भाजपा का दावा, दिल्ली में पार्टी जीतेगी 48 सीटें, Exit Poll को किया खारिज
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने दावा किया है कि भाजपा दिल्ली में 48 सीटें जीतेगी। एग्जिट पोल के नतीजे फेल होंगे।
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली विधानसभा चुनाव को मतदान को लेकर खत्म हो चुका है। एक्जिट पोल में सरकार बनाने को लेकर अलग-अलग दावे किए गए हैं। ज्यादातर एक्जिट पोल में आप को बढ़त के दावे किए जा रहे हैं। वहीं भाजपा के वोट प्रतिशत और सीटें बढ़ने की भी संभावना जताई जा रही है। दिल्ली में भाजपा फिर नंबर दो पर है, उसे अधिकतम 26 सीटें और कांग्रेस को अधिकतम 2 सीटें मिलने के अनुमान हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भी आप ने 70 में से 67 सीटें जीती थीं और भाजपा के खाते में केवल 3 सीटें गई थीं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने दावा किया है कि भाजपा दिल्ली में 48 सीटें जीतेगी। एग्जिट पोल के नतीजे फेल होंगे।
ये सभी एग्ज़िट पोल होंगे fail..
मेरी ये ट्वीट सम्भाल के रखियेगा..
भाजपा दिल्ली में ४८ सीट ले कर सरकार बनायेगी .. कृपया EVM को दोष देने का अभी से बहाना ना ढूँढे..🙏 — Manoj Tiwari (@ManojTiwariMP) February 8, 2020
आज-तक और एक्सिस माइ इंडिया के सर्वे के अनुसार भाजपा को 35 फीसदी वोट मिल सकते हैं। जबकि 2015 में भाजपा को 32 फीसदी मिले थे। रिपब्लिकन टीवी के एक्जिट पोल के अनुसार, भाजपा को 9-21 सीटें मिल सकती हैं। इंडिया टीवी के एक्जिट पोल के अनुसार भाजपा को 26 सीटें मिल सकती हैं।
अंतिम चरण में जमकर झोंकी मेहनत
चुनाव के छह महीने पहले अरविंद केजरीवाल ने जिस तरह से घोषणाएं की, उससे चुनाव एक तरफा लग रहा था। लेकिन एक महीने पहले आते-आते दिल्ली विधानसभा का परिदृश्य बदल गया। पूरे चुनाव में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने जमकर मेहनत की। अकेले अमित शाह ने भाजपा की 200 से अधिक सभाएं की।
अंतिम चरण के प्रचार के लिए भाजपा ने बड़े नेताओं के साथ साथ लगभग 250 सांसदों को भी मैदान में उतारा गया जिन्हें दिल्ली की झुग्गियों में एक रात गुजारने को कहा गया। इन सांसदों को दिल्ली में फैले उन झुग्गी-झोपड़ियों में पहुंचने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जहां उनके संसदीय क्षेत्र से आकर रहने वालों की संख्या अधिक है। इसे अरविंद केजरीवाल के कोर वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश के रूप में देखा गया।
दिल्ली में भाजपा का कोर वोटर लगभग 33 फीसद है जो किसी भी परिस्थिति में उसे वोट देता ही है। यही कारण है कि 2015 में अरविंद केजरीवाल की लहर में भी भाजपा लगभग 33 फीसदी वोट लाने में सफल रही थी। उसकी तुलना में इस बार मत प्रतिशत बढ़ा है।