राहुल गांधी का तीसरा सवाल- 3 रुपये प्रति यूनिट की बिजली 24 रुपये में क्यों खरीदी
राहुल ने कहा कि सरकारी बिजली कारखानों की क्षमता 62 प्रतिशत घटाई लेकिन निजी कंपनी से 3 रुपये प्रति यूनिट की बिजली 24 रुपये में क्यों खरीदी?
नई दिल्ली (जेएनएन)। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अाज भाजपा से तीसरा सवाल पूछा है। राहुल का तीसरा सवाल गुजरात में बिजली आपूर्ति से जुड़ा हुआ है। राहुल ने ट्वीट कर मोदी से पूछा कि 2002-16 के बीच 62 हजार 549 करोड़ की बिजली खरीद कर 4 निजी कंपनियों की जेब क्यों भरी?
साथ ही राहुल गांधी ने गुजरात सरकार पर सरकारी बिजली कारखानों की क्षमता घटाने का आरोप लगाया है। राहुल ने कहा कि सरकारी बिजली कारखानों की क्षमता 62 प्रतिशत घटाई लेकिन निजी कंपनी से 3 रुपये प्रति यूनिट की बिजली 24 रुपये में क्यों खरीदी?
22 सालों का हिसाब, गुजरात मांगे जवाब
प्रधानमंत्रीजी से तीसरा सवाल:
2002-16 के बीच ₹62,549 Cr की बिजली ख़रीद कर 4 निजी कंपनियों की जेब क्यों भरी?
सरकारी बिजली कारख़ानों की क्षमता 62% घटाई पर निजी कम्पनी से ₹3/ यूनिट की बिजली ₹24 तक क्यों ख़रीदी?
जनता की कमाई, क्यों लुटाई?— Office of RG (@OfficeOfRG) December 1, 2017
बता दें कि पिछले तीन दिनों से राहुल गांधी हर रोज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक सवाल पूछते हैं. इसी क्रम में उन्होंने शुक्रवार को तीसरा सवाल पूछा। इससे पहले गुरुवार को उन्होंने गुजरात के कर्ज को लेकर सवाल पूछा था।
वहीं इससे पहले कांग्रेस ने गुजरात सरकार पर बिजली खरीदने के नाम पर हजारों करोड़ रुपये का घोटाला करने का आरोप लगाया है। भाजपा सरकार पर पार्टी ने सरकारी बिजली कंपनियों का उत्पादन घटाकर अडाणी, एस्सार, टाटा और चाइना लाइट जैसी प्राइवेट कंपनियों से महंगे दाम पर बिजली खरीदने का आरोप लगाया है।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पत्रकार वार्ता में कहा कि गुजरात की बिजली कंपनी की उत्पादन क्षमता 8641 मेगावॉट है। राज्य सरकार ने इसकी क्षमता को घटाकर 33 से 38 फीसद कर दी है। वर्ष 2002 से 2016 के बीच अडाणी पावर, एस्सार पावर, टाटा पावर और चाइना लाइट कंपनी से क्रमश: 10896 करोड़, 4843 करोड़, 8491 करोड़ और 1966 करोड़ रुपये की बिजली खरीदी गई।
सरकारी कंपनी नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन से गुजरात सरकार दो रुपये 88 पैसे प्रति यूनिट पर बिजली खरीदती है। इन निजी कंपनियों से राज्य सरकार ने 24 रुपये 87 पैसे प्रति यूनिट के भाव से बिजली खरीदी और सरकारी खजाने को हजारों करोड़ रुपये का चूना लगाया।
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