Haryana Assembly Election 2019: मांगेराम ने ठसक से की राजनीति, लौटा देते थे मुख्यमंत्री की फाइल Panipat News
पूर्व वित्त मंत्री मांगेराम गुप्ता दो बार भजनलाल सरकार में और एक बार भूपेंद्र हुड्डा सरकार में रहे। आज भी राजनीतिक गलियारों में उनकी चर्चा रहती है।
पानीपत/जींद, [कर्मपाल गिल]। प्रदेश की सियासत में कई ऐसे राजनेता हुए हैं, जिनका अपना कद व रौब रहा है। पूर्व वित्त मंत्री मांगेराम गुप्ता भी उन राजनीतिज्ञों में शामिल हैं, जिन्होंने पूरी ठसक के साथ राजनीति की। जिस भी सरकार में रहे, अपना अलग वजूद बनाए रखा। दो बार भजनलाल सरकार स्थानीय निकाय व वित्त मंत्री और एक बार भूपेंद्र हुड्डा सरकार में शिक्षा व परिवहन मंत्री रहे मांगेराम गुप्ता कभी किसी मुख्यमंत्री के दबाव में नहीं आए। इसीलिए आज भी प्रदेश के राजनीतिक गलियारों व चौपालों में चर्चा होती है लोग एक बात जरूर कहते हैं कि मांगेराम तो ईसा तगड़ा बाणिया था, मुख्यमंत्री की फाइल भी उलटी कर दिया करदा। उनकी गिनती भजनलाल के खास लोगों में होती थी। दैनिक जागरण ने स्कीम नंबर-5 स्थित उनके आवास पर विस्तार से बातचीत की और पुरानी यादों को ताजा किया...।
मांगेराम गुप्ता की जुबानी... अपने महकमे का मैं मुख्यमंत्री रहा
मैं तीन बार प्रदेश सरकार में मंत्री बना। कभी किसी सीएम के दबाव में नहीं आया। मैं हमेशा अपने महकमे का मुख्यमंत्री रहा। जो मन में आती थी, वही करता था। सिद्धांत के खिलाफ कभी कोई काम नहीं किया। इसीलिए मुख्यमंत्री भी मुझसे कोई गलत काम कराने से डरते थे। मुख्यमंत्रियों की फाइलें लौटाने के सवाल पर मांगेराम गुप्ता ने कहा कि भजनलाल व हुड्डा की फाइलें कई बार लौटाईं। दोबारा उनकी हिम्मत नहीं हुई कि मेरे पास उस फाइल को भेज दें।
1980 में पहली बार मंत्रिमंडल में शामिल किया
1980 में जब भजनलाल ने पहली बार मुझे मंत्रिमंडल में शामिल करके लोकल बॉडी का मंत्री बनाया तो इस महकमे को खड़ा करना शुरू किया। तब सभी कहते थे कि क्यों इस महकमे में टक्कर मार रहा है। मैंने कहा, एक बार देख तो लूं। मैंने सभी म्यूनिसिनल कमेटी को लोकल बॉडी विभाग के अधीन किया। उससे पहले ये सभी इंडिपेंडेंट थी। आज सभी मंत्री उस महकमे को लेकर खुश हैं। 1991 में वित्त मंत्री बना तो प्रदेश के कर्जे पर लगाम लगाई। फालतू खर्चे बंद किए। जब मैंने चार्ज छोड़ा, तब पांच हजार करोड़ का कर्जा था। आज एक लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज प्रदेश सरकार पर है। बकौल मांगेराम, भूपेंद्र हुड्डा भी तानाशाह की तरह राज करते थे। लेकिन मैंने शिक्षा व परिवहन मंत्री रहते हुए उनकी कभी कोई गलत बात नहीं मानी। इसलिए उन्होंने मेरा काफी सियासी नुकसान किया। चौधरी देवीलाल व बंसीलाल के खिलाफ विधानसभा में और बाहर भी डटकर बोला।
हुड्डा के कहने पर आदमपुर प्रचार करने नहीं गया
बकौल मांगेराम गुप्ता, बात तब की है जब भूपेंद्र हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद भजनलाल ने 2007 में कांग्रेस छोड़ दी थी। उसके बाद हुड्डा ने मुझे मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया। उन्हें पता था कि मैं भजनलाल का खास हूं। इसलिए यह भी चला गया तो कांग्रेस को नुकसान हो जाएगा। जब आदमपुर में उपचुनाव हुआ तो हुड्डा ने मेरी ड्यूटी आदमपुर का प्रभारी बना दिया। मैंने दो टूक कह दिया कि मैं आदमपुर नहीं जाउंगा और भजनलाल के खिलाफ एक शब्द नहीं बोलूंगा। मेरी उनसे दोस्ती रही है। बेशक नाराज हो जाओ। इसके बाद मेरी ड्यूटी गोहाना लगाई।
जब गृहमंत्री की बोलती बंद की
मांगेराम गुप्ता कहते हैं कि बात 1977 की है। तब चौ. देवीलाल मुख्यमंत्री थे। विधानसभा सत्र चल रहा था। तब गृह मंत्री वीरेंद्र सिंह (जो नारनौंद से 4 बार विधायक रहे) सरकार की उपलब्धियों का गुणगान कर रहे थे। मैंने कह दिया कि जींद में बनियों के छह चोरियां हुई हैं। एक में भी चोर नहीं पकड़े गए। इस पर वीरेंद्र सिंह ने कहा कि बनिये भी चोरी करते हैं, उनके हो गई तो क्या हुआ। यह बात मुझसे बर्दाश्त नहीं हुई। इस पर मैंने बवाल कर दिया और गृह मंत्री व उनके मुख्यमंत्री को चोर कह डाला। हंगामा इतना ज्यादा हो गया कि स्पीकर को कार्रवाई स्थगित करनी पड़ी। अगले दिन विधानसभा बैठी तो सबसे पहले चौ. देवीलाल खड़े हुए कहा कि मैंने सारी फाइलें देख ली हैं और अधिकारियों से भी बात कर ली हैं। गुप्ताजी ने जो इल्जाम लगाए थे, वह सारे सही हैं। उन्होंने अपनी पार्टी के सदस्यों से भी कहा कि गुप्ताजी जब बोलें तो उनकी सुना करो। जब चौ. देवीलाल निधन से पहले लोहिया अस्पताल में दाखिल थे तो वहां कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी भी भर्ती थे। मैं केसरी जी से मुलाकात के बाद चौ. देवीलाल से मिलने चला गया। रणजीत सिंह वहां बैठा था। देवीलाल ने पहले झटके में यही कहा कि हमने राजनीति बहुत की है, लेकिन तेरे जैसा राजनीतिज्ञ नहीं देखा। मैं उसूलों पर रहा, इसलिए इतनी निडरता से बात करता था।
सियासी सफर : एक सीट, एक पार्टी से लगातार 8 चुनाव लड़े
मांगेराम गुप्ता 1977 में पहली बार जनता पार्टी की लहर में निर्दलीय विधायक बने थे। इसके बाद कांग्रेस में शामिल हो गए। 1980 में स्थानीय निकाय मंत्री बने। 1982 में बृजमोहन सिंगला व 1987 में परमानंद से चुनाव हारे। 1991 में जीतकर भजनलाल सरकार में वित्त मंत्री बने। 1996 में बृजमोहन सिंगला से हारे। 2000 व 2005 में फिर विधायक बने। 2007 में हुड्डा सरकार में शिक्षा व परिवहन मंत्री बने। गुप्ता कहते हैं कि 2009 के चुनाव में भी वह जीत हासिल करते, लेकिन हुड्डा ने जबरदस्ती उन्हें हराया।