चुनावी दंगल: दिखे लोकतंत्र के खूबसूरत रंग, EVM में किस्मत बंद; नेताओं की बढ़ी रहीं धड़कनें
कार्यकर्ता जहां अपने उम्मीदवारों को जीत दिलाने के लिए जी-तोड़ कोशिश करते दिखे तो मतदाताओं ने भी लोकतंत्र के इस उत्सव में बढ़ चढ़कर भाग लिया।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। चुनाव प्रचार अभियान की तरह मतदान के दिन भी राजधानी की फिजा हर पल बदलती रही। नेताओं के बीच जहां जुबानी जंग होती रही, वहीं कार्यकर्ता दिनभर पसीना बहाते रहे। आरोप-प्रत्यारोप, नोकझोंक, हल्की झड़प और नाराजगी के साथ ही उत्साह व उत्तेजना के बीच मतदाताओं ने अपना फैसला ईवीएम का बटन दबाकर दे दिया है। अब सभी को 11 फरवरी का इंतजार है, जब ईवीएम में बंद सूरमाओं के भविष्य खुलेंगे।
जीत के लिए जी-तोड़ कोशिश
कार्यकर्ता जहां अपने उम्मीदवारों को जीत दिलाने के लिए जी-तोड़ कोशिश करते दिखे तो मतदाताओं ने भी लोकतंत्र के इस उत्सव में बढ़ चढ़कर भाग लिया। रिठाला सहित कई स्थानों पर कार्यकर्ता आपस में भिड़ते रहे तो कहीं एक-दूसरे पर तंज कसते दिखे।
लोकतंत्र का पर्व
इसके विपरीत कई मतदान केंद्रों से कुछ दूरी पर अलग-अलग पार्टियों के टेबल के पास टोपी लगाकर खड़े कार्यकर्ता हंसी-मजाक कर रहे थे। कड़वाहट भरे चुनाव प्रचार अभियान के बाद कार्यकर्ताओं का यह मिजाज संदेश दे रहा था कि यह लोकतंत्र का पर्व है और इसमें कटुता का कोई स्थान नहीं है। इस हंसी मजाक के बीच मतदाताओं को अपने टेबल पर बुलाने और हाथ जोड़कर अपने प्रत्याशी के समर्थन की मूक अपील करने को लेकर भी वह सजग थे।
क्यूआर कोड वाली वोटर पर्ची से हुआ मतदान
मतदाता भी कहीं उत्साहित तो कहीं नाराजगी से भरे हुए थे। कई मतदान केंद्रों पर क्यूआर कोड वाली वोटर पर्ची दी जा रही थी। जिनके पास यह पर्ची नहीं थी, उन्हें मतदान करने में दिक्कत आई और कई वंचित रह गए, जिससे उनमें नाराजगी थी। त्रिलोकपुरी में साहिल परिवार के साथ वोट देने आए थे, लेकिन उन्हें वापस लौटा दिया गया। इसी तरह से मोबाइल लेकर वोट देने पहुंचे मतदाता भी सुरक्षा कर्मियों से उलझते दिखे। द्वारका में विजय का कहना था कि चुनाव आयोग को मोबाइल रखने की व्यवस्था करनी चाहिए। इसी तरह से कई स्थानों पर लोगों को वाहन खड़ा करने में परेशानी हुई। इन सबके बीच आदर्श मतदान केंद्र, पिंक बूथ पर पहुंचे मतदाताओं को वीआइपी होने का एहसास हो रहा था।