पलवल, होडल व हथीन में गुर्जर फैक्टर पूरी तरह प्रभावी रहा।

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