Loksabha Election हरियाणा में दिखा था बोफोर्स, इंदिरा हत्याकांड और अटल की आंधी का असर
हरियाणा में लोकसभा चुनाव पर विभिन्न घटनाक्रम का असर होता रहा है। बोफोर्स मामले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या और अटल बिहारी वाजपेयी की आंधी का असर दिखा।
चंडीगढ़, [सुधीर तंवर]। रियाणा में लोकसभा चुनावों पर विभिन्न घटनाक्रमों का भी खूब असर पड़ा। बाेफोर्स मामले, इंदिरा गांधी की हत्या और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की आंधी का असर हरियाणा में उस समय हुए लोकसभा चुनावों पर पड़ा। इस दौरान मतदान प्रतिशत भी काफी बढ़ गया है। दूसरी ओर, राज्य में Loksabha Election 2019 को लेकन सरगर्मी बढ़ गई है।
86 फीसद प्रत्याशियों की जमानत जब्त, छोटे दल-निर्दलीयों पर नहीं भरोसा
नामांकन शुरू होने में अभी एक पखवाड़ा बाकी है, लेकिन मुख्य सियासी दलों के साथ ही करीब डेढ़ दर्जन छोटी-मोटी राजनीतिक पार्टियां फिर से मैदान में कूदने को तैयार हैं। निर्दलीय किस्मत आजमाने जा रहे प्रत्याशियों की भी अच्छी खासी फौज है। यह स्थिति तब है जब प्रदेश में हर आम चुनाव में 80 से 90 फीसद प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो जाती है।
राज्य के संसदीय चुनावों के इतिहास की बात करें तो अभी तक कुल 2187 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे। इनमें 1892 की जमानत जब्त हो गई। यानी कि 86.5 फीसद उम्मीदवार जमानत राशि नहीं बचा पाए। प्रदेश की जनता अमूमन मुख्य सियासी दलों पर ही भरोसा जताती आई है।
हरियाणा में अभी तक कुल 2187 ने लड़ा लोकसभा चुनाव, 1892 ने गंवाई जमानत राशि
ज्यादातर सीटों पर सीधे मुकाबले में दो मुख्य प्रतिद्वंद्वियों के अलावा शायद ही किसी तीसरे उम्मीदवार की जमानत बची हो। इक्का-दुक्का मौकों पर निर्दलीय जीते भी तो केवल वही दिग्गज नेता, जिन्होंने टिकट नहीं मिलने पर बगावत करते हुए ऐन मौके पर आजाद चुनाव लड़ा और अपने रसूख का फायदा उठाया।
पंजाब से अलग होने के बाद हरियाणा में चार मौके आए जब 90 फीसद प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। वर्ष 1989 में बोफोर्स तोप घोटाले की तपिश में 93.83 फीसद प्रत्याशियों ने जमानत गंवाई तो 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सांत्वना की लहर में 90 फीसद उम्मीदवार जमानत से हाथ धो बैठे। इसी तरह 1996 में स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की आंधी में 90.82 और वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी की लहर में 90 फीसद उम्मीदवार जमानत बचाने में नाकाम रहे।
पिछले लोकसभा चुनावों में हालत यह रही कि फरीदाबाद में विजेता केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के सामने कोई प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा पाया। हालांकि 1977 के चुनाव में आपातकाल विरोधी लहर के बावजूद 34 फीसद उम्मीदवारों की जमानत बच गई। 15वीं लोकसभा में छुटभैये दलों के 51 प्रत्याशी मैदान में उतरे और सभी की जमानत जब्त हुईं। इसी तरह 14वीं लोकसभा में 23 प्रत्याशी गैर मान्यता प्राप्त या छोटे राजनीतिक दलों के थे जिनमें कोई जमानत नहीं बचा सका। 13वीं लोकसभा में छोटे व गैर मान्यता प्राप्त दलों के 13 प्रत्याशियों के अलावा सभी 74 निर्दलीय प्रत्याशी अपनी जमानत राशि गंवा बैठे।
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जमानत जब्त कराने वाले उम्मीदवार
वर्ष मैदान में कुल उम्मीदवार जमानत जब्त - फीसद
1967 - 67 49 73.13
1971 - 63 45 71.43
1977 - 50 33 66.00
1980 - 137 108 78.83
1984 - 200 180 90.00
1989 - 324 304 93.83
1991 - 198 173 87.37
1996 294 267 90.82
1998 140 111 79.29
1999 114 93 81.58
2004 160 137 85.63
2009 210 185 88.10
2014 230 207 90.00
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पिछले लोकसभा चुनावों में जमानत जब्त
संसदीय क्षेत्र मैदान में प्रत्याशी जमानत जब्त
1. अंबाला सुरक्षित - 14 - 12
2. कुरुक्षेत्र - 22 - 19
3. सिरसा सुरक्षित - 18 - 15
4. हिसार - 41 - 39
5. करनाल - 23 - 21
6. सोनीपत - 23 - 20
7. रोहतक - 14 - 12
8. भिवानी-महेंद्रगढ़ - 26 - 23
9. गुरुग्राम - 22 - 20
10. फरीदाबाद - 27 - 26