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अमरेली में छिपी है हार्दिक पटेल की सियासी ताकत

पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के हार्दिक पटेल अमरेली के ग्रामीण इलाकों में घूम चुके हैं। उनका जोर पटेल युवाओं पर ज्यादा है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Mon, 06 Nov 2017 07:26 PM (IST)Updated: Mon, 06 Nov 2017 09:12 PM (IST)
अमरेली में छिपी है हार्दिक पटेल की सियासी ताकत
अमरेली में छिपी है हार्दिक पटेल की सियासी ताकत

ऋषि पाण्डे, अमरेली। सौराष्ट्र का एक प्रमुख जिला है अमरेली। जूनागढ़ और भावनगर के बीच स्थित। यहां की खासियत बब्बर शेर हैं जो आसपास के जंगलों में बडी संख्या में पाए जाते हैं। पूरे सौराष्ट्र में पटेलों की सबसे ज्यादा आबादी इसी जिले में बतायी जाती है। खेती किसानी इस क्षेत्र की आय का एकमात्र जरिया रहा है,लेकिन अब लोग किसानी से दूर होते जा रहे हैं। वजह,एक तो किसानी जबर्दस्त मेहनत का काम है और दूसरा जितनी मेहनत होती है उस अनुपात में वसूली नहीं हो पाती। लोग तेजी से पलायन कर मुंबई, सूरत या अहमदाबाद में बस रहे हैं। अमरेली का पढा लिखा तबका चाहता है कि राजनीतिक दल अपने एजेंडे में कृषि आधारित उद्योगों की बात भी करें ताकि गांव उजड़ने से बच सके और कृषि के प्रति नयी पीढ़ी का रूझान बढ़ सके।

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अमरेली की पांच में से चार पर भाजपा और एक पर कांग्रेस का कब्जा है। यानी यहां भाजपा का वर्चस्व है। केन्द्र में मंत्री पुरूषोत्तम रूपाला इसी जिले के हैं। बब्बर शेर के साथ सेल्फी ले कर फेसबुक पर शेयर करने वाले कांग्रेस विधायक परेश धानानी खास अमरेली सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के हार्दिक पटेल अमरेली के ग्रामीण इलाकों में घूम चुके हैं। उनका जोर पटेल युवाओं पर ज्यादा है। पास से जुड़े युवा नचिकेत जाघानी का कहना था कि, युवा यदि फुरसत में रहेगा तो कुछ न कुछ गड़बड़ी करेगा वही गुजरात में हो रहा है।

खुद करोड़ों की जमीन के मालिक होने के बावजूद काम के लिए शहर जाने की बढती प्रवत्ति से बडे बुजुर्ग दुखी है। लाठी गांव में मिले बुजुर्ग किशनसिंह कुम्पावत का कहना था कि खेती से युवाओं का खर्च नहीं निकल रहा। काम धंधे अहमदाबाद,सूरत तक सीमित है। ऐसे में वह या तो यहां से बाहर जा रहा है या फिर हार्दिक,अल्पेश जिग्नेश की रैलियों में भीड बढाने का साधन बन रहा है। अमरेली के दीपक भाई ने जोरदार बात बतायी। आजकल लडकी वाले पहले इस बात की तस्दीक करते हैं कि लडका कहीं खेती तो नहीं करता है, तब रिश्ते की बात आगे बढती है। वे कहते हैं -लडकी वालों की एक शर्त यह भी रहती है कि गांव के अलावा अहमदाबाद या सूरत में भी एक घर होना चाहिए।

पेशे से किसान दिनेश सांवलिया का जोर इस बात पर था कि कृषि आधारित कल कारखानों का ताना बाना बुना जाएं। सांवलिया ने कहा, नरेन्द्र भाई ने सीएम रहते हुए पिछले चुनाव में सौराष्ट्र के लिए 5 एफ फार्मूला सुझाया था। फार्म,फार्मर,फैक्ट्री,फैब्रिक,और फॉरेन। यानी यहीं के खेत से यहां के किसान कॉटन उगाए यहीं की फैक्ट्रियों में फैब्रिक तैयार हो जो यहीं से विदेशों में भेजा जाए।

कॉटन तो यहां प्रचुर मात्रा में होता ही है यदि यहां टैक्सटाइल कारखाने आ जाए तो सौराष्ट्र की रंगत बदल जाएगी। अमरेली में आवासीय विद्यालय के संचालक दीपक भाई बघासिया का कहना है कि पटेल लोग प्रकृति से जुझारू और मेहनती होते हैं। सरकार सिंचाई की सुविधा मुहैया करा दे तो यहां का किसान अपने पुरूषार्थ से इस अंचल को कृषि उत्पादन के मामले में पंजाब हरियाणा से आगे खडा कर सकता है।

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