आने वाले चुनावों के लिए कितने महत्वपूर्ण हो सकते हैं दिल्ली के नतीजे, जानें किसे क्या मिला सबक
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आम आदमी पार्टी का परचम एकबार फिर बुलंद करते नजर आ रहे हैं। आइये जानते हैं आने वाले चुनावों पर इन नतीजों का क्या होगा असर...
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार को जारी मतगणना के रुझानों में आम आदमी पार्टी यानी आप दोबारा सत्ता हासिल करने की राह पर है। वहीं भाजपा दूसरे स्थान पर जबकि कांग्रेस का खाता खुलाना भी मुश्किल लग रहा है। चुनावी कैंपेन के दौरान भाजपा ने करीब पांच हजार कार्यक्रमों का आयोजन किया जिनमें रैलियां, नुक्कड़ सभाएं और रोड शो के साथ डोर-टू-डोर कैंपेन भी शामिल हैं। वहीं CM अरविंद केजरीवाल ने अकेले 68 रोड शो किए जबकि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने केवल चार रैलियां कीं। यह चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक रहा... आइये जानते हैं कि आने वाले चुनावों के लिहाज से दिल्ली के नतीजों की कितनी अहमियत है।
बिहार में भी छाए रहेंगे ये मुद्दे
दिल्ली की सियासी हवा अब बिहार की ओर मुड़ने वाली है क्योंकि आने वाले दिनों में वहां भी विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। बिहार की सियासी तस्वीर पर नजर डालें तो एक तरफ जहां भाजपा जदयू और एलजेपी की तिकड़ी है तो दूसरी ओर पांच दलों के गठजोड़ से बना महागठबंधन... वैसे तो बिहार की सियासी लड़ाई दिल्ली की सियासत से बिल्कुल अलग है लेकिन यहां भी विकास, सुशासन, राष्ट्रवाद के साथ साथ स्थानीय मुद्दे हावी रहेंगे। दिल्ली में विकास का मसला भले ही राष्ट्रवाद पर भारी पड़ा हो लेकिन बिहार की सियासत में इसे खारिज नहीं किया जा सकता है। बिहार के पिछले चुनावों पर नजर डालें तो भाजपा पहले भी राष्ट्रवाद का बिगुल फूंकती रही है।
जमीन पर जो दिखेगा मजबूत जनता देगी उसी का साथ
बिहार के पिछले चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो वहां कोई अकेला दल बाजी मारने की स्थिति में दशकों से नहीं है। ऐसे में बिहार का चुनावी समीकरण गठबंधन की मजबूती के साथ साथ एजेंडों पर निर्भर करेगा। बीते लोकसभा चुनावों को देखें तो बिहार में राष्ट्रवाद के मुद्दे ने भाजपा को मतदाताओं पर मजबूत पकड़ बनाने में काफी मदद की है। जातिवाद और आरक्षण का फैक्टर भी पिछले विधानसभा चुनावों में हावी रहे हैं ऐसे में जो गठबंधन इन तमाम मसलों को साधते हुए जमीन पर जितना मजबूत दिखेगा उसके लिए परिणाम उतने ही सहायक होंगे। वैसे दिल्ली की जनता ने विकास के एजेंडे पर मुहर लगाई है जिसे नजरंदाज भी नहीं किया जा सकता है।
बिहार चुनावों के लिए कितने अहम हैं दिल्ली के नतीजे
दिल्ली के नतीजों के लिहाज से देखें तो दिल्ली की जनता स्थानीय समस्याओं जैसे बिजली पानी को भले ही तरजीह दी है लेकिन उसने राष्ट्रवाद को पूरी तरह खारिज भी नहीं किया है। भाजपा वोट शेयर और सीटों के हिसाब से दूसरे नंबर की पार्टी रही है। बिहार में स्थानीय समस्या... बाढ़ और इंफ्रास्ट्रक्चर की है जिसकी गूंज आने वाले विधानसभा चुनाव में भी सुनाई देगी। बिहार में भाजपा जदयू की एकजुटता अहम कड़ी साबित होने वाली है। हालांकि उसे सत्ता विरोधी लहर से भी जूझना होगा। भाजपा समेत तामम दलों को दिल्ली चुनाव के नतीजे से सबक लेना होगा और नेताओं को विवादित बयानबाजियों से परहेज करना होगा क्योंकि दिल्ली की जनता ने इसे नकार दिया है।
दिल्ली के नतीजों का पंजाब में कितना होगा असर
दिल्ली के किले को फतह करने के बाद आम आदमी पार्टी की नजर पंजाब पर होगी। पंजाब में आप नेता दिल्ली के नतीजों का सूबे में सीधा असर पड़ने का दावा कर रहे हैं। आप के प्रदेश उपाध्यक्ष अमन अरोड़ा का कहना है कि दिल्ली की जीत का सीधा असर पंजाब में दिखेगा क्योंकि कांग्रेस की सरकार राज्य के लोगों की हालत सुधारने में नाकाम रही है। मालूम हो कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में आप ने 20 सीटों पर जीत दर्ज की थी ऐसे में इन दावे को नकारा भी नहीं जा सकता है। सीएम केजरीवाल ने अपने काम पर वोट मांगे हैं और दिल्ली में कांग्रेस का स्कोर जीरो रहा है। पंजाब में अकाली दल भी कांग्रेस पर हमलावर है ऐसे में सत्ता पर काबिज उसकी चुनौती बढ़ गई है। चूंकि पंजाब में विरोधी आप का कुनबा बिखरा होने के आरोप जरूर लगा रहे हैं लेकिन दिल्ली के नतीजों ने उसके मनोबल को बढ़ाने का काम जरूर किया है।