जानिए- क्या है AFRS तकनीक, जिसका पीएम मोदी की रैली के दौरान हुआ था इस्तेमाल
नरेंद्र मोदी की रैली में दिल्ली पुलिस द्वारा प्रयोग की गई ऑटोमेटेड फेशियल रिकग्निशन सिस्टम (एएफआरएस) का इस्तेमाल किए जाने पर एक संस्था ने सवाल उठाए हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली के रामलीला मैदान में 22 दिसंबर को आयोजित की गई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में दिल्ली पुलिस द्वारा प्रयोग की गई ऑटोमेटेड फेशियल रिकग्निशन सिस्टम (एएफआरएस) का इस्तेमाल किए जाने पर एक संस्था ने सवाल उठाए हैं। रैली में आई भीड़ को पहचानने के लिए दिल्ली पुलिस ने पहली बार किसी राजनीतिक रैली में इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया था।
डिजिटल एडवोकेसी ग्रुप इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक अपार गुप्ता ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर प्रोफाइलिंग और निगरानी के लिए एएफआरएस तकनीक का उपयोग अवैध और असंवैधानिक है। यह आम भारतीयों के अधिकारों को प्रभावित करता है। इससे लोगों की निजता का उल्लंघन होता है। सार्वजनिक स्थानों पर गुमशुदा बच्चों को खोजने के लिए इस तकनीक को लाया गया है, लेकिन अब यह उद्देश्य से भटक गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में आधार कार्ड पर एतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा था कि व्यक्तिगत निजता एक मौलिक अधिकार है। हालांकि, फैसले में एएफआरएस का उल्लेख नहीं किया गया था।
अब कई देशों की सुरक्षा एजेंसियां अपराधियों तथा आतंकियों को पकड़ने के लिए एएफआरएस का इस्तेमाल करने लगी हैं। भारत में, इस वर्ष कई हवाई अड्डों पर एएफआरएस को स्थापित किया गया है। अपराधियों और लापता बच्चों को खोजने के उद्देश्य से सरकार की देशभर में इस तकनीक को स्थापित करने की योजना है। दिल्ली पुलिस ने प्रधानमंत्री की दिल्ली रैली में इस तकनीक का इस्तेमाल सुरक्षा की दृष्टि से किया था। हालांकि, दिल्ली पुलिस को इस रैली में विश्वसनीय खुफिया सूचनाओं से आतंकी हमले का इनपुट मिला था। इसके बाद सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा करने के लिए इस तकनीक का प्रयोग किया गया।