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Haryana Assembly Election: ओपी चौटाला की इस रणनीति से कई दिग्गज हो गए थे धराशायी

मुख्य राजनीतिक दलों ने 2000 के विधानसभा चुनाव में मलिक गोत्र के मतदाताओं को साधने के लिए इसी गोत्र के नेताओं को मैदान में उतारा।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 17 Sep 2019 04:33 PM (IST)Updated: Tue, 17 Sep 2019 05:43 PM (IST)
Haryana Assembly Election: ओपी चौटाला की इस रणनीति से कई दिग्गज हो गए थे धराशायी
Haryana Assembly Election: ओपी चौटाला की इस रणनीति से कई दिग्गज हो गए थे धराशायी

गोहाना (सोनीपत) [परमजीत सिंह]। राजनीति के मैदान में कुछ भी संभव है। इस मैदान में दिग्गज हार जाते हैं, सामान्य कार्यकर्ता भी विधानसभा में पहुंच जाता है। सन 2000 की बात है। विधानसभा चुनाव चल रहे थे। मलिक बहुल गोहाना सीट पर कई (मलिक) दिग्गज मैदान में थे। इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने गैर जाट का कार्ड खेलते हुए पार्टी के सामान्य कार्यकर्ता डॉ. रामकुमार सैनी को टिकट दे दिया। जब चुनाव परिणाम सामने आया तो सब हैरान रह गए। इस चुनाव में डॉ. सैनी दिग्गजों को पटकनी देते हुए विधानसभा पहुंच गए थे।

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गोहाना विधानसभा क्षेत्र में मलिक गोत्र के लोगों के कई गांव हैं। मुख्य राजनीतिक दलों ने 2000 के विधानसभा

चुनाव में मलिक गोत्र के मतदाताओं को साधने के लिए इसी गोत्र के नेताओं को मैदान में उतारा। कांग्रेस ने दो बार सांसद रह चुके धर्मपाल सिंह मलिक को मैदान में उतारा था।

हरियाणा विकास पार्टी ने पूर्व मंत्री जगबीर सिंह मलिक को टिकट दिया था। इसके साथ ही दो बार निर्दलीय विधायक बन चुके किताब सिंह मलिक, महेंद्र सिंह मलिक व सतबीर सिंह भी निर्दलीय मैदान में आ गए। इन पांचों मलिक दिग्गजों की क्षेत्र में अच्छी पहचान है।

इनेलो सुप्रीमो ने जाट बहुल इस सीट पर गैर जाट का कार्ड खेलते हुए अपनी पार्टी के सामान्य कार्यकर्ता डॉ. रामकुमार सैनी को टिकट दे दिया। उस समय सबको लग रहा था कि कोई मलिक ही बाजी मारेगा। लेकिन, चुनाव सैनी जीते। उन्हें 23059 वोट मिले। जगबीर सिंह मलिक 13601 वोट लेकर दूसरे और धर्मपाल सिंह मलिक 12185 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे।

मरीजों के उपचार में व्यस्त थे सैनी

वर्ष 2000 में संचार के संसाधनों की कमी थी। इनेलो ने गोहाना सीट से डॉ. रामकुमार सैनी के टिकट की घोषणा कर दी। डॉ. सैनी को पहले से इस बारे में कुछ पता ही नहीं था। वह गांव धनाना में उस समय क्लीनिक चलाते थे। वह मरीजों के उपचार में व्यस्त थे।

देर शाम पार्टी का एक कार्यकर्ता उनके पास पहुंचा। उसने बताया कि आपको टिकट मिला है। डॉ. सैनी को कार्यकर्ता की बात पर विश्वास नहीं हुआ। डॉ. सैनी ने सोचा उनके साथ कार्यकर्ता मजाक कर रहा है। करीब एक घंटे बाद उनके पास आधिकारिक संदेश पहुंचा तो डॉ. सैनी टिकट मिलने पर अचंभित रह गए थे।

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