Loksabha Election: एकजुटता से उत्साहित अशोक तंवर बोले, जनता कांग्रेस को मौका देने के मूड में
हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर पार्टी में दिख रही एकजुटता से खासे उत्साहित हैं। उनका कहना है कि इस बार जनता का रुख कांग्रेस की आेर है और वह उसे मौका देना चाहती है।
नई दिल्ली। Loksabha Election 2019 के मद्देनजर हरियाणा कांग्रेस में दिख रही एकजुटता से पार्टी में नए जोश का संचार हुआ है। हरियाणा कांग्रेस के सभी दिग्गज नेता एक साथ राज्य में परिवर्तन यात्रा नाम से रोड शो कर रहे हैं। इससे पार्टी के प्रदेश प्रधान डॉ. अशोक तंवर खासे उत्साहित हैं। उनका कहना है कि यात्रा के दौरान जिस तरह से लोग उमड़ रहे हैं उससे साफ पता चलता है कि जनता का मूड कांग्रेस को मौका देने का है।
डॉ. अशोक तंवर पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ बैठकर यात्रा का संचालन कर रहे हैं। इसी दौरान दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता बिजेंद्र बंसल ने उनसे कांग्रेस की गुटबाजी, भविष्य की रणनीति से लेकर कई अहम सवालों पर बातचीत की, प्रस्तुत है इस बातचीत के प्रमुख अंश :
- पांच साल बाद पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ बस में सवारी पर कोई गिला-शिकवा है या नहीं ?
- देखिए, मेरी तरफ से तो पहले भी कोई गिला-शिकवा नहीं था। बाकी लोग भी एक साथ बस में सवार हैं तो फिर यही माना जाएगा कि सब अपने गिले-शिकवे दूर करके बस में सवार हुए हैं। असल में कांग्रेस राहुल गांधी जी के नेतृत्व में पहले भी एक थी, सिर्फ लोगों के देखने का नजरिया अलग था। जब लोगों के इस नजरिये का असर पार्टी की मजबूती पर पड़ने लगा तो आलाकमान ने प्रदेश में समन्वय समिति गठित की।
- यानी आप मानते हैं कि कांग्रेस नेताओं की एकजुटता अब समय की मांग थी?
- जी हां, जब किसी बात का संदेश गलत जाने लगे तो उसमें सुधार अवश्य किया जाना चाहिए। अब हम पुरानी बातों पर नहीं जाना चाहते। समन्वय समिति के नेताओं का संकल्प है कि वे राहुल गांधी जी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए राज्य की दस की दस सीटें जिताने का प्रयास करेंगे। इस परिवर्तन यात्रा में उमड़ रही भीड़ यह साफ संकेत दे रही है कि राज्य की जनता फिर से कांग्रेस को सेवा का मौका देना चाहती है।
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- यह एकजुटता जींद उपचुनाव में हो जाती तो क्या ज्यादा फायदा नहीं होता?
- जींद उपचुनाव भी कांग्रेस नेताओं ने पूरी ताकत के साथ लड़ा था। हां, यह अवश्य कहा जा सकता है कि उसमें जीत का सकारात्मक असर पड़ता।
- पहले और अब समन्वय समिति बनने के बाद पार्टी के राज्य नेतृत्व की स्थितियों में कोई बदलाव आया है?
- नहीं, अब इन सवालों का कोई औचित्य नहीं है? समन्वय समिति का मतलब होता है सबका साथ। सबके साथ से राज्य कांग्रेस आगे बढ़ रही है?
- कुलदीप बिश्नोई सहित दो तीन नेता लगातार पार्टी कार्यक्रमों में नहीं आ रहे हैं?
- समन्वय समिति के 15 नेता हैं, यदि कोई एक, दो नेता पार्टी में अलग मिली जिम्मेदारी निभा रहे हों तो इसे भी नाराजगी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। यदि किसी को 15 सदस्यीय समन्वय समिति से ऐतराज होता तो वह इससे इस्तीफा दे देता।
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- भाजपा लोकसभा के तुरंत बाद यदि विधानसभा चुनाव कराती है तो क्या कांग्रेस तैयार है?
- कांग्रेस तो लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव के लिए तैयार थी। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदेश में पांच साल अनुभवहीन सरकार झेली है, इस सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए पार्टी कार्यकर्ता एकदम तैयार हैं।