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गुजरात को नहीं भाती तीसरी पार्टी, फिर भी मैदान में कई वोटकटवा दल

भाजपा-कांग्रेस को छोड़ गुजरात ने पिछले 22 सालों में कभी तीसरी पार्टी को स्‍वीकार नहीं किया है और इनका चुनावी मैदान में रहने का मकसद केवल वोट काटना ही है।

By Monika MinalEdited By: Published: Fri, 24 Nov 2017 01:17 PM (IST)Updated: Fri, 24 Nov 2017 01:30 PM (IST)
गुजरात को नहीं भाती तीसरी पार्टी, फिर भी मैदान में कई वोटकटवा दल
गुजरात को नहीं भाती तीसरी पार्टी, फिर भी मैदान में कई वोटकटवा दल

अहमदाबाद (शत्रुघ्न शर्मा)। गुजरात विधानसभा के चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है। बीते 22 साल में किसी भी तीसरे दल को गुजरात ने स्वीकार नहीं किया। कुछ नेता अपने दम पर इक्का-दुक्का सीट निकाल लें तो वह अलग बात है। लेकिन, अधिकतर दल वोटकटवा ही साबित हुए हैं। इस बार के चुनाव में भी 50 से अधिक ऐसी पार्टियां ताल ठोंक रही हैं, जिनका मकसद सिर्फ भाजपा और कांग्रेस का वोट काटना है।

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राज्य की चौदहवीं विधानसभा के लिए हो रहे चुनाव में छह राष्ट्रीय दल भाजपा, कांग्रेस, राकांपा, बसपा, भाकपा और माकपा मैदान में हैं। इसके अलावा पांच क्षेत्रीय पार्टियां समाजवादी पार्टी, जदयू, जद सेक्यूलर, शिवसेना और आम आदमी पार्टी भी चुनाव ल़़ड रही हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला का जनविकल्प मोर्चा जुगाड़ू तरीके से चुनाव ल़़ड रहा है। उन्होंने ऑल इंडिया हिंदुस्तान कांग्रेस पार्टी के चुनाव चिह्न ट्रैक्टर के बैनर तले अपने 69 प्रत्याशी उतारे हैं। वाघेला ने मुख्यमंत्री विजय रपानी, प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष परेश धनाणी और शक्तिसिंह गोहिल सहित पांच नेताओं के खिलाफ उम्मीदवार नहीं दिया है।

इस चुनाव में बिना मान्यता प्राप्‍त 48 पार्टियां भी मैदान में हैं। इनमें गुजरात जनचेतना, आपणी सरकार, युवा सरकार, भारतीय ट्राइबल पार्टी, भारतीय जनसंपर्क पार्टी, लोकशाही सत्ता पार्टी, सरदार वल्लभभाई पार्टी, रियल डेमोक्रेसी पार्टी, नवीन भारत निर्माण मंच, इंडियन न्यू कांग्रेस, इंसानियत पार्टी, जनसत्य पथ, आम जनता पार्टी, इंकलाब विकास दल, राष्ट्र मंगल मिशन पार्टी, मानवाधिकार नेशनल पार्टी, प्रजाशक्ति, राष्ट्रीय क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी, सुहेलदेव व्यवस्था परिवर्तन पार्टी सरीखे दल मैदान में हैं। जदयू के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव चंद्रराज संघवी बताते हैं कि ऐसी पार्टियों के पीछे पैसा और पावर के खेल होते हैं। वोटकटवा पार्टियां इस चुनाव में कुछ असर नहीं करेंगी। गुजरात की जनता अस्मिता और राज्य के गौरव के नाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ही साथ जाना पसंद करेगी।

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