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CAA Protest और JNU Viloence प्रभावित इलाकों के नतीजों ने बताया वोटर का मूड, जानें कौन से मुद्दे पड़े भारी

दिल्‍ली विधानसभा चुनावों के नतीजों ने CAA प्रोटेस्‍ट और JNU Viloence को लेकर जनता के मूड को भी बता दिया है। जानिये इस चुनाव में कौन से मुद्दे इन पर भारी पड़े हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 11 Feb 2020 06:42 PM (IST)Updated: Tue, 11 Feb 2020 06:42 PM (IST)
CAA Protest और JNU Viloence प्रभावित इलाकों के नतीजों ने बताया वोटर का मूड, जानें कौन से मुद्दे पड़े भारी
CAA Protest और JNU Viloence प्रभावित इलाकों के नतीजों ने बताया वोटर का मूड, जानें कौन से मुद्दे पड़े भारी

नई दिल्‍ली, डिजिटल डेस्‍क। दिल्ली विधानसभा चुनाव की मतगणना के रूझानों में आम आदमी पार्टी राज्‍य की सत्ता पर काबिज होने की राह पर है। भाजपा दूसरे नंबर पर है जबकि कांग्रेस खाता तक नहीं खोल सकी है। मुद्दों, एजेंडों एवं नारों के लिहाज से देखें तो यह चुनाव ऐतिहासिक था। भाजपा ने राष्‍ट्रवाद को चुनावी मुद्दा बनाया वहीं आप ने विकास और स्‍थानीय समस्‍याओं पर फोकस किया। आइये CAA Protest व JNU Viloence प्रभावित इलाकों के नतीजों पर नजर डालें और पड़ताल करें कि जनता के मन को क्‍या भाया...

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ओखला विधानसभा सीट (Okhla Assembly Seat) से AAP उम्मीदवार अमानतुल्लाह खान की भारी बढ़त मिल गई है। यह वही इलाका है जिसमें शाहीन बाग और जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी पड़ती है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन के चलते जामिया और शाहीन बाग सुर्खियों में रहा था। भाजपा नेताओं ने शाहीन बाग और जामिया में हो रहे CAA विरोधी प्रदर्शनों को चुनावी प्रचार में जोर शोर से उठाया था। यहां तक कि अमित शाह ने भी एक रैली में कहा था कि ईवीएम का बटन इतनी जोर से दबाना की उसका करंट शाहीन बाग तक जाए।

अब नतीजों पर गौर करें तो ओखला विधानसभा क्षेत्र की जनता ने आप उम्‍मीदवार के पक्ष में जनादेश देकर उसके एजेंडे पर मुहर लगाई है। हालांकि, इससे यह नहीं मान लेना चाहिए कि राष्‍ट्रवाद का मुद्दा फेल रहा है। इस इलाके का इतिहास देखें तो 40 फीसदी मुस्लिम बहुल इस सीट पर साल 1993 से लेकर आज तक इस सीट पर ना कभी हिंदू प्रत्याशी ने जीत दर्ज की ना तो कभी भाजपा का खाता खुला है। ऐसे में उक्‍त चुनाव नतीजे को अप्रत्‍याशित नहीं मानना चाहिए। यदि बाकी इलाकों पर गौर करें तो यह जरूर कहा जा सकता है कि जनता ने नेताओं के विवादित बयानों के खिलाफ गुस्‍सा जरूर दिखाया है।

जिन इलाकों में CAA विरोधी प्रदर्शन हुए थे उनमें सीलमपुर, बल्‍लीमारान, चांदनी चौक, सदर बाजार, नई दिल्‍ली विधानसभा के इलाके आते हैं। अब नतीजों पर गौर करें तो सीलमपुर, बल्‍लीमारान, चांदनी चौक, सदर बाजार, नई दिल्‍ली इन सभी विधानसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी के उम्‍मीदवार सफल होने की ओर हैं। इन नतीजों से फौरी तौर पर साफ है कि CAA के खिलाफ प्रदर्शनों को लेकर विवादित बयानबाजियों को जनता ने खारिज करते हुए बिजली पानी जैसी बुनियादी जरूरतों को ही मुद्दा माना है।

इस बीच भाजपा ने दावा किया है कि उसके वोट पर्सेंटेज में इजाफा हुआ है। वैसे इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कहीं लड़ाई में नजर नहीं आई जबकि भाजपा दूसरे नंबर पर काबिज रही है। कई ऐसी भी सीटें रही हैं जहां भाजपा ने काटे की लड़ाई लड़ी है। जाहिर है कि इस चुनाव में राष्‍ट्रवाद भी एक मुद्दा जरूर रहा है। यदि ऐसा नहीं होता तो भाजपा दूसरी पोजीशन भी हासिल नहीं कर पाती। लब्‍बोलुबाब यह जरूर कहा जा सकता है कि आम आदमी पार्टी की ओर से उछाले गए स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के मुद्दे लोगों को आकर्षित करने में कामयाब रहे हैं।  


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