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टिकट बंटवारे में कांग्रेस के सामने संतुलन बनाने की चुनौती

गुजरात में भाजपा की पहली लिस्ट के बाद उसके अंदर मचे घमासान के मद्देनजर तो कांग्रेस और सचेत हो गई है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Sat, 18 Nov 2017 09:20 PM (IST)Updated: Sat, 18 Nov 2017 09:20 PM (IST)
टिकट बंटवारे में कांग्रेस के सामने संतुलन बनाने की चुनौती
टिकट बंटवारे में कांग्रेस के सामने संतुलन बनाने की चुनौती

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गुजरात चुनाव के उम्मीदवारों की लिस्ट तैयार कर बैठी कांग्रेस के लिए पाटीदारों की मांग से लेकर अपनों के दावों के बीच संतुलन बनाना आसान नहीं हो रहा। चुनाव में सियासी तराजू का पलड़ा झुकाने में उम्मीदवारों के चयन को अहम मान रही कांग्रेस पर पाटीदारों ने जहां आरक्षण पर रुख साफ करने का दबाव बनाया है वहीं बड़ी संख्या में अपने लोगों के लिए टिकट भी मांग रहे हैं। सियासी-सामाजिक दांव साधने के लिए कांग्रेस को शरद यादव और एनसीपी के लिए भी सीटें छोड़ने की गुंजाइश तलाशनी पड़ रही है।

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कांग्रेस की सूची इसी उधेड़बुन में अटकी हुई है और किसी सूरत में पार्टी अपने अंदर से टिकट पर विद्रोह की स्थिति नहीं आने देना चाहती। गुजरात में भाजपा की पहली लिस्ट के बाद उसके अंदर मचे घमासान के मद्देनजर तो कांग्रेस और सचेत हो गई है। इसीलिए हार्दिक पटेल और उनके साथी पाटीदार नेताओं की करीब 35 सीटों की मांग को नीचे लाने के लिए कांग्रेस के नेता उनसे बातचीत कर रहे हैं।

पार्टी की कोशिश पाटीदारों को अधिकतम 15 से 20 सीटें देकर मनाने की है। शरद यादव और उनके साथी छोटू भाई वसावा की भारतीय ट्राइबल पार्टी को 5 तो एनसीपी को भी 3 से 5 सीटें कांग्रेस को देनी पड़ रही है। चुनाव में सियासी समीकरण साधने के लिए सीटों की लेन-देन की वजह से कांग्रेस को कई अपनी सीटों की कुर्बानी देनी होगी। ऐसे में सालों से मेहनत कर उम्मीद लगाए पार्टी कार्यकर्ता और नेताओं के विरोध के सुर सामने आने की आशंका से इनकार नहीं किया जा रहा।

इन आशंकाओं को देखते हुए ही पार्टी रणनीतिकार टिकट से वंचित रह जाने वाले नेताओं को साधने की योजना पर भी काम कर रहे हैं। गुजरात में इस बार कांग्रेस अपनी दिख रही उम्मीद के सहारे सत्ता मिलने की स्थिति में इन नेताओं को भी समय आने पर उचित समायोजन का भरोसा भी दे रही है। कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति ने पार्टी उम्मीदवारों के चयन का काम पूरा कर लिया है और घोषणा में विलंब की एक बड़ी वजह विद्रोह के लिए ज्यादा वक्त नहीं देना भी है।

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