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बढ़ती आबादी के कारण बढ़ रही है भारत में बेरोजगारी : गिरिराज सिंह

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि 2008 से इस मुद्दे को वह लगातार उठाते आ रहे हैं। लेकिन वोट बैंक की राजनीति करने वाले लोग इसे धर्म से जोड़ देते हैं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 28 Sep 2019 09:37 AM (IST)Updated: Sat, 28 Sep 2019 09:37 AM (IST)
बढ़ती आबादी के कारण बढ़ रही है भारत में बेरोजगारी : गिरिराज सिंह
बढ़ती आबादी के कारण बढ़ रही है भारत में बेरोजगारी : गिरिराज सिंह

नई दिल्ली, जेएनएन। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj singh) ने कहा है कि देश में बढ़ती बेरोजगारी, उच्च शिक्षा में अवसरों की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं में कमी आने का कारण बढ़ती आबादी है। जनसंख्या नियंत्रण न होने के कारण सुविधाएं कम पड़ती जा रही हैं। जनसंख्या विस्फोट देश के लिए दूसरी स्टेज का कैंसर बन रहा है। आबादी अगर इसी तरह से बढ़ती रही, तो यह समस्या कैंसर के चौथे स्टेज की तरह लाइलाज हो जाएगी।

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नए भारत की जरूरत जनसंख्या नियंत्रण विषय पर संगोष्ठी

हिंदू भवन में शुक्रवार को यंग लीर्डस फाउंडेशन की तरफ से ‘नए भारत की जरूरत जनसंख्या नियंत्रण’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। इसमें मुख्य वक्ता के रूप में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि 2008 से इस मुद्दे को वह लगातार उठाते आ रहे हैं। लेकिन, वोट बैंक की राजनीति करने वाले लोग इसे धर्म से जोड़ देते हैं। इस समय देश की आबादी करीब 130-135 करोड़ बताई जाती है, जबकि हकीकत में देश की आबादी 150 करोड़ पहुंच चुकी है।

 2050 में होगी पानी की गंभीर समस्‍या

एक रिपोर्ट के मुताबिक 2050 में देश में 55 प्रतिशत लोगों को पीने के लिए पानी नहीं मिलेगा। वातावरण और वायु जिस तरह से खराब हो रही है, उसमें लोगों को सांस लेने के लिए हवा तक नहीं मिलेगी। देश में हर वर्ष दो करोड़ बच्चे पैदा हो रहे हैं। इस स्थिति को देखा जाए तो भारत में जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या ब्राजील की कुल आबादी से दोगुनी और आस्ट्रेलिया की कुल आबादी से डेढ़ गुनी है। उन्होंने कहा कि जिन स्थानों पर आबादी बढ़ी है, वहां पर सामाजिक समरसता कम हुई है।

युवा पीढ़ी पर निर्भर भविष्‍य

विशेष तौर पर उन इलाकों में जहां अल्पसंख्यकों की आबादी में तेजी से इजाफा हुआ है। बढ़ती आबादी के दुष्परिणाम को सड़कों पर बढ़ती भीड़, अस्पतालों में लगी मरीजों की कतार, उच्च शिक्षा के लिए लगी लाइनों को देखकर लगाया जा सकता है। आबादी बढ़ने से सुविधाएं घट रही हैं। अब यह युवा पीढ़ी पर निर्भर है कि वे अपना भविष्य कैसा देखना चाहते हैं।

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