Delhi Election 2020: मेट्रो के तेजी से बढ़ते नेटवर्क के विकास पर अचानक लगा ब्रेक
Delhi Election 2020 जो परियोजना मास्टर प्लान के अनुसार 2021 तक पूरी होनी थी उस पर ठीक से अभी तक काम भी शुरू नहीं हो पाया है।
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। राजधानी में मेट्रो पर सियासत खूब होती रही है। मेट्रो में महिलाओं को मुफ्त सफर तो छात्रों व बुजुर्गों को किराये में रियायत देने की बातें भी कही गई हैं। इस बार विधानसभा चुनाव में भी राजनीतिक दल अपने-अपने तरीके से मेट्रो को भुनाते नजर आएंगे। इस बीच दिल्ली में मेट्रो के तेजी से बढ़ते नेटवर्क के विकास पर अचानक ब्रेक लग गया है। इस वजह से जो परियोजना मास्टर प्लान के अनुसार 2021 तक पूरी होनी थी, उस पर ठीक से अभी तक काम भी शुरू नहीं हो पाया है।
शुरू होना है फेज-4 मेट्रो का काम
फेज चार में दिल्ली में छह नए मेट्रो कॉरिडोर का निर्माण होना है। इसकी लंबाई 103.93 किलोमीटर होगी। इनमें से तीन मेट्रो कॉरिडोर को अभी मंजूरी मिलना भी शेष है। योजना के अनुसार वर्ष 2016-17 तक इस पर काम शुरू होना था। दिल्ली सरकार ने पहले जनवरी 2017 में दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) को योजना की स्वीकृति दी थी। लेकिन, बजट में टैक्स के प्रावधान पर केंद्रीय शहरी विकास मंत्रलय के साथ विवाद के कारण मामला अधर में फंस गया। शुरुआती डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट) रिपोर्ट के अनुसार परियोजना पर 55,208 करोड़ खर्च आने की बात कही गई थी। इसे स्वीकृति मिलने में विलंब के बीच जुलाई 2017 में जीएसटी लागू होने व कर की दर में कमी होने पर बजट 9,605 करोड़ कम कर 45,603 करोड़ निर्धारित किया गया था, लेकिन इसमें दोबारा बदलाव हुआ। इससे परियोजना बजट थोड़ा बढ़ाकर 46,800 करोड़ निर्धारित किया गया। 19 दिसंबर 2018 को दिल्ली सरकार ने परियोजना को मंजूरी दी। जिसके बाद केंद्र सरकार ने सात मार्च 2019 को तीन कॉरिडोर के निर्माण को मंजूरी दी। इसके तहत 24 हजार नौ सौ 48 करोड़ 65 लाख की लागत से तीन मेट्रो लाइन के एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण के लिए टेंडर आवंटित हो गया है। इसमें से जनकपुरी पश्चिम-आरके आश्रम, तुगलकाबाद-एरोसिटी व मजलिस पार्क-मौजपुर कॉरिडोर शामिल हैं। पिछले माह जनकपुरी पश्चिम-आरके आश्रम मेट्रो लाइन के एलिवेटेड कॉरिडोर के एक हिस्से का काम शुरू हुआ है। स्थिति यह है कि इन तीनों मेट्रो लाइनों के भूमिगत कॉरिडोर का अभी तक टेंडर नहीं हो पाया है। इसके अलावा डीएमआरसी को अभी तीन कॉरिडोर को मंजूरी का इंतजार है। इसमें लाजपत नगर- जी ब्लॉक साकेत, रिठाला-नरेला व इंद्रप्रस्थ-इंद्रलोक कॉरिडोर शामिल हैं।
दो कॉरिडोर पर मेट्रो लाइट चलाने की तैयारी
मंजूरी के लिए विचाराधीन तीन कॉरिडोर में से एक रिठाला-नरेला कॉरिडोर पर अब मेट्रो लाइट चलाने का प्रस्ताव किया गया है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रलय के निर्देश पर डीएमआरसी ने दोबारा इसका डीपीआर तैयार किया है। जिसे दिल्ली सरकार व केंद्र सरकार से मंजूरी मिलना बाकी है। इसके अलावा कीर्ति नगर से द्वारका के बीच भी एक मेट्रो लाइट कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव है। डीएमआरसी इस कॉरिडोर का भी डीपीआर तैयार कर मंजूरी के लिए फाइल भेज चुका है। यह कॉरिडोर करीब 19 किलोमीटर लंबा होगा। इस कॉरिडोर पर 21 स्टेशन बनेंगे और इसके निर्माण पर करीब 3084.89 करोड़ रुपया खर्च आएगा। इसका काम वर्ष 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य है। यदि यह योजना परवान चढ़ी तो इन दोनों मेट्रो लाइट कॉरिडोर पर तीन कोच की लाइट मेट्रो चलेगी। जिसमें करीब 300 लोग सफर कर पाएंगे।
दिल्ली देहात में पहुंचेगी मेट्रो
फेज चार में रिठाला-बवाना-नरेला के बीच मेट्रो लाइट कॉरिडोर बनने से दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्र में भी मेट्रो की सुविधा उपलब्ध होगी।
देर से पूरी हुई फेज तीन की परियोजनाएं
फेज तीन में दिल्ली एनसीआर में मेट्रो का नेटवर्क करीब 190 किलोमीटर बढ़ा। इस वजह से दिल्ली एनसीआर में मेट्रो का नेटवर्क 389 किलोमीटर तक पहुंच गया। जिस पर 285 मेट्रो स्टेशन है। सिर्फ दिल्ली में मेट्रो का नेटवर्क करीब 285 किलोमीटर है। इसमें से करीब 115 किलोमीटर हिस्सा फेज तीन में जुड़ा। फेज तीन के मेट्रो कॉरिडोर का निर्माण कार्य वर्ष 2011 में शुरू हुआ था, जो वर्ष 2016 तक बनकर तैयार होने थे, लेकिन उसका काम पूरा वर्ष 2019 में पूरा हो पाया।
त्रिलोकपुरी से मयूर विहार के बीच अब भी काम बाकी
फेज तीन के पिंक लाइन पर त्रिलोकपुरी से मयूर विहार पॉकेट एक के बीच अभी भी काम पूरा नहीं हो पाया है। इस वजह से पिंक लाइन पर अभी तक शिव विहार से मजलिस पार्क तक सीधे मेट्रो की सुविधा उपलब्ध नहीं है। त्रिलोकपुरी से मयूर विहार के बीच जमीन विवाद के कारण कॉरिडोर तैयार नहीं हो पाया। हालांकि जमीन विवाद का मसला हल हो चुका है। इस साल ¨पक लाइन पर शिव विहार से मजलिस पार्क तक सीधी मेट्रो चलने की उम्मीद है।
टाउन प्लानर आरजी गुप्ता का कहना है कि मेट्रो दिल्ली के लोगों के लिए लाइफ लाइन बन चुकी है। करीब 35 से 40 लाख लोग प्रतिदिन इससे सफर करते हैं। इससे पूरे एनसीआर को फायदा हुआ है और आवागमन की सुविधा आसान हुई है। ऐसे समय में जब प्रदूषण व ट्रैफिक जाम एक बार फिर समस्या बनती दिख रही है तो मन में यह विचार आना गलत नहीं है कि यदि मेट्रो न होती तो राजधानी में हालात ज्यादा खराब होते। मेट्रो की वजह से परिवहन सुविधा तो बेहतर हुई ही हैं ट्रैफिक को संभालने में भी मदद मिली है। इसलिए मेट्रो नेटवर्क का विस्तार जरूरी है। फेज चार की परियोजनाओं पर विलंब निराशाजनक है। इस पर जल्द काम शुरू होना चाहिए। क्योंकि मेट्रो दिल्ली की जरूरत है। साथ ही दिल्ली के कई इलाकों में घनी आबादी है। इसलिए मेट्रो के अलावा मोनो रेल कॉरिडोर के निर्माण की दिशा में भी कदम बढ़ाना होगा। इससे घनी आबादी वाले इलाकों में भी परिवहन सुविधा बेहतर होगी।
गोपाल राय (प्रदेश संयोजक, AAP) के मुताबिक, आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद दिल्ली मेट्रो का नेटवर्क लगातार बढ़ा है। इस वजह से मौजूदा समय में दिल्ली में मेट्रो का नेटवर्क 285 किलोमीटर पहुंच गया है। इससे लोगों की सुविधा बढ़ी है। दिल्ली सरकार का हमेशा प्रयास रहा है कि लोगों को सस्ते में मेट्रो में आवागमन की सुविधा मिल सके। हालांकि, दिल्ली सरकार के बावजूद मेट्रो का किराया दोगुना कर दिया गया। वहीं फेज चार की परियोजना पर जल्द काम शुरू करने के लिए दिल्ली सरकार ने कैबिनेट से मंजूरी देकर फाइल केंद्र सरकार के पास भेजी। लेकिन, उस पर भी केंद्र ने रोड़ा लगाया।
प्रवीण शंकर कपूर (प्रवक्ता, प्रदेश भाजपा) का कहना है कि दिल्ली में मेट्रो अटल जी की सरकार लाई थी। कांग्रेस ने हमारी योजना (फेज-1 व फेज-2) को सिर्फ आगे बढ़ाया था। फेज तीन का काम भी केंद्र की भाजपा सरकार में पूरा हुआ। अब फेज चार की योजना को भी हम ही आगे बढ़ा रहे हैं। दिल्ली में आप की सरकार ने फेज चार की योजना को सबसे लंबे समय तक अटका कर रखा। केंद्र सरकार ने जब कहा कि वह अपने बजट से ही फेज चार के कॉरिडोर का निर्माण शुरू करवा देगी, तब दिल्ली सरकार ने उसे मंजूरी दी। इसके बाद भी दिल्ली सरकार ने वित्तीय मामले पर पेंच फंसा दिया। फेज चार की परियोजना भी भाजपा सरकार पूरी करेगी।
सुभाष चोपड़ा (अध्यक्ष, प्रदेश कांग्रेस) के अनुसार, दिल्ली की परिवहन व्यवस्था चरमरा गई है। तीसरे फेज की मेट्रो कॉरिडोर के निर्माण में तीन साल की देरी हुई। इसके लिए आप की सरकार जिम्मेदार है। वही चौथे फेज की परियोजना पर काम शुरू होने में पांच साल की देरी होना इस सरकार की प्रशासनिक क्षमता व नीयत पर सवाल है। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में दस साल में सिर्फ एक बार मेट्रो का किराया बढ़ाया गया था। जबकि केंद्र व दिल्ली सरकार की आपसी सहमति से बीते एक साल में दो बार मेट्रो का किराया बढ़ा गया। जिससे यात्रियों की जेब पर बोझ बढ़ा है।