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गुजरात की बाजी: कांग्रेस में 41 पाटीदार प्रत्याशी, भाजपा ने 45 ओबीसी पर खेला दांव

गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पाटीदारों को सबसे अधिक टिकट 41 टिकट दिए हैं, जबकि सत्तारूढ़ भाजपा ने 45 से अधिक सीटों पर ओबीसी पर दांव लगाया है।

By Digpal SinghEdited By: Published: Tue, 28 Nov 2017 01:01 PM (IST)Updated: Tue, 28 Nov 2017 03:30 PM (IST)
गुजरात की बाजी: कांग्रेस में 41 पाटीदार प्रत्याशी, भाजपा ने 45 ओबीसी पर खेला दांव
गुजरात की बाजी: कांग्रेस में 41 पाटीदार प्रत्याशी, भाजपा ने 45 ओबीसी पर खेला दांव

अहमदाबाद [शत्रुघ्न शर्मा]। गुजरात विधानसभा चुनाव में लिए दूसरे चरण के चुनाव के लिए भी नामांकन का दौर खत्म हो चुका है। इस चुनाव में कांग्रेस ने पिछले कुछ सालों से आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे पाटीदारों को सबसे अधिक टिकट 41 टिकट दिए हैं, जबकि सत्तारूढ़ भाजपा ने 45 से अधिक सीटों पर ओबीसी पर दांव लगाया है।

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कांग्रेस और भाजपा ने कई सीटों पर अपने पुराने नेताओं को फिर से मैदान में उतारा है। दूसरे चरण में उपमुख्यमंत्री नीतिन पटेल, पूर्व मंत्री जयनारायण व्यास, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सिद्धार्थ पटेल आदि दिग्गज मैदान में हैं।

अंतिम समय में जारी की सूची

गुजरात में दूसरे चरण के चुनाव के लिए कांग्रेस व भाजपा के प्रत्याशियों ने सोमवार 27 नवंबर को 93 सीटों के लिए नामांकन भरा। भाजपा ने रविवार देर रात 34 उम्मीदवारों की छठी सूची जारी की, जिसमें 12 विधायक रिपीट किए गए, भाजपा ने इस सूची में 17 पाटीदार नेताओं को टिकट दिया है। 

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पाटीदारों को मिले जमकर टिकट

गुजरात चुनाव से पहले पाटीदार आरक्षण आंदोलन, दलित व ओबीसी आंदोलन के चलते सबकी नजर इस पर थी कि इस चुनाव में इन जातियों को कितनी टिकट मिलती हैं। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल का साथ मिलने के बाद कांग्रेस ने इस बार जमकर पाटीदारों को टिकट दिए हैं। कांग्रेस ने 41 पाटीदारों को जबकि भाजपा ने 36 पाटीदारों को मैदान में उतारा है।


भाजपा ने ओबीसी उम्मीदारों पर खेला दांव

कांग्रेस ने ओबीसी को 35 के करीब जबकि भाजपा ने ओबीसी वोट बैंक को साधने के लिए 45 से अधिक सीट पर मैदान में उतारा है। इनके अलावा 36 पाटीदार, 28 आदवासी, 13 दलित, 10 क्षत्रिय, 4 ब्राह्मण तथा दस से अधिक महिलाएं भाजपा की सूची में हैं।

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कांग्रेस की सूची में सिर्फ 7 महिलाएं

राज्य की सत्ता पर काबिज होने के लिए जोरदार कोशिश कर रही कांग्रेस ने 41 पाटीदारों के अलावा 21 कोली पटेल, 27 आदिवासी, 13 दलित, 11 क्षत्रिय, 6 मुस्लिम, 3 ब्राह्मण और 7 महिला उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है।


अल्पेस ने राधनपुर से भरा पर्चा

ओबीसी को कांग्रेस का वोट बैंक माना जाता है तथा ओबीसी नेता अल्पेस ठाकोर ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। अलपेस खुद राधनपुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। यहां उनके विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पुतला फूंककर बाहरी होने का आरोप लगाया है। उधर मेहसाणा से पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के नेताओं को टिकट मिलने पर पास संयोजक नरेंद्र पटेल ने विरोध जताया है। उन्होंने कहा हार्दिक ने खुद चुनावी राजनीति से दूर रहने को कहा था, फिर पास के नेताओं को कांग्रेस से टिकट कैसे मिल गए।

जिग्नेस मेवानी भी चुनावी मैदान में

नरेंद्र पटेल ने भाजपा पर एक करोड़ में उन्हें भाजपा में शामिल करने का आरोप लगाते हुए दस लाख रुपये पेशगी देने का आरोप लगाया था। उधर दलित नेता जिग्नेस मेवानी ने ना-ना करते वडगाम से नामांकन भर दिया। दलित समाज के लोगों ने उनके नामांकन पर विरोध जताया। कांग्रेस व आम आदमी पार्टी ने इस सीट पर मेवानी को समर्थन का ऐलान किया है।

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वाघेला पिता-पुत्र नहीं लड़ रहे चुनाव

इस चुनाव में दिग्गज नेता शंकरसिंह वाघेला और उनके पुत्र महेंद्र सिंह वाघेला चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, अंतिम समय तक महेंद्र के भाजपा से चुनाव लड़ने की चर्चा थी, उनके समधी बलवंतसिंह राजपूत भी चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। सिद्वपुर से जयनारायण व्यास ने नामांकन भरा है, उनके अलावा बेचराजी से रजनी कांत पटेल, गांधीनगर दक्षिण से शंभूजी ठाकोर, एलिसब्रिज से राकेश शाह, बापूनगर से जगरूप सिंह, मणिनगर से सुरेश पटेल, साबरमती से अरविंद पटेल, वाघोडिया से मधुश्रीवास्तव को भाजपा ने फिर मैदान में उतारा है।

उधर कांग्रेस ने हार्दिक का केस लड़ने वाली वकील बीएम मांगुकिआ को ठक्कर बापा नगर अहमदाबाद, पूर्व अध्यक्ष सिद्धार्थ पटेल को डभोई से मैदान में उतारा है। जमालपुर खाडिआ सीट पर टिकट नहीं मिलने से साबीर काबलीवाला ने कांग्रेस पर विश्वासघात का आरोप लगाते हुए निर्दलीय पर्चा भरा।

वडोदरा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो के दौरान उनके काफिले पर चूडियां फेंकने वाली आशावर्कर चंद्रिका बेन सोलंकी वडोदरा से निर्दलीय चुनाव लडेंगी। उन्हें कांग्रेस से टिकट मिलने की उम्मीद थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी नहीं बनाया। दरअसल पीएम मोदी 22 अक्टूबर को वडोदरा आए थे, उस दौरान उनके काफिले पर चंद्रिका बेन ने चूडियां उछाली थीं, राज्य सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया था। चंद्रिका लंबे समय से आशावर्कर के वेतन व उनकी स्थायी नियुक्ति के लिए आंदोलन चला रही हैं।

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