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Haryana Election 2020: दो केंद्रीय मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर, परिणाम से तय होगा सियासी कद

विधानसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और कृष्ण पाल गुर्जर की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 03:14 PM (IST)Updated: Sun, 13 Oct 2019 03:14 PM (IST)
Haryana Election 2020: दो केंद्रीय मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर, परिणाम से तय होगा सियासी कद
Haryana Election 2020: दो केंद्रीय मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर, परिणाम से तय होगा सियासी कद

रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। विधानसभा चुनावों में कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। चुनाव परिणाम से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह व कृष्णपाल गुर्जर की अपने-अपने क्षेत्र में राजनीतिक पकड़ की मजबूती का भी पता चलेगा। भाजपा ने इस बार राव व गुर्जर की पसंद को खास तवच्जो दी है। कई अन्य सांसदों को भी इस बार टिकट वितरण में सम्मान दिया गया है। कुछ नेताओं के विरोध के बावजूद चौ. बीरेंद्र सिंह को भी अहमियत मिली है। अब इन नेताओं के सामने पार्टी के सहारे के साथ खुद को भी साबित करने की चुनौती है।

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प्रदेश के कई विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां टिकट वितरण में प्रादेशिक नेतृत्व की संस्तुति से अलग हटकर भी फैसले हुए हैं। हालांकि अहीरवाल व फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र में एक-एक भाजपा उम्मीदवार ऐसे हैं, जिनसे केंद्रीय मंत्रियों का याराना नहीं है। इन सीटों पर सभी की नजर है। राव को इस बार अपने समर्थकों के लिए नारनौल, बावल व रेवाड़ी विधानसभा सीट तो मिली ही है, अटेली व कोसली में उनकी इच्छा का सम्मान किया गया है।

कृष्णपाल गुर्जर के पसंद के उम्मीदवार

इसी तरह फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र में कृष्णपाल गुर्जर को भी लगभग आधा दर्जन सीटों पर सम्मान दिया गया है। राव अपनी बेटी आरती व गुर्जर अपने बेटे के लिए टिकट चाह रहे थे, परंतु उनके परिवार में सीट न देकर समर्थकों को इनाम दिया गया है। अब इन समर्थकों को जीत दिलवाने का भार पार्टी के साथ-साथ इनके कंधों पर भी है।

हार-जीत से तय होगा सियासी कद

आमतौर पर उम्मीदवार तय करने में मुख्यमंत्री, प्रदेश प्रभारी, प्रदेशाध्यक्ष व संगठन मंत्री का विशेष योगदान रहता आया है। इस बार कुछ मामलों में प्रादेशिक नेतृत्व की संस्तुति से अलग हटकर भी कुछ विस क्षेत्रों के फैसले हुए हैं। हालांकि इन सीटों की संख्या अधिक नहीं है, लेकिन सांसदों को मूंछों पर मरोड़ी लगाने का मौका देकर पार्टी ने जीत सुनिश्चित करने का जिम्मा भी इनके कंधों पर डाला है।

यही वजह है कि अब उन सभी सीटों पर केंद्रीय मंत्रियों व सांसदों की सक्रियता बढ़ चुकी है, जिन सीटों की जीत उनकी मूंछ ऊंची करेगी। जिद करके ली गई सीट पर हार की स्थिति में मूंछ नीची होना तय है। अब यह परिणाम तय करेगा कि किस विधानसभा सीट पर किस सांसद की मूंछ ऊंची होती है। मतदाता के मन की बात 24 अक्टूबर को प्रकट होगी। बता दें कि विधानसभा चुनाव के लिए 21 अक्टूबर को वोटिंग होगी। 

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