लाेकसभा चुनाव : कार्यक्रम लंबा होने से हरियाणा में बिखरे विपक्ष को मिला संभलने का मौका
हरियाणा में लोकसभा चुनाव के छठे चरण में होने से बिखरे विपक्ष को संभलने का मौका मिल गया है। राज्य में विपक्षी दल गठबंधन को लेकर पहले से उलझे हैं और अब उनका थोड़ा वक्त मिल गया है।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। देश के बाकी राज्यों की अपेक्षा हरियाणा में देरी से हो रहे लोकसभा चुनाव विपक्ष को रास आ सकते हैं। राज्य में विपक्ष बिखरा हुआ है और विभिन्न दलों के बीच गठबंधन के कयास चल रहे हैं। राज्य में लोकसभा चुनाव छठे चरण में होंगे। चुनाव आयोग ने हरियाणा को चुनाव के लिए दो माह का समय देकर बिखरे और गुटों में बंटे विपक्ष को संभलने का मौका दे दिया है। इस दो माह की अवधि में जहां कांग्रेस के पास पार्टी की गुटबाजी दूर करने का मौका है, वहीं गठबंधन को लेकर अटके दलों को भी एक दूसरे से हाथ मिलाने के लिए बातचीत को समय मिल गया है।
केंद्रीय चुनाव आयोग ने की हरियाणा के विपक्षी राजनीतिक दलों की राह आसान
हरियाणा में छठे चरण में 12 मई को मतदान होगा। पंजाब और चंडीगढ़ में मतदान आखिरी सातवें चरण में है। केंद्रीय चुनाव आयोग का यह फैसला हालांकि सत्तारूढ़ भाजपा की अपेक्षा के अनुरूप नहीं है, मगर विपक्षी दल चुनाव के लिए 60 दिन का समय मिल जाने से काफी राहत महसूस कर रहे हैं।
लोकसभा उम्मीदवार घोषित करने में जल्दबाजी नहीं करेगी भाजपा
फिलहाल भाजपा में ही टिकटों के लिए सबसे अधिक मारामारी मची है। एक-एक सीट पर पांच से छह-छह दावेदार हैं। सबसे अधिक मारामारी करनाल और रोहतक सीटों पर है। करनाल में भाजपा पंजाबी और रोहतक में किसी गैर जाट को लड़ाने के मूड में है। राज्य में चुनाव की अधिसूचना चूंकि 16 अप्रैल को जारी होगी। लिहाजा भाजपा को अपने उम्मीदवारों की घोषणा करने के लिए एक माह से ज्यादा का समय मिल गया है।
कांग्रेस के पास गुटबाजी से उबरने का मौका, बाकी दलों में गठबंधन के विकल्प खुले
इस अवधि में दिल्ली दरबार के साथ-साथ मुख्यमंत्री मनोहर लाल के दरबार में टिकट के तलबगारों की हाजिरी बढ़ जाएगी। रोहतक में हुई प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में मुख्यमंत्री हालांकि यह कहते रहे कि टिकट दिल्ली से बंटेंगे, लेकिन मुख्यमंत्री की पसंद-नापसंद को नजरअंदाज किया जाएगा, इसकी जरा भी संभावना नहीं है।
कांग्रेस गुटबाजी का शिकार, जेजेपी-आप के पास मौका
हरियाणा में कांग्रेस सबसे अधिक गुटबाजी का शिकार है। इसे भांपते हुए कांग्रेस हाईकमान ने हरियाणा के कांग्रेस नेताओं को दिल्ली तलब करना शुरू कर दिया है। यदि चुनाव अगले माह हो जाते तो कांग्रेस के लिए संभलना मुश्किल हो जाता। यही स्थिति आम आदमी पार्टी और जननायक जनता पार्टी के बीच संभावित गठजोड़ को लेकर बनी हुई है। दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई है। इस कारण फिलहाल दोनों दलों की राहें जुदा बनी हुई हैं। अब यह दोनों दल नए सिरे से गठबंधन की संभावनाओं पर विचार कर सकते हैं।
इनेलो को सहारे की जरूरत, बाकी दल भी चिंतित
हरियाणा के प्रमुख विपक्षी दल इनेलो को भी हाल-फिलहाल सहारे की जरूरत है। इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला हालांकि हांसी में राज्यस्तरीय रैली कर कार्यकर्ताओं में जान फूंक चुके हैं, लेकिन अब पार्टी को भविष्य की रणनीति तय करने के लिए समय मिल गया है।
भाजपा के बागी सांसद राजकुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी और बसपा सुप्रीमो मायावती की पार्टियों के बीच पहले ही गठबंधन हो चुका है। पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा, पूर्व गृह मंत्री गोपाल कांडा और शिरोमणि अकाली दल बादल भी अपने-अपने दलों की रणनीति सेट करने में जुट गए हैं।