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महासमर 2019 : जाट आरक्षण आंदोलन से प्रभावित जिलों पर चुनाव आयोग की खास निगाह

हरियाणा में लोकसभा चुनाव में सुरक्षा के दृष्टिकोण से चुनाव आयोग के लिए जाट आरक्षण आंदोलन क्षेत्र चुनौती पूूर्ण रहेंगे। आयोग की जाट आरक्षण आंदोलन से प्रभावित जिलों पर खास नजर है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 11 Mar 2019 09:22 AM (IST)Updated: Mon, 11 Mar 2019 09:22 AM (IST)
महासमर 2019 : जाट आरक्षण आंदोलन से प्रभावित जिलों पर चुनाव आयोग की खास निगाह
महासमर 2019 : जाट आरक्षण आंदोलन से प्रभावित जिलों पर चुनाव आयोग की खास निगाह

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा में लाेकसभा चुनाव में सुरक्षा का पहलू चुनाव आयोग के लिए चुनौती की तरह होगा। राज्‍य में जाट आंदोलन से प्रभावित क्षेत्राें में शांतिपूर्ण चुनाव कराना सबसे चुनौतीपूर्ण होगा। ऐसे में आयोग की जाट आंदोलन प्रभावित जिलों पर खास नजर है। इसके लिए अर्द्ध सैनिक बलों की अतिरिक्‍त कंपनियों की जरूरत होगी।

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बीएसएफ की तीन कंपनियां हरियाणा को अलाट, अर्द्ध सैनिक बलों की 200 कंप‍नियों की पड़ेगी जरूरत

राज्य निर्वाचन विभाग को हरियाणा में पिछले साढ़े चार साल के अंतराल में हो चुके विभिन्न आंदोलनों के चलते शांतिपूर्ण चुनाव की चिंता  है। पिछले लोकसभा चुनाव में हालांकि सेना एवं अर्द्धसैनिक बलों की 74 कंपनियों से काम चल गया था, लेकिन माना जा रहा है कि इस बार करीब 200 कंपनियों की जरूरत पड़ेगी है। राज्य में बीएसएफ की तीन कंपनियां पहुंच भी गई हैं। राज्य पुलिस के साथ उन्हें मोर्चे पर तैनात करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

फरवरी 2016 के आंदोलन में रोहतक, झज्जर, हिसार, भिवानी, सोनीपत, पानीपत, कैथल व जींद जिला हिंसा की चपेट में आए थे। सबसे अधिक जान-मान का नुकसान रोहतक, झज्जर और सोनीपत में हुआ था। आयोग ने आठों ही जिलों के डीसी और एसपी को सुरक्षा तैयारियों को अंतिम रूप देने को कहा है।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी राजीव रंजन के अनुसार सभी जिलों के डीसी-एसपी को संवेदनशील और अति संवेदनशील केंद्रों की जानकारी जुटाने के निर्देश दिए गए हैं। क्या जाट आरक्षण आंदोलन से प्रभावित जिलों के लिए कोई खास तैयारी की गई है? इस सवाल के जवाब में राजीव रंजन ने कहा कि इस पहलू पर विचार चल रहा है। सुरक्षा में कहीं भी किसी स्तर पर कोई चूक नहीं होने दी जाएगी। फिलहाल बीएसएफ की तीन कंपनियां हरियाणा को अलाट हो चुकी हैं।

उन्होंने यह जानकारी नहीं दी कि कितनी कंपनियों की डिमांड की गई है, लेकिन उन्होंने कहा कि इस बार अतिरिक्त फोर्स तैनात होगी। उन्होंने कहा कि जाट आरक्षण आंदोलन से प्रभावित रहे जिलों में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए जाएंगे। केंद्र की ओर से यह आश्वस्त किया गया है कि जरूरत पडऩे पर अतिरिक्त कंपनियों का बंदोबस्त कर दिया जाएगा।


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