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EXCLUSIVE: सोनिया गांधी के करीबी ने काटा कीर्ति आजाद का दिल्ली कांग्रेस चीफ से पत्ता

दिल्ली कांग्रेस चीफ के लिए सोनिया की मंजूरी के बाद कीर्ति का नियुक्ति पत्र भी टाइप होने चला गया। पीसी चाको की ओर से पूर्व प्रदेश अध्यक्षों को फोन पर सूचना भी दे दी गई और फिर...।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 25 Oct 2019 08:37 AM (IST)Updated: Fri, 25 Oct 2019 10:55 AM (IST)
EXCLUSIVE: सोनिया गांधी के करीबी ने काटा कीर्ति आजाद का दिल्ली कांग्रेस चीफ से पत्ता
EXCLUSIVE: सोनिया गांधी के करीबी ने काटा कीर्ति आजाद का दिल्ली कांग्रेस चीफ से पत्ता

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। Delhi Assembly Election 2020: दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद का नाम तय हो जाने के बावजूद प्रदेश के अनुभवी नेता सुभाष चोपड़ा की नियुक्ति 12 दिन तक चली सियासी जोड़तोड़ का नतीजा है। पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी के एक करीबी नेता ने इसमें मुख्य भूमिका निभाई। हालांकि कीर्ति को चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाकर संतुलन साधने की कोशिश की गई है, लेकिन तब भी राजनीतिक गलियारों में इस जोड़तोड़ की चर्चा खूब हो रही है।

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पार्टी सूत्रों के मुताबिक तीन माह से खाली पड़े हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए कीर्ति आजाद सोनिया की पसंद थे। उनके नाम पर औपचारिक मुहर लगाने से पहले उन्होंने कीर्ति से बाकायदा बात भी की थी। 11 अक्टूबर को जब प्रदेश प्रभारी पीसी चाको ने सोनिया के पास फाइनल नोट में कीर्ति आजाद और सुभाष चोपड़ा का नाम भेजा तो सोनिया ने कीर्ति के नाम पर ही मुहर लगाई। कीर्ति का नियुक्ति पत्र भी टाइप होने चला गया। पीसी चाको की ओर से पूर्व प्रदेश अध्यक्षों को फोन पर इसकी सूचना भी दे दी गई।

सूत्र बताते हैं कि इसके तुरंत बाद अध्यक्ष पद के ही अन्य दावेदार ने सोनिया के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल को फोन कर इस नियुक्ति पर कड़ी आपत्ति जता दी। आनन-फानन में पटेल की ओर से भी सोनिया को फोन कर कीर्ति के नाम की औपचारिक घोषणा रोकने के लिए अनुरोध कर दिया गया। तर्क दिया गया कि 25 साल तक भाजपा में रहे और कुछ ही माह पूर्व कांग्रेस में शामिल हुए नेता को अध्यक्ष बनाया गया तो पार्टी में बगावत हो जाएगी। कुछ वरिष्ठ नेताओं के पार्टी छोड़ देने की आशंका भी जताई गई।

सूत्रों बताते हैं कि एक बार जो मामला लटका, फिर लटक ही गया। इसी दौरान कुछेक नेताओं ने कीर्ति को बाहरी नेता बताते हुए अध्यक्ष पद पर उनकी संभावित नियुक्ति के विरोध में हस्ताक्षर अभियान भी चला दिया, जिसकी प्रति चाको, एआइसीसी के महासचिव केसी वेणुगोपाल, पटेल और सोनिया को भी भिजवा दी गई। करीब 12 दिनों में माहौल एकदम बदल दिया गया। बताया जाता है कि बुधवार को सोनिया ने चाको के साथ मंत्रणा करके फाइनल नोट पर ही निर्णय लेते हुए विकल्पस्वरूप अध्यक्ष पद पर सुभाष चोपड़ा के नाम पर हामी भर दी। पूर्वाचल के मतदाताओं को साधने तथा आलाकमान की जुबान का मान रखने के लिए कीर्ति को चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया।

सुभाष चोपड़ा (अध्यक्ष, दिल्ली कांग्रेस) के मुताबिक, प्रदेश अध्यक्ष बनाने का फैसला पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी का है। वह किसी को भी बनातीं, हमें मंजूर होता। जहां तक कीर्ति आजाद की बात है तो वह मेरे लिए भाई जैसा है। हम मिलकर प्रदेश कांग्रेस के लिए काम करेंगे।

कीर्ति आजाद अध्यक्ष (चुनाव अभियान समिति, दिल्ली कांग्रेस) कहते हैं- 'मैं इस बारे में कुछ नहीं कहूंगा। मुझे अगर पार्टी कोई भी जिम्मेदारी नहीं देती तो भी काम करता और अब चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया है तो उसके लिए भी आभारी हूं। मैंने 25 साल तक भाजपा में मेहनत की, लेकिन पार्टी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने पर मुझे दूध में से मक्खी की तरह निकाल दिया। कांग्रेस ने मुङो मान दिया है तो मैं भी पार्टी की मजबूती के लिए कोई कसर नहीं छोड़ूंगा।'

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