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भाजपा का साफ संकेत-हरियाणा में अकाली दल से समझौता नहीं, SAD ने भी कहा- अकेले लड़ेंगे चुनाव

भाजपा ने साफ संकेत दे दिया है कि वह हरियाणा में शिरोमणि अकाली दल से विधानसभा चुनाव में समझौता नहीं करेगी। दूसरी ओर शिअद ने भी कहा है कि वह हरियाणा में अकेले चुनाव लड़ेगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 27 Sep 2019 02:50 PM (IST)Updated: Fri, 27 Sep 2019 08:53 PM (IST)
भाजपा का साफ संकेत-हरियाणा में अकाली दल से समझौता नहीं, SAD ने भी कहा- अकेले लड़ेंगे चुनाव
भाजपा का साफ संकेत-हरियाणा में अकाली दल से समझौता नहीं, SAD ने भी कहा- अकेले लड़ेंगे चुनाव

नई दिल्ली/चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब में सियासी रूप एक भाजपा और शिरोमणि अकाली दल हरियाणा विधानसभा चुनाव में समझौता नहीं करेंगे। भाजपा ने साफ संकेत दिया है कि वह हरियाणा में शिअद से चुनावी तालमेल नहीं करेगी। दूसरी ओर, अपने विधायक बलकौर सिंह को भाजपा में शामिल किए जाने पर नाराजगी जताते हुए हरियाणा में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।

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दरअसल, भाजपा का बेशक पंजाब में शिरोमणि अकाली दल से चुनावी समझौता है, लेकिन हरियाणा में एसवाईएल नहर निर्माण के मुद्दे पर दोनों पार्टियों के मत भिन्न हैं। माना जा रहा है कि भाजपा इसी कारण शिअद से कोई चुनावी समझौता नहीं करेगी। पार्टी ने इसके साफ संकेत भी 2014 में सिरसा जिले के कालांवली विधानसभा क्षेत्र से जीते एकमात्र अकाली विधायक बलकौर सिंह भी भाजपा शामिल कर दे दिए हैं।

बृहस्‍पतिवार नई दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला ने बलकौर सिंह को पार्टी में शामिल किया। बलकौर सिंह के भाजपा में शामिल करने के पीछे पार्टी के रणनीतिकारों की यही मंशा रही है कि अब अकाली दल के नाम पर बलकौर सिंह से कालांवली सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ाया जाएगा।

अकाली दल से समझौते में सबसे बड़ा बाधक रहा एसवाईएल का मुद्दा

सतलुज यमुना लिंक नहर निर्माण हरियाणा का सबसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा है। इंडियन नेशनल लोकदल ही नहीं कांग्रेस व जजपा भी इस मुद्दे पर हरियाणा के हितों को लेकर मुखर है। भाजपा के सामने शिरोमणि अकाली दल के साथ समझौते में सबसे बड़ी बाधा एसवाईएल नहर निर्माण का मुद्दा ही है। हरियाणा में भाजपा एसवाईएल नहर निर्माण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को अमलीजामा पहनाने के लिए केंद्र से आग्रह कर रही है।

पंजाब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर भी फिलहाल टालमटोल कर रहा है। इस मुद्दे पर अकाली दल भी वहां की सरकार का समर्थन कर रहा है। ऐसे में राजनीतिक रूप से भाजपा अकाली दल से समझौता करके कोई परेशानी मोल नहीं लेना चाहती है। इंडियन नेशनल लोकदल ने तो इस मुद्दे को लेकर हरियाणा में अकाली दल से अपना वर्षों पुराना राजनीतिक संबंध भी तोड़ लिया है।

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2014 के चुनाव में इनेलो व अकाली दल ने मिलकर चुनाव लड़ा था और बलकौर सिंह अकाली दल से ही विधायक चुने गए थे। अकाली दल से संबंध तोडऩे के बाद बलकौर सिंह का भी इनेलो से कोई संबंध नहीं रहा। बलकौर सिंह ने एक बार इनेलो की बजाए जननायक जनता पार्टी का भी समर्थन किया था।

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दूसरी ओर, शिरोमणि अकाली दल ने हरियाणा के अपने एकमात्र विधायक बलकौर सिंह के भाजपा में शामिल हाेने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की है। पार्टी ने कहा है कि भाजपा ने उसके साथ गठबंधन धर्म नहीं निभाया है। शिअद के प्रधान सुखबीर सिंह बादल की अध्‍यक्षता में हुई कोर कमेटी की बैठक में कहा गया कि पार्टी अब हरियाणा में अकेले चुनाव लड़ेगी।

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