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Delhi Election 2020: जब शीला सरकार के कद्दावर मंत्री को केजरीवाल की खास ने दी थी मात

Delhi Election 2020 वर्ष 2013 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित मंगोलपुरी विधानसभा सीट का परिणाम भी बेहद चौंकाने वाला साबित हुआ था।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 15 Jan 2020 03:13 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jan 2020 06:07 AM (IST)
Delhi Election 2020: जब शीला सरकार के कद्दावर मंत्री को केजरीवाल की खास ने दी थी मात
Delhi Election 2020: जब शीला सरकार के कद्दावर मंत्री को केजरीवाल की खास ने दी थी मात

नई दिल्ली [संजय सलिल]। राजनीति में शह-मात, हार-जीत लगी रहती है। यही कारण है कि राजनीति को क्रिकेट की तरह अनिश्चितताओं का खेल कहा जाता है। हालांकि, कई बार यह हार-जीत लोगों को चौंका देती है और इस पर सहज विश्वास कर पाना कठिन हो जाता है।

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वर्ष 2013 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित मंगोलपुरी विधानसभा सीट का परिणाम भी बेहद चौंकाने वाला साबित हुआ था। इस सीट से लगातार चार बार विधायक रहे तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार के कद्दावर मंत्री राजकुमार चौहान को पराजय का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव की सबसे अहम बात यह रही कि राजकुमार चौहान को राजनीति के किसी महारथी ने शिकस्त नहीं दी थी। उन्हें राजनीति की कखग सीखने वाली पहली बार प्रत्याशी बनी राखी बिड़ला से मुंह की खानी पड़ी थी। यही वजह रही कि जब चुनाव परिणाम आया तो लोग आश्चर्य में पड़ गए । राजनीतिक विश्लेषकों को भी इस तरह के परिणाम की उम्मीद नहीं थी।

बतौर आम आदमी पार्टी प्रत्याशी राखी बिड़ला, वर्ष 2013 के चुनाव में युवा व नया चेहरा थीं। अति साधारण परिवार की राखी पहली बार चुनावी अखाड़े में कूदी थीं और राजकुमार चौहान को दस हजार से अधिक मतों से पराजित किया था। इसके बाद हर तरफ इस चुनाव परिणाम की चर्चा हो रही थी। यही नहीं लोगों को जब यह पता चला तो जल्द किसी को भरोसा ही नहीं हुआ।

मंगोलपुरी विधानसभा क्षेत्र की जनता के बीच राजकुमार चौहान की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 1993 में जब पहली बार यह सीट अस्तित्व में आई थी तब से लेकर 2008 के विधानसभा चुनाव तक उन्हें कभी भी हार का सामना नहीं करना पड़ा। खास बात यह थी कि हर बार चुनाव में उनकी जीत का अंतर बढ़ता ही रहा और उन्होंने भाजपा व बसपा के प्रत्याशियों को अपने आसपास भी फटकने नहीं दिया।

इसके बाद वर्ष 2013 के चुनाव में उनकी जीत पर राखी ने ब्रेक लगा दिया था।

यही कारण रहा है कि जीत के बाद राखी सुर्खियां बटोरने में कामयाब रही थीं। इस जीत के इनाम के रूप में उन्हें 49 दिनों की केजरीवाल सरकार में मंत्री पद भी मिला था। तब राखी महज 25 साल की थीं। उन्होंने वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में भी अपनी सीट पर कब्जा बरकरार रखा और इस बार उन्होंने राजकुमार चौहान को 27 हजार से अधिक मतों से पराजित कर दिया। इस चुनाव में राखी को कुल 60,534 मत मिले थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार चौहान को 37,835 वोट प्राप्त हुए थे। 

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