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कांग्रेस को 9 प्रतिशत वोटों का अंतर पाटने का भरोसा

कांग्रेस 9 फीसदी वोटों का अंतर पाटने में कामयाब होगी, जिसके कारण भाजपा 2012 में सत्ता कायम रखने में सफल रही थी।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 03 Dec 2017 04:12 AM (IST)Updated: Sun, 03 Dec 2017 04:12 AM (IST)
कांग्रेस को 9 प्रतिशत वोटों का अंतर पाटने का भरोसा
कांग्रेस को 9 प्रतिशत वोटों का अंतर पाटने का भरोसा

राजकोट, एजेंसी। कांग्रेस इस बार गुजरात में अपने स्टार प्रचारक राहुल गांधी तथा नए सहयोगी बने जातीय नेताओं के भरोसे है। उसे उम्मीद है कि इनके सहारे वह 9 फीसदी वोटों का अंतर पाटने में कामयाब होगी, जिसके कारण भाजपा 2012 में सत्ता कायम रखने में सफल रही थी।
कांग्रेस को पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल, ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर तथा दलित कार्यकर्ता जिग्नेश मेवाणी के साथ होने से खासा उम्मीद है। ठाकोर कांग्रेस में शामिल हो गए हैं जबकि पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के नेता हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को समर्थन का एलान किया है। दलित चेहरा के रूप में खुद को पेश कर रहे मेवाणी कांग्रेस के समर्थन से वडगाम सीट पर निर्दलीय चुनाव ल़़ड रहे हैं। कांग्रेस ने इस सीट पर अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है।
2012 का वोट गणित
चुनाव आयोग के आंक़़डों के मुताबिक गुजरात चुनाव--2012 में भाजपा को 47.85 फीसदी वैध मत मिले थे जबकि कांग्रेस को 38.93 फीसदी। इस प्रकार दोनों दलों के बीच वोटों का अंतर 8.92 फीसदी रहा था। इसी नौ फीसदी के अंतर से कुल 182 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 115 सीटें मिली थीं और कांग्रेस को सिर्फ 61 सीटों पर संतोष करना प़़डा। राकांपा तथा केशुभाई पटेल की पार्टी गुजरात परिवर्तन पार्टी को 2-2 सीटें मिली थीं। एक सीट जदयू को मिली थी तथा एक निर्दलीय भी चुनाव जीता था।
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चुनाव आयोग के मुताबिक 2012 में गुजरात में 3.8 करो़ड मतदाता थे और उस साल राज्य के इतिहास में सबसे ज्यादा 72.02 फीसदी वोट प़़डे थे। इस बार के चुनाव में राज्य में 4.35 करो़ड मतदाता हैं।
कांग्रेस के दावे
गुजरात प्रदेश कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष कुवारजीभाई भावलिया कहते हैं कि 2012 में कांग्रेस अपने बूते थी और हार्दिक, अल्पेश या जिग्नेश नहीं थे। यदि कांग्रेस अकेले 38.93 फीसदी वोट हासिल कर सकती है तो ये तीन नए फैक्टर निश्चित रूप से फायदेमंद होंगे।'

भाजपा का अपना हिसाब

लेकिन भाजपा कांग्रेस के इस वोट गणित से सहमत नहीं है। प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता हर्षद पटेल ने कहा- '2012 के बाद 2014 में आम चुनाव हुए, जिसमें भाजपा को अधिकांश विधानसभा क्षेत्रों में ब़़डी ब़़ढत मिली। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 17 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में आगे थी। तीन साल पहले भाजपा को इस प्रकार का समर्थन मिला था। पार्टी इस बार 2012 से भी बेहतर प्रदर्शन करेगी।'
उन्होंने कहा कि यह सही है कि भाजपा सिर्फ 9 फीसदी वोटों से आगे थी लेकिन हमारे विधायकों की संख्या देखिए। उन्होंने दावा किया कि '2014 का जनादेश ([जब भाजपा ने राज्य में लोकसभा की सभी 26 सीटें जीती थीं)] देखिए, हमें इस बार भी वैसा ही प्रतिसाद मिलेगा तथा 2012 में मिली सीटों से ज्यादा ही मिलेगी।' भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपने गृह राज्य में 150 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है।
राजनीतिक पंडित सहमत नहीं
यद्यपि राजनीतिक पंडित हर्षद पटेल के दावों से सहमत नहीं दिखते। राजकोट के वरिष्ठ पत्रकार जयेश ठकरार कहते हैं-- '2012 में कांग्रेस ने 176 सीटों पर चुनाव ल़़डा था जबकि कांग्रेस ने सभी 182 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। इसके बावजूद कांग्रेस महज 9 फीसदी वोटों से पीछे रही। यह बात कांग्रेस के लिए सकारात्मक है।'
साल 2012 में 28 विधानसभा सीटों पर जीत--हार का अंतर 4 हजार से कम वोटों का था। इसका मतलब यह है कि इन सीटों पर दोनों ही पार्टियों की संभावना लगभग बराबर ही है। इनमें से कांग्रेस ने 17, भाजपा ने सात तथा शेषष अन्य पार्टियों ने जीती थी। इस बार तो पाटीदार, ओबीसी तथा दलित नेता भी कांग्रेस के प्रचार कर रहे हैं। इसलिए भाजपा उम्मीदवारों को इन सीटों पर ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है।

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