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जानिए, दिल्‍ली के विधानसभा चुनाव में AAP की जीत के वो 10 कारण, जिससे मिली बंपर सफलता

दिल्‍ली विधानसभा में मतगणना के बाद आम आदमी पार्टी (आप) का सरकार बनना तय है। यहां 70 में से 62 सीटें जीती है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 11 Feb 2020 06:25 PM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2020 10:49 PM (IST)
जानिए, दिल्‍ली के विधानसभा चुनाव में AAP की जीत के वो 10 कारण, जिससे मिली बंपर सफलता
जानिए, दिल्‍ली के विधानसभा चुनाव में AAP की जीत के वो 10 कारण, जिससे मिली बंपर सफलता

नई दिल्‍ली, जेएनएन। दिल्‍ली विधानसभा में मतगणना के बाद आम आदमी पार्टी (आप) का सरकार बनना तय है। यहां 70 में से 62 सीटें जीती है। इससे पहले 2015 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीती थी। आइये आनते हैं वो दस कारण, जिसके कारण आम आदमी पार्टी दिल्‍ली का चुनाव जीतने में सफल रही।

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1. दिल्‍ली में आम आदमी पार्टी ने अरविंद केजरीवाल का मुख्‍यमंत्री पद का उम्‍मीदवार घोषित किया। इसके बनिस्‍पत भाजपा और कांग्रेस ने सीएम पद का उम्‍मीदवार नहीं घोषित किया। इसका सीधा असर चुनाव में देखने को मिला। इसको लेकर अरविंद केजरीवाल ने भाजपा को बार-बार चुनौती दी। यह बात आम आदमी पार्टी के पक्ष में रही।

2.आम आदमी पार्टी का चुनाव पॉजीटिव रहा। अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी ने अपना चुनाव अपने काम पर फोकस किया और विवादास्‍पद बयानों से परहेज किया। अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी भाजपा के बार-बार कहने के बावजूद उसके ट्रैप में नहीं फंसी। उसके नेता सीएए के खिलाफ शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शन में शामिल नहीं हुए। हालांकि उन्‍होंने बयानों में सीएए का विरोध किया। वो जानते थे कि दिल्‍ली में हिंदू धर्म के लोग बहुसंख्‍यक हैं। अगर वो शाहीन बाग जाते हैं कि तो हिंदू वोटों से हाथ धो बैठेंगे।

3. पसर्नल अटैक को अरविंद केजरीवाल ने मुद्दा बनाया। उन्‍होंने बार-बार अपने आप को दिल्‍ली का बेटा बताया। दिल्‍ली में उन्‍हें भाजपा नेता प्रवेश वर्मा, तजिंदर पाल सिंह बग्‍गा और कपिल मिश्रा ने अरविंद केजरीवाल का आतंकवादी कहा। इसको लेकर चुनावों के दौरान बार-बार लोगों से पूछा कि क्‍या मैं आतंकवादी हूं। यही कारण है कि इसको लेकर चुनाव आयोग सख्‍ती दिखाई और ऐसा बोलने वालों को प्रतिबंधित किया। कपिल मिश्रा ने ट्वीट कर कहा था कि 8 फरवरी को भारत और पाकिस्‍तान के बीच मुकाबला होगा। ऐसा करने पर आम आदमी पार्टी ने मुद्दा बनाया। यही कारण है कि कपिल मिश्रा को दो दिन को चुनाव आयोग ने प्रतिबंध लगाया। 

4. दिल्ली चुनाव में भी भाजपा ने स्थानीय के बजाय राष्ट्रीय मुद्दों पर फोकस रखा। भाजपा नेता अपनी सभाओं में नागरिकता संशोधन कानून, पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक से लेकर अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाते रहे। भाजपा ने स्थानीय मुद्दों को उठाया जरूर लेकिन उसके पूरे कैंपेन में सीएए और दूसरे राष्ट्रीय मुद्दे और राष्ट्रवाद ही हावी रहे।   

5. दिल्‍ली में तीन बार सरकार बनाने वाली कांग्रेस का चुनावों में पूरी तरह से बाहर होना आम आदमी पार्टी के पक्ष में रहा। चुनावों में कांग्रेस के 67 उम्‍मीदवार अपनी जमानत गंवा बैठे। वो किसी सीट पर नबंर दो की पोजिशन में नहीं रहे। उसने अपनी 5 फीसदी वोट गंवा दिए। उसको 2020 के चुनावों में सिर्फ 5 फीसदी वोट मिले। उसका खाता तक नहीं खुला। इस कारण दिल्‍ली में सीधे मुकाबला आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच मुकाबला रहा। भाजपा को 6 फीसदी से ज्‍यादा वोट मिलने के बाद भी सिर्फ 7 सीटें मिलीं। कांग्रेस के बड़े नेता राहुल गांधी ने चुनावों के दौरान जयपुर और वायनाड में रैली की लेकिन दिल्‍ली में सभा करना उचित नहीं समझा। यही कारण है कि कांग्रेस चुनावी मुकाबले से बाहर हा गई।

6. चुनावों में अरविंद केजरीवाल की छोटी पार्टी होने के बाद भी भाजपा जैसी बड़ी पार्टी का जमकर मुकाबला किया। भाजपा ने चुनावों के दौरान अपने 70 केंद्रीय मंत्री, 11 मुख्‍यमंत्री और ढाई सौ सांसदों को मैदान में उतारा। चुनावों में अमित शाह ने दो सौ से अधिक सभाएं की। इसके मुकाबले कुशल रणनीति बनाते हुए अरविंद केजरीवाल ने खुद अकेले पार्टी का नैया को पार लगाया। उन्‍होंने काम के मुद्दे पर फोकस बनाए रखा।

7. दिल्‍ली में फ्री बिजली-पानी का मुद्दा हिट रहा। 2015 में सरकार बनने के बाद आम आदमी पार्टी ने 20 हजार लीटर मुफ्त पानी देने का वादा किया था। उसने सरकार बनते ही इसे लागू किया। इसके अलावा दिल्‍ली में 2015 में सरकार बनने पर 200 यूनिट पर आधी सब्सिडी देना शुरू किया। इसके बाद अगस्‍त 2019 में 200 यूनिट पर पूरी सब्सिडी देना शुरू किया यानी 200 यूनिट तक पूरी बिजली मुफ्त कर दी। इसके बाद आम आदमी पार्टी के गारंटी कार्ड में अगले पांच साल तक 200 यूनिट बिजली मुफ्त देने का आश्‍वासन दिया है।

8. नवंबर 2019 में आप सरकार ने महिलाओं की बसों में यात्रा मुफ्त कर दी। इससे कामकाजी महिलाओं और घरेलू महिलाओं को बड़ी राहत मिली। इससे आप सरकार ने पचास फीसद आबादी को अपनी ओर आकर्षित करने में सफलता पाई। इसके साथ ही बसों में मार्शल भी लगाए गए। इससे चुनावों में महिला सुरक्षा का मुद्दा छाया रहा। यही कारण है कि 2020 के दिल्‍ली विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने आम आदमी पार्टी के पक्ष में बंपर वोटिंग की।

9. दिल्‍ली के सरकारी स्‍कूलों में व्‍यापक तौर पर सुधार किया गया। पहली दिल्‍ली के सरकारी स्‍कूल कान्‍वेंट स्‍कूलों के मुकाबले नजर आए। इसके लिए दिल्‍ली के बजट का 25 फीसद शिक्षा के लिए आव‍ंटित किया गया। इससे दिल्‍ली में करीब 20 हजार नए कमरों का निर्माण किया गया। इसके अलावा दिल्‍ली सरकार ने प्राइवेट स्‍कूलों की फीस वृद्धि पर रोक लगाई। इसके सीधा असर देखने को मिला।

10. दिल्‍ली में मोहल्‍ला क्‍लीनिक के जरिए लोगों को घरों के मुफ्त स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा देने का प्रयास किया। इसके लिए दिल्‍ली में करीब 450 मोहल्‍ला क्‍लीनिक बनाए् गए। यहां पर लोगों का इलाज करने, लैब की सुविधा और मुफ्त दवा की सुविधा उपलब्‍ध कराई गई। दिल्‍ली में करीब ढाई लाख कैमरे सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। महिला सुरक्षा और इससे लोगों की सुविधा बढ़ गई। यह मुद्दा चुनावों में छा गया।  


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