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Lok Sabha Elections 2019: तो कुरुक्षेत्र में फिर आमने-सामने होंगे भाई-भाई

देवीलाल परिवार की चौथी पीढ़ी यहां लोकसभा के चुनाव में एक-दूसरे के सामने उम्मीदवार हो सकते हैं। यहां अर्जुन चौटाला व दिग्विजय चौटाला आमने-सामने हो सकते हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 08:32 PM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 05:09 PM (IST)
Lok Sabha Elections 2019: तो कुरुक्षेत्र में फिर आमने-सामने होंगे भाई-भाई
Lok Sabha Elections 2019: तो कुरुक्षेत्र में फिर आमने-सामने होंगे भाई-भाई

कुरुक्षेत्र [पंकज आत्रेय]। धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र। यहां सत्ता के लिए हजारों साल पहले चचेरे भाइयों में महाभारत का महासमर लड़ा गया था। एक तरफ कौरव थे तो दूसरी तरफ पांडव। अपने ही परिजनों को सामने देख अर्जुन मोह के वशीभूत हो गए तो भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का संदेश दिया। एक बार फिर कुरुक्षेत्र की धरती पर चुनावी महाभारत में भाई-भाई के आमने-सामने होने के आसार बन गए हैं।

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देवीलाल परिवार की चौथी पीढ़ी यहां लोकसभा के चुनाव में एक-दूसरे के सामने उम्मीदवार हो सकते हैं। जननायक के पौते अभय चौटाला ने अपने छोटे बेटे अर्जुन चौटाला को इस रण में उतार दिया है। इससे पहले से ही अभय के बड़े भाई डॉ. अजय सिंह चौटाला के छोटे बेटे दिग्विजय चौटाला का नाम इसी सीट से उम्मीदवार के रूप में लिया जा रहा है। इस बात से उन्होंने खुद भी इंकार नहीं किया है।

दैनिक जागरण से बातचीत में दिग्विजय चौटाला ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इनेलो ने अर्जुन चौटाला को उम्मीदवार घोषित कर दिया है। वे खुद भी कुरुक्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो यह इतिहास ही होगा कि देवीलाल की चौथी पीढ़ी एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ेगी।

एक चर्चा यह थी

पिछले दिनों एक चर्चा रही कि इनेलो और जजपा हिसार में एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन दोनों ही पार्टियों ने अपने उम्मीदवार खड़े कर इन चर्चाओं को अफवाहों में बदल दिया। जजपा-आप से खुद दुष्यंत चौटाला कूदे और इनेलो ने किसान नेता सुरेश कोथ को उनके खिलाफ भेजा।

जींद उपचुनाव ने बदली स्थिति

प्रदेश में संगठनात्मक तौर पर सबसे मजबूत माना जाने वाले इनेलो पहले पारिवारिक और फिर संगठन में हुई टूट-फूट का शिकार हो गया। जींद उपचुनाव ऐसा पहला मौका था जब तक पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के दोनों बेटों की संतानें एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ी। उपचुनाव में जजपा दूसरे नंबर पर रही तो इनेलो उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा सके। इस परिणाम ने सबको चौंकाया और इसके बाद नेताओं का पार्टी को छोड़कर जाने का सिलसिला शुरू हो गया।

भाई-भाई रहे अलग दलों में

पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल के परिवार में भी राजनीतिक मतभेद शुरू से ही रहे हैं। उनके बड़े बेटे प्रताप सिंह चौटाला कांग्रेस में थे। वे 1967 में ऐलनाबाद से विधायक बने। उन्होंने 1977 और 1982 में भी चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। इसके बाद उन्होंने खुद को राजनीतिक से अलग कर लिया था। ओमप्रकाश चौटाला इनेलो के सुप्रीमो हैं। उनके भाई रणजीत सिंह चौटाला कांग्रेस में हैं। देवीलाल के सबसे छोटे बेटे जगदीश चौटाला राजनीति में सक्रीय नहीं रहे।

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