केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत ने बताया राजनीति में 'भेड़िये' का मतलब, यहां पढ़िए- पूरा इंटरव्यू
सोशल मीडिया पर कभी केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के कांग्रेस से हाथ मिलाने की चर्चा चली तो कभी उनके बागी तेवर को लेकर कुछ नई कहानियां सामने आई। पढ़िए- पूरा इंटरव्यू।
रेवाड़ी, जेएनएन। टिकट वितरण से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का राजनीतिक कद बढ़ा है, परंतु इससे पहले आई खबरों ने कई तरह की चर्चाओं को जन्म दिया। सोशल मीडिया पर कभी राव के कांग्रेस से हाथ मिलाने की चर्चा चली तो कभी उनके बागी तेवर को लेकर कुछ नई कहानियां सामने आई। कभी मनोहर से नाराजगी की बातें बाहर आई तो कभी दिल्ली के राव को आंख दिखाने की। दैनिक जागरण के वरिष्ठ मुख्य संवाददाता महेश कुमार वैद्य ने दक्षिण हरियाणा की कई विधानसभा सीटों पर प्रभाव रखने वाले राव इंद्रजीत सिंह से बातचीत के दौरान कई खट्टे-मीठे सवाल किए। प्रस्तुत है बातचीत के मुख्य अंश-
अब तो टिकट वितरण हो चुका है। सुना है टिकट वितरण से पूर्व आप भाजपा से बगावत करके कांग्रेस में जाने की तैयारी कर चुके थे?
-कांग्रेस में जाने की बातें मेरे विरोधी उड़ाते रहते हैं। मैंने बगावत करके कांग्रेस में जाने की बात कभी नहीं सोची। समर्थकों को अधिक से अधिक टिकट दिलवाने के लिए प्रयास करना बगावत नहीं है।
अगर सब कुछ ठीक होता तो 12 टिकटें घोषित करने में देरी क्यों होती? सुना है आप नाराज होकर हिमाचल के कसौली में जाकर बैठ गए थे?
-दो दिन कसौली में रुकने का मतलब नाराज होना क्यों माना जा रहा है? हक मांगना और नाराज होना अलग-अलग बात है। जब प्रदेश में नहीं सुनी गई तब मैंने दिल्ली में अपनी बात रखी। दिल्ली ने मेरी बात सुनी। दिल्ली के निर्देशों पर राज्य इकाई ने भी हमारी बात मानी। आखिर यह तो एक चेन है। मैं ऊपर तक अपनी बात मजबूती से रखने की हिम्मत रखता हूं। इसमें अनुशासनहीनता या नाराजगी कहां है।
बेटी आरती की टिकट को लेकर आपकी जिद थी न? क्या अब भी मलाल है?
- बेटी आरती की टिकट का मसला तो पहले ही स्पष्ट हो गया था। मेरी यह शिकायत अवश्य थी और मेरा तर्क आज भी स्टैंड करता है कि जब किसी अन्य नेता के परिवार के सदस्य को टिकट मिल सकती है तो इंद्रजीत सिंह के परिवार को क्यों नहीं, लेकिन अब ये सभी बातें अतीत हो चुकी है। पार्टी ने हमारी इच्छा का सम्मान किया है। हमारे कई समर्थकों को टिकट दिया गया है।
आप बार-बार भेड़ियों से लड़ने की बात कर रहे थे। कहा जा रहा है कि इस बार आपने अपने तमाम विरोधियों की टिकटें कटवा दी हैं। क्या आपके विरोध में होने का मतलब किसी का भेड़िया होना हो जाता है?
-मैं किसी के विरोध और खिलाफ की बात नहीं कर रहा। मैं पार्टी का सिपाही हूं। जब हम पार्टी के हो गए तब पार्टी हमारी भी है। भेड़ियों से लड़ना मेरा कर्तव्य है। मैंने अपना कर्तव्य निभाया है। मेरे लिए ऐसे लोग भेड़िये हैं जो पार्टी की लहर देखकर बहती गंगा में हाथ धोना चाहते थे।
कुछ महीने पूर्व तक मुख्यमंत्री से आपको शिकायत रही, लेकिन अब कुछ महीनों से मामला सही चल रहा था। जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान भी आप साथ रहे। क्या टिकट वितरण के दौरान सीएम से फिर दूरी बनी है?
-ऐसा कुछ भी नहीं है। पार्टी ने बहुत सम्मान दिया है। न मनोहर लाल जी से शिकायत है न हाईकमान से कोई शिकवा है। मेरी फितरत पीठ पर वार करने की नहीं रही है। मैं सामने खड़ा होकर अपनी बात कहता है। अब किसी से कोई नाराजगी नहीं है।
फिर तो नांगल चौधरी भी प्रचार के लिए जाएंगे?
-पार्टी का हर उम्मीदवार मेरा भी उम्मीदवार है। पार्टी ने मुझे स्टार प्रचारक बनाया है। पार्टी जहां पर भी भेजेगी वहीं जाकर प्रचार करूंगा।
भाजपा का 75 पार का नारा है। क्या कहना चाहेंगे?
-संख्याबल की भविष्यवाणी नहीं कर सकता, लेकिन निर्विवाद रूप से हम बड़ी जीत की ओर बढ़ रहे हैं। प्रदेश में फिर से भाजपा की सरकार बनने जा रही है।
प्रमुख चुनावी मुद्दे क्या रहेंगे?
-बहुत साफ बात है। आज भी मोदी का करिश्मा हर जगह मौजूद है। राष्ट्र की मजबूती के लिए दिखाई गई उनकी दिलेरी लोगों की जुबान पर है। प्रदेश सरकार ने भी पारदर्शिता से नौकरी देने जैसे शानदार काम किए हैं। केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियों के बल पर लगातार दूसरी बार बड़े बहुमत के साथ हम सत्ता में आएंगे।
दिल्ली-NCR की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां पर करें क्लिक