Delhi Election 2020: BJP-शिरोमणि अकाली दल में गठबंधन को लेकर असमंजस की स्थिति
Delhi Election 2020 भाजपा ने अपने प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है लेकिन शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) के साथ गठबंधन को लेकर अब भी संशय की स्थिति बनी हुई है।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। Delhi Election 2020 : दिल्ली में विधानसभा चुनाव-2020 की तिथि घोषित हो गई है। भाजपा ने अपने प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है, लेकिन शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) के साथ गठबंधन को लेकर अब भी संशय की स्थिति बनी हुई है। अकाली दल ने सीट बंटवारे सहित विधानसभा से जुड़े अन्य मामलों पर विचार करने के लिए समिति भी बनाई है, लेकिन भाजपा इसे लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। वह अबतक दिल्ली में शिअद बादल के साथ मिलकर चुनाव लड़ती रही है।
गठबंधन के तहत विधानसभा चुनावों में अकाली को चार सीटें मिलती थी, लेकिन इस बार इसके नेता छह से सात सीटों पर दावेदारी जता रहे हैं। उनका तर्क है कि दिल्ली में उनकी पार्टी का जनाधार बढ़ा है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में पार्टी को लगातार दूसरी बार जीत मिली है। इसके साथ ही राजौरी गार्डन उपचुनाव में भी पार्टी ने आम आदमी पार्टी को शिकस्त दी है। इसे ध्यान में रखते हुए इस बार सहयोगी दल भाजपा से ज्यादा सीटों की मांग की जाएगी। वर्ष 2013 और वर्ष 2015 के विधानसभा चुनावों में शिअद बादल के हिस्से में राजौरी गार्डन, हरि नगर, कालकाजी और शाहदरा विधानसभा क्षेत्र आए थे। इनमें से हरि नगर सीट पर शिअद बादल के चुनाव चिह्न पर उम्मीदवार ने चुनाव लड़ा था। शेष तीन सीटों पर अकाली नेता भाजपा के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरे थे।
चुनाव की घोषणा होने के साथ ही पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति बना दी है। यह समिति प्रचार अभियान, समन्वय और सीट बंटवारे को लेकर भाजपा नेताओं से बात करेगी। समिति में सांसद बल¨वदर सिंह भुंदर, प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा और नरेश गुजराल शामिल हैं। दूसरी ओर भाजपा नेता इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं। दरअसल, हरियाणा में भी दोनों पार्टियों में गठबंधन नहीं हो सका था। वहां इंडियन नेशनल लोकदल के साथ मिलकर अकाली चुनाव लड़े थे और उसके नेताओं ने चुनाव प्रचार में भाजपा पर तीखे प्रहार भी किए थे। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर भी अकाली नेता सवाल उठाते रहे हैं। इसके साथ ही इस बार ज्यादा सीटों की मांग की जा रही है। इसे लेकर दिल्ली के भाजपा नेताओं में नाराजगी है। भाजपा के कई नेताओं का मानना है कि अकालियों को तरजीह देने के बजाय अपने सिख कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ाना चाहिए।
विधानसभा स्तर पर उम्मीदवारों के चयन के लिए कार्यकर्ताओं की राय ले रही है। उनकी राय के आधार पर पार्टी अगला कदम उठाएगी। इस बारे में भाजपा चुनाव प्रबंधक समिति के संयोजक तरुण चुघ का कहना है कि दिल्ली में गठबंधन व सीट बंटवारे से संबंधित फैसला संसदीय बोर्ड करेगा।