चुनाव से पहले दिल्ली की राजनीति में 'औरंगजेब' की एंट्री, सिरसा ने साइन बोर्ड को किया काला
DSGMC के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने सड़कों और देश की किताबों से औरंगजेब के नाम को हटाने की मांग की है।
नई दिल्ली, एएनआइ। शिरोमणि अकाली दल के विधायक और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (DSGMC) के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने सड़कों और देश की किताबों से औरंगजेब के नाम को हटाने की मांग की है। सिरसा ने रविवार को दिल्ली में औरंगजेब लेन के साइन बोर्ड को काला कर दिया। सिरसा के साथ दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य भी मौजूद रहे।
साइन बोर्ड को काला करने के बाद सिरसा ने कहा कि गुरु तेग बहादुर ने औरंगजेब के जबरदस्ती धर्मांतरण के प्रयासों के खिलाफ जीवन भर लड़ाई लड़ी। औरंगजेब को हत्यारा बताते हुए उन्होंने कहा कि देश भर की किताबों से औरंगजेब के पाठ्यक्रम को हटाया जाए। इसके साथ ही जहां-जहां औरंगजेब के नाम से सड़के हैं सभी का नाम बदला जाए।
दिल्ली की राजौरी गार्डन से विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि औरंगजेब हिंदुओं का जबरन धर्म परिवर्तन करता था। वह लाखों हिंदुओं का कातिल है। उसके नाम पर सड़क करोड़ों हिंदुओं और सिखों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। औरंगजेब का नाम देश की सड़कों और किताबों से बाहर किया जाए।
औरंगजेब रोड का नाम बदला लेकिन लेन का नाम नहीं
बता दें कि साल 2015 में नई दिल्ली नगर निगम(एनडीएमसी) ने औरंगजेब रोड का नाम बदलकर पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत एपीजे अब्दुल कलाम रख दिया था। हालांकि लेन का नाम नहीं बदला था। औरंगजेब रोड का नाम बदलने का कुछ मुस्लिम संगठनों ने विरोध किया था।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जमायत इस्लामी हिंद के प्रतिनिधियों ने अप्रैल 2016 में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी। इस दौरान केजरीवाल ने औरंगजेब रोड के नाम बदलने पर अफसोस जाहिर किया था। केजरीवाल ने कहा था कि यह फैसला एनडीएमसी का है।
महेश गिरी ने की थी नाम बदलने की मांग
दरअसल तत्कालीन भाजपा सांसद महेश गिरी ने औरंगजेब रोड का नाम बदलने का पुरजोर तरीके से समर्थन किया। उन्होंने साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर औरंगजेब रोड का नाम बदलकर दिवंगत एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि अब समय आ गया है कि इतिहास की भूलों को सुधारा जाए। महेश गिरी के पत्र के एक महीने बाद 28 अगस्त 2015 को इसका नाम बदल दिया गया था। हालांकि इसके विरोध में प्रदर्शन भी हुए थे।
अब माना जा रहा है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा एक बार फिर से उछाला जा सकता है। बता दें कि मनजिंदर सिंह सिरसा भाजपा और शिरोमणि अकाली दल गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे।
ये भी पढ़ेंः EXCLUSIVE: खुशखबरी! गेहूं के पौधे से पहले मिलेगा हरा चारा और फिर बाद में अनाज
क्या निर्भया मामले में आरोपित राम सिंह की जेल में हुई थी हत्या? तिहाड़ के पूर्व अधिकारी ने उठाए सवाल
दिल्ली-एनसीआर की ताजा खबरों को पढ़ने के लिए यहां पर करें क्लिक