दिल्ली कांग्रेस चीफ की नियुक्ति को लेकर सोनिया गांधी फिर मुश्किल में, पढ़ें पूरी स्टोरी
जानकारी सामने आ रही है कि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संभावित अध्यक्ष कीर्ति आजाद और दिल्ली कांग्रेस प्रभारी पीसी चाको दोनों के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान शुरू हो गया है।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Delhi assembly Election 2020 : दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर जहां एक ओर दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी (aam aadmi party) और मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) चुनावी तैयारी में जुट गई हैं, वहीं कांग्रेस नई मुसीबत में घिरती नजर आ रही है। दरअसल, जानकारी सामने आ रही है कि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी (Delhi Pradesh Congress Committee) के संभावित अध्यक्ष कीर्ति आजाद और दिल्ली कांग्रेस प्रभारी पीसी चाको दोनों के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान शुरू हो गया है। जाहिर है इससे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि उन्होंने कांग्रेस नेता कीर्ति आजाद के नाम पर लगभग मुहर लगा दी है।
PM चाको के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान
यहां पर बता दें कि कई गुटों में बंटी दिल्ली कांग्रेस के कई नेता दिल्ली कांग्रेस प्रभारी पीसी चाको से खुश नहीं हैं।कुछ नेताओं को तो उनकी कार्यप्रणाली तक पसंद नहीं आ रही है। बताया जा रहा है कि यही वजह है कि सोनिया गांधी तक अपनी बात पहुंचाने के लिए कांग्रेस नेताओं ने दिल्ली कांग्रेस कमेटी के संभावित अध्यक्ष कीर्ति आजाद और प्रदेश प्रभारी पीसी चाको दोनों के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान शुरू कर दिया है।
दीवाली तक लटक सकता है नए अध्यक्ष का मामला
बताया जा रहा है कि हस्ताक्षर अभियान ने आलाकमान की मुश्किल बढ़ा दी है। ऐसे में माना जा रहा है कि दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नई नियुक्ति का मामला दिवाली तक लटक सकता है। सूत्रों की मानें तो पहली कोशिश यही है कि जो भी नया अध्यक्ष बने, उसे लेकर सहमति बने।
मुश्किलों के दौर से नहीं उबर पा रही है कांग्रेस
सूत्रों की मानें तो दिल्ली कांग्रेस में अजय माकन, जेपी अग्रवाल, अरविंद सिंह लवली, संदीप दीक्षित समेत दर्जन भर दिग्गज नेताओं के गुट हैं और सभी चाहते हैं कि नए कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति उनके गुट से हो। ऐसे में आलाकमान के सभी को संतुष्ट करना असंभव है।
अलका लांबा के पार्टी में शामिल होने के दौरान सिर्फ पीसी चाको थे मौजूद
पिछले सप्ताह शनिवार को जब अलका लांबा ने कांग्रेस कार्यालय में प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की तो उस दौरान बड़े नेताओं में सिर्फ पीसी चाको ही मौजूद थे। जाहिर है कि गुटबाजी हावी है, जबकि अलका लांबा सीधे सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद कांग्रेस पार्टी में शामिल हुई हैं।
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