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Delhi Assembly Election 2020 : कांग्रेस के गढ़ में जब वीर की बिसात पर भारी पड़े कोली

1998 के चुनाव में कांग्रेस ने वीर सिंह धिंगान को मैदान में उतारा। वीर सिंह धिंगान ने पहले ही चुनाव में भाजपा के चंदन पाल सिंह को 16683 वोटों से मात दे दी।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 12:11 PM (IST)Updated: Sat, 08 Feb 2020 02:48 PM (IST)
Delhi Assembly Election 2020 : कांग्रेस के गढ़ में जब वीर की बिसात पर भारी पड़े कोली
Delhi Assembly Election 2020 : कांग्रेस के गढ़ में जब वीर की बिसात पर भारी पड़े कोली

नई दिल्ली [स्वदेश कुमार]। Delhi Assembly Election 2020 : सीमापुरी विधानसभा क्षेत्र 2013 से पहले कांग्रेस का गढ़ बन चुका था। 1998 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले वीर सिंह धिंगान ने इसे भाजपा से छीन लिया था। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और अगले दो विधानसभा चुनावों में वह जीत का फासला बढ़ाते चले गए। लेकिन 2013 में राजनीति में आई आप ने अपने पहले ही प्रयास में कांग्रेस के इस गढ़ पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद अगले चुनाव में भी आप का प्रत्याशी ही यहां से सिरमौर बना।

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1993 में सीमापुरी में पहला विधानसभा चुनाव भाजपा ने जीता था। भाजपा के बलबीर सिंह ने कांग्रेस के गिरि लाल को 1,762 मतों से परास्त किया था। लेकिन इसके बाद के चुनावों में भाजपा यहां हाशिये पर चली गई। 1998 के चुनाव में कांग्रेस ने वीर सिंह धिंगान को मैदान में उतारा। वीर सिंह धिंगान ने पहले ही चुनाव में भाजपा के चंदन पाल सिंह को 16,683 वोटों से मात दे दी।

2003 में भाजपा ने यहां से महिला प्रत्याशी कमला को मैदान में उतारा। लेकिन सिक्का धिंगान का ही चला। वह 17 हजार से अधिक मतों से जीते। 2008 में भाजपा ने फिर से चंदन पाल सिंह को मैदान में उतारा। लेकिन वह धिंगान के सामने टिक नहीं सके। वीर सिंह धिंगान ने इस चुनाव में 19,260 वोटों से फतह कर ली।। लेकिन, अगले चुनाव में ही इस गढ़ पर आप ने अपना झंडा लहरा दिया।

धर्मेंद्र कोली ने धिंगान को हराया

2013 में अपना पहला चुनाव लड़ रही आप ने पहले यहां से संतोष कोली को टिकट दी थी। लेकिन एक हादसे में उनकी मौत हो गई। इसके बाद उनके भाई धर्मेंद्र कोली को पार्टी ने वीर सिंह धिंगान के सामने खड़ा कर दिया। धर्मेंद्र ने इस चुनाव में धिंगान को 11,976 मतों से परास्त कर दिया। धिंगान दूसरे और भाजपा तीसरे नंबर पर पहुंच गई।

2015 में आप ने धर्मेंद्र कोली की जगह राजेंद्र पाल गौतम को प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में आप की ऐसी आंधी चली कि वीर सिंह धिंगान तीसरे नंबर पर चले गए। राजेंद्र पाल गौतम ने इस चुनाव को 48,821 वोटों से जीत लिया। दूसरे स्थान पर भाजपा के कर्मवीर सिंह रहें जिन्हें 30,956 वोट मिले। वहीं धिंगान को 10674 मत पड़े। इस चुनाव में भी कांग्रेस ने वीर सिंह धिंगान पर ही भरोसा जताया है। वहीं आप से राजेंद्र पाल गौतम भी फिर से ताल ठोक चुके हैं।

सुपरवाइजर से विधायक का सफर

वीर सिंह धिंगान राजनीति में आने से पहले नगर निगम में सफाई कर्मचारियों के सुपरवाइजर थे। बाद में वह कांग्रेस के साथ जुड़ गए। 1998 में कांग्रेस को यहां से उम्मीदवार की तलाश थी। तब स्थानीय नेताओं ने ही प्रदेश नेतृत्व को ताहिरपुर सराय में रहने वाले वीर सिंह धिंगान का नाम सुझाया था। पार्टी ने उन पर विश्वास जताया।

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