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...तो यहां से जुटती है हार्दिक पटेल के लिए भीड़

अमरेली का पढ़ा लिखा तबका चाहता है कि राजनीतिक दल अपने एजेंडे में कृषि आधारित उद्योगों की बात भी करें, ताकि गांव उजडऩे से बच सकें और कृषि के प्रति नई पीढ़ी का रूझान बढ़े।

By Babita KashyapEdited By: Published: Tue, 07 Nov 2017 11:37 AM (IST)Updated: Tue, 07 Nov 2017 11:43 AM (IST)
...तो यहां से जुटती है हार्दिक पटेल के लिए भीड़
...तो यहां से जुटती है हार्दिक पटेल के लिए भीड़

अमरेली (गुजरात), ऋषि पांडे। सौराष्ट्र का एक प्रमुख जिला है अमरेली। जूनागढ़ और भावनगर के बीच यह स्थित है। यहां की खासियत बब्बर शेर हैं जो आसपास के जंगलों में बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। पूरे सौराष्ट्र में पटेलों की सबसे ज्यादा आबादी इसी जिले में बताई जाती है।

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खेती इस क्षेत्र की आय का एकमात्र जरिया रहा है, लेकिन अब लोग खेती से दूर होते जा रहे हैं। वजह, एक तो यह ज्यादा मेहनत का काम है और दूसरा जितना काम होता है उस अनुपात में वसूली नहीं हो पाती। लोग तेजी से पलायन कर मुंबई, सूरत या अहमदाबाद में बस रहे हैं। अमरेली का पढ़ा लिखा तबका चाहता है कि राजनीतिक दल अपने एजेंडे में कृषि आधारित उद्योगों की बात भी करें, ताकि गांव उजडऩे से बच सकें और कृषि के प्रति नई पीढ़ी का रूझान बढ़े।

अमरेली की पांच विधानसभा में से चार पर भाजपा और एक पर कांग्रेस का कब्जा है। यानी यहां भाजपा का वर्चस्व है। केंद्र में मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला इसी जिले के हैं। बब्बर शेर के साथ सेल्फी लेकर फेसबुक पर शेयर करने वाले कांग्रेस विधायक परेश धानानी खास अमरेली सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के हार्दिक पटेल अमरेली के ग्रामीण इलाकों में घूम चुके हैं। उनका जोर पटेल युवाओं पर ज्यादा है। पास से जुड़े युवा नचिकेत जाघानी का कहना था कि युवा यदि फुर्सत में रहेगा तो कुछ न कुछ गड़बड़ी करेगा और कुछ ऐसा ही गुजरात में हो रहा है। खुद करोड़ों की जमीन के मालिक होने के बावजूद काम के लिए शहर जाने की बढ़ती प्रवत्ति से बड़े बुजुर्ग दुखी हैं।

लाठी गांव में मिले बुजुर्ग किशन सिंह कुम्पावत का कहना था कि खेती से युवाओं का खर्च नहीं निकल रहा। काम धंधे अहमदाबाद, सूरत तक सीमित हैं। ऐसे में वह या तो यहां से बाहर जा रहा है या फिर हार्दिक, अल्पेश व जिग्नेश की रैलियों में भीड़ बढ़ाने का साधन बन रहा है। अमरेली के दीपक भाई का कहना था कि आजकल लड़की वाले पहले इस बात की तसदीक करते हैं कि लड़का कहीं खेती तो नहीं करता है, तब रिश्ते की बात आगे बढ़ती है।

वह कहते हैं लड़की वालों की एक शर्त यह भी रहती है कि गांव के अलावा अहमदाबाद या सूरत में भी एक घर हो। किसान दिनेश सांवलिया का जोर इस बात पर था कि कृषि आधारित कल कारखानों का ताना बाना बुना जाए। नरेंद्र भाई ने सीएम रहते हुए पिछले चुनाव में सौराष्ट्र के लिए पांच एफ फार्मूला सुझाया था। फार्म, फार्मर, फैक्ट्री, फैब्रिक और फॉरेन। यानी यहां के किसान कॉटन उगाए। यहीं की फैक्ट्रियों में फैब्रिक तैयार हो, जो यहीं से विदेशों में भेजी जाए।

कॉटन यहां प्रचुर मात्रा में पैदा होती है। यदि यहां टैक्सटाइल कारखाने आ जाएं तो सौराष्ट्र की रंगत बदल जाएगी। अमरेली में आवासीय विद्यालय के संचालक दीपक भाई बघासिया का कहना है कि पटेल लोग प्रकृति से जुझारू और मेहनती होते हैं। सरकार सिंचाई की सुविधा मुहैया करा दे तो यहां का किसान अपने पुरुषार्थ से इस अंचल को कृषि उत्पादन के मामले में पंजाब हरियाणा से आगे खड़ा कर सकता है। 

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