Haryana assembly election 2019: इस बार दांव पर है शरद यादव के समधी की साख
बादशाह विधानसभा सीट पर चुनाव भले ही राव कमलबीर लड़ रहे हैं मगर प्रतिष्ठा जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव की दांव पर है।
रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। नाम भले ही उनका कमलबीर है, लेकिन हैं वह कांग्रेस के प्रत्याशी। लड़ना गुरुग्राम जिले की सोहना सीट से चाहते थे, पर टिकट मिला बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र से। वैसे चुनाव भले ही राव कमलबीर लड़ रहे हैं, मगर प्रतिष्ठा जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव की दांव पर है। कमलबीर दरअसल, शरद यादव के समधी हैं और उन्हें कांग्रेस का टिकट शरद की सिफारिश पर ही मिला है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा यहां से अपने खास राव धर्मपाल या उनके बेटे को चुनाव मैदान में उतारना चाहते थे, परंतु शरद का सोनिया पर भारी दबाव था।
दरअसल, सोहना से उनकी बात इसलिए नहीं बन पाई, क्योंकि सोहना में दिल्ली दरबार की अपनी रुचि थी। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद सोहना से अपने चहेते डॉ. शमशुद्दीन सोहना को चुनाव लड़वाने का मन बना चुके थे। इसे देख सोनिया ने बीच का रास्ता निकाला और कमलबीर को बादशाहपुर विस क्षेत्र से टिकट दिया गया। बादशाहपुर से कमलबीर को लड़ने में इसलिए परेशानी नहीं हुई, क्योंकि भाजपा ने उनके भाई राव नरबीर सिंह को इस बार टिकट नहीं दिया था।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा को देनी पड़ी अपनी पसंद की कुर्बानी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कमलबीर के बादशाहपुर आने के कारण अपनी पसंद की कुर्बानी देनी पड़ी। हुड्डा अपने पुराने वफादार साथी राव धर्मपाल या उनके बेटे को बादशाहपुर से उतारना चाहते थे, टिकट वितरण में पूरे प्रदेश में अपनी चौधर चलाने में कामयाब भी रहे, लेकिन यहां नाकाम रहे।
बादशाहपुर का मौजूदा गणित
शरद के समधी यहां बहुकोणीय मुकाबले में फंसे हैं। बाजी किस तरफ जाएगी इसका पता 24 अक्टूबर को चुनाव परिणाम के दिन पता चलेगा। भाजपा ने यहां से युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष मनीष यादव को उतारा है। पिछली बार बतौर निर्दलीय दमदार प्रदर्शन करने वाले राकेश दौलताबाद भी पूरे दमखम के साथ ताल ठोंक रहे हैं। राव नरबीर सिंह टिकट कटने के बाद भाजपा के साथ डटे हैं, परंतु जब-तब यह चर्चा चलती रहती है कि भाई कमलबीर से छत्तीस का आंकड़ा होते हुए भी उनके कुछ समर्थक उनकी जय बोलने लगे हैं। भाजपा की उम्मीद यहां इसलिए बलवान है, क्योंकि बादशाहपुर में गुरुग्राम की ऐसी बड़ी आबादी शामिल है, जो मोदी की मुरीद है। त्रिकोणीय संघर्ष को निर्दलीय भी जीत की उम्मीद मान रहे हैं।
दिल्ली-NCR की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां पर करें क्लिक