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भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा में इस तरह संभाली कांग्रेस की खिसकती जमीन, भाजपा को दी जोरदार टक्‍कर

भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने अपने दम पर कांग्रेस को फिर से हरियाणा की राजनीति में प्रासंगिक बना दिया है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Thu, 24 Oct 2019 03:25 PM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 03:25 PM (IST)
भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा में इस तरह संभाली कांग्रेस की खिसकती जमीन, भाजपा को दी जोरदार टक्‍कर
भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा में इस तरह संभाली कांग्रेस की खिसकती जमीन, भाजपा को दी जोरदार टक्‍कर

नई दिल्ली, जेएनएन। हरियाणा विधानसभा चुनाव के तारीखों का जब ऐलान हुआ तो शायद ही किसी को इस बात का जरा भी भान रहा होगा कि राज्य की राजनीति में कांग्रेस की वापसी होगी। इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल को छोड़ दिया जाए तो लगभग सभी पूर्वानुमान और एक्जिट पोल इस बात की ओर इशारा कर रहे थे कि राज्य में एक बार फिर पूर्ण बहुमत से भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनेगी। हालांकि, रोहतक के 72 वर्षीय नेता भूपेंंंद्र सिंह हुड्डा की जिद्द और अटूट मेहनत का ही नतीजा है कि 90 सीटों वाली राज्य विधानसभा में कांग्रेस उम्मीदवार 35 सीटों पर आगे चल रहे हैं और राज्य में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनती दिख रही है।

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हुड्डा ने अपनी मजबूत इच्छाशक्ति और संगठन पर पकड़ के दम पर ऐसे समय में यह कर दिखाया है जब पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी 15 सीटों पर सिमट कर रह गई थी। उसके बाद कांग्रेस की प्रदेश इकाई में लगातार टकराव की स्थिति बनी हुई थी। इस साल हुए लोकसभा चुनाव में हुड्डा और उनके बेटे की हार से भी उन्हें झटका लगा था। दूसरी तरफ तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी अशोक तंवर को बढ़ावा दे रहे थे। 

एक समय ऐसा लगा जब राज्य के दो बार के मुख्यमंत्री को लगा कि उन्हें राज्य की राजनीति में साइडलाइन किया जा रहा है तो कुछ माह पहले रोहतक में पार्टी नेतृत्व को लगभग धमकी देते हुए कहा कि उनके कार्यकर्ता यह तय करेंगे कि उन्हें कांग्रेस में रहना है या कुछ और करना है। इसी बीच सोनिया गांधी कांग्रेस की अंतरिम चेयरमैन बनीं। वह जानती थींं कि हुड्डा की आवाज को ना ही दबाया जा सकता है और ना ही नजरंदाज किया जा सकता है। हुड्डा की पकड़ जाटों के बीच बहुत जबरदस्त है, साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं से भी उनका काफी जुड़ाव है। 

हुड्डा का जन्म 15 सितंबर, 1947 में रोहतक में हुआ था। उनकी पत्नी का नाम आशा हुड्डा है। सैनिक स्कूल, बालचंदी से स्कूलिंग करने वाले हुड्डा ने बीए, एलएलबी तक की पढ़ाई की है। उन्होंने युवा कांग्रेस से अपने सियासी करियर का आगाज किया था। 

भूपिंदर सिंह हु्ड्डा के पिता का नाम चौधरी रणबीर सिंह हुड्डा था। वह भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता थे। वह अविभाजित पंजाब में भी मंत्री थे। हरियाणा के अलग होने के बाद भी वह राज्य सरकार में मंत्री रहे थे।  


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