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Delhi Election 2020: भाजपा के साथ 21 साल पुराने गठबंधन का ख्याल रखेंगे अकाली

Delhi Election 2020 दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा का शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) का लगभग 21 वर्ष पुराना गठबंधन टूट गया है।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 10:32 AM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 10:32 AM (IST)
Delhi Election 2020: भाजपा के साथ 21 साल पुराने गठबंधन का ख्याल रखेंगे अकाली
Delhi Election 2020: भाजपा के साथ 21 साल पुराने गठबंधन का ख्याल रखेंगे अकाली

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। Delhi Election 2020 : दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा का शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) का लगभग 21 वर्ष पुराना गठबंधन टूट गया है। अकाली ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर मतभेद का हवाला देते हुए चुनाव नहीं लड़ने का एलान किया है। यहां दोनों पार्टियों की राहें अलग हो गई हैं, लेकिन यह ध्यान रखा जा रहा है कि इसका असर केंद्र में समझौते पर न पड़े। दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ी थीं और शिअद बादल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हरसीमरत कौर इस समय नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री हैं।

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यही वजह है कि दिल्ली में गठबंधन टूटने के बावजूद दोनों ओर से संयम रखा जा रहा है। कोई भी नेता एक-दूसरे के खिलाफ सख्त टिप्पणी करने से बच रहा है। सोमवार को चुनाव नहीं लड़ने का एलान करते हुए दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीपीसी) के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि यह फैसला सिर्फ दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए है। पंजाब व केंद्र से इसका कोई संबंध नहीं है। इस बारे में कोई भी फैसला शीर्ष नेतृत्व लेगा।

बताते हैं कि चुनाव नहीं लड़ने का फैसला भी सोच-समझकर लिया गया है। पहले 16-17 सीटों पर अकेले लड़ने का फैसला किया गया। कई अकाली नेताओं को नामांकन पत्र तैयार करने को भी कह दिया गया, लेकिन शाम होते-होते पार्टी इससे पीछे हट गई। दरअसल, इन दिनों पार्टी अंदरुनी लड़ाई से जूझ रही है। मनजीत सिंह जीके सहित कई नेता पार्टी से अलग हो गए हैं। इस स्थिति में गठबंधन के बगैर चुनाव जीतना मुश्किल था। दूसरे उम्मीदवार उतारने से भाजपा के खिलाफ बयानबाजी भी करनी पड़ती, जिससे दोनों दलों के बीच खाई और गहरी होती। इसे ध्यान में रखकर चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया गया। सिरसा ने स्पष्ट किया है कि कोई भी अकाली नेता निर्दलीय भी चुनाव नहीं लड़ेगा। यदि कोई चुनाव मैदान में उतरता है तो उसका अकाली दल से नाता खत्म हो जाएगा। भाजपा नेता भी संतुलित बयान दे रहे हैं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी का कहना है कि अकाली दल हमारा पुराना सहयोगी है। सीएए के मुद्दे पर भी सदन में साथ मिला है। किसी कारणवश समझौता नहीं हो सका है।

विरोधियों के निशाने पर शिअद बादल
भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद (शिअद बादल पर विरोधी सिख नेताओं ने भी हमला तेज कर दिया है। जग आसरा गुरु ओट (जागो) पार्टी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने कहा कि यह सुखबीर सिंह बादल की सलाहकार मंडली की विफलता है। 11 वर्षों तक शिअद बादल के अध्यक्ष रहे हैं और भाजपा सम्मान के साथ पार्टी के साथ समझौता करती थी। उन्होंने कहा कि दिल्ली में अकाली दल के अकेले चुनाव न लड़ने की घोषणा के पीछे सीबीआइ और ईडी का डर है, क्योंकि गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी, बहबलकलां गोलीकांड से लेकर ड्रग तस्करी की फाइलें जांच एजेंसियों के पास है। वहीं, भाजपा सिख प्रकोष्ठ के प्रदेश सह संयोजक कमलजीत सिंह धीर कहा गठबंधन टूटने से उन्हें पता चल गया है कि दिल्ली में उनकी सियासी जमीन नहीं है। यही कारण है कि वह चुनाव लड़ने से पीछे हट गए।

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