शीला दीक्षित के निधन के बाद पहली बार एकजुट दिखी कांग्रेस, मगर अभी खत्म नहीं हुई है परेशानी
गांधी जयंती पर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय से राजघाट तक निकली गांधी संदेश पदयात्रा से पार्टी को कुछ ऑक्सीजन मिलने की उम्मीद अवश्य है।
नई दिल्ली, जेएनएन। इसे सोनिया और राहुल गांधी को चेहरा दिखाने की ललक कहें या विधानसभा चुनाव की आहट का असर या कुछ और..लेकिन गांधी संदेश पदयात्रा से तमाम छोटे बड़े कांग्रेसी एकता के सूत्र में बंधे नजर आए। लंबे अरसे बाद ऐसा देखने को मिला जब पार्टी के किसी आयोजन में प्रदेश कांग्रेस ही नहीं, एआइसीसी के भी प्रमुख नेताओं ने शिरकत की हो। पार्टी कार्यकर्ताओं ने भी पदयात्रा में अच्छी उपस्थिति दर्ज कराई।
शीला दीक्षित के निधन के बाद हाशिए पर है कांग्रेस
शीला दीक्षित के निधन के बाद भले ही प्रदेश कांग्रेस हाशिए पर चली गई है और पार्टी में गुटबाजी भी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है, लेकिन बुधवार को गांधी जयंती पर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय से राजघाट तक निकली गांधी संदेश पदयात्रा से पार्टी को कुछ ऑक्सीजन मिलने की उम्मीद अवश्य है। जिस तरह से इस पदयात्रा के दौरान दिल्ली के कांग्रेसियों ने एकजुटता दिखाई है, उससे लगता है कि दिल्ली कांग्रेस में कुछ हलचल हुई है।
फिर से खराब हो सकती है स्थिति
हालांकि दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि यदि जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष घोषित नहीं हुआ तो स्थिति फिर खराब हो सकती है। ऐसे में दिल्ली कांग्रेस के हर नेता की निगाहें इस समय राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी पर ही टिकी हुई है।
पदयात्रा से जगी एकता की उम्मीद
इस पदयात्रा से प्रदेश कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं में यह उम्मीद भी जगी है कि पार्टी की मौजूदा स्थिति में सुधार संभव है। पदयात्रा में दिल्ली के एक- दो बड़े नेताओं को छोड़ दें तो सभी मौजूद थे। सभी जिलाध्यक्षों को पहले ही टास्क दे दिया गया था। 150 से अधिक बसें इस पदयात्रा के लिए लगाई गई थीं। पार्टी कार्यकर्ताओं की इतनी संख्या देखकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी गदगद दिखाई दे रहे थे। इसमें सोनिया गांधी के साथ-साथ राहुल गांधी भी थे।