Delhi Assembly Election 2020: 'आप' के बागियों को जनता ने सिखाया सबक़, अधिकांश को मिली करारी हार
Delhi Assembly Election 2020 आम आदमी पार्टी ने इस बार चुनाव में अपने 15 विधायकों के टिकट काट दिये। उनकी जगह पार्टी ने दूसरे कार्यकर्ताओं को मौक़ा दिया। इनमें से कुछ ने पार्टी के फ़ैसले को स्वीकार कर लिया मगर कुछ ने बग़ावत कर दी।
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक बार फिर आम आदमी पार्टी को स्पष्ट और ऐतिहासिक जीत मिली है। आप ने 62 सीटों पर शानदार जीत हासिल की है। आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर दिल्ली जीत ली है। लगभग एकतरफ़ा रहे चुनाव की ख़ासियत यह रही कि जनता ने ऐसे उम्मीदवारों को सबक सिखा दिया, जिन्होंने ऐन वक़्त पर पार्टी छोड़कर टिकट के लिए किसी दूसरी पार्टी का दामन थामा। इनमें सबसे ज़्यादा संख्या आम आदमी पार्टी के बागियों की ही है। हालांकि कुछेक अपवाद भी हैं।
आम आदमी पार्टी ने इस बार चुनाव में अपने 15 विधायकों के टिकट काट दिये। उनकी जगह पार्टी ने दूसरे चेहरों को मौक़ा दिया। जिनके टिकट कटे, उनमें से कुछ ने पार्टी के फ़ैसले को स्वीकार कर लिया, मगर कुछ ने एलाने-बग़ावत कर दिया। दक्षिण दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली बदरपुर विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी के विधायक नारायण दत्त शर्मा भी बाग़ी हुए। पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो शर्मा जी ने बहुजन समाज पार्टी से चुनाव लड़ा। हालांकि उन्हें मुंह की खानी पड़ी। बदरपुर सीट पर आम आदमी पार्टी के रामजी सिंह नेताजी बीजेपी के कद्दावर प्रत्याशी रामवीर सिंह बिधूड़ी से हार गये।
द्वारका विधानसभा सीट पर आदर्श शास्त्री आम आदमी पार्टी से विधायक थे, मगर पार्टी ने इस बार विनय मिश्रा को मैदान में उतारा, जो कांग्रेस के नेता रहे पूर्व सांसद महाबल मिश्रा के बेटे हैं। आदर्श कांग्रेस के टिकट पर चुनाव में उतरे। विनय ने बीजेपी के प्रद्युम्न राजपूत को हराकर जीत हासिल की। आदर्श शास्त्री को जनता ने नकार दिया है।
दिल्ली कैंट विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी ने अपने विधायक कमांडो सुरेंद्र सिंह के बदले वीरेंद्र सिंह कादियान को टिकट दिया। नाराज़ सुरेंद्र एनसीपी से टिकट ले आये। यह सीट वीरेंद्र सिंह ने जीत ली है। ज़ाहिर है कि बाग़ी विधायक को जनता ने ख़ारिज़ कर दिया।
गोकलपुर विधानसभा सीट (सुरक्षित) पर आम आदमी पार्टी ने फतेह सिंह का टिकट काटकर चौधरी सुरेंद्र कुमार को दे दिया। फतेह सिंह ने एनसीपी के टिकट पर चुनाव लड़ा। नतीजा फतेह सिंह को हार का सामना करना पड़ा। यहां सुरेंद्र ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के रंजीत सिंह को हरा दिया है।
कुछ ऐसा ही अंजाम कपिल मिश्रा और अलका लाम्बा का भी हुआ। आम आदमी पार्टी सरकार में मंत्री रहे कपिल ने कुछ वक़्त पहले पार्टी छोड़ दी थी। कपिल ने तभी से अरविंद केजरीवाल और पार्टी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया था। बीजेपी ने उन्हें मॉडल टाउन विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारा। हालांकि कपिल आम आदमी पार्टी के अखिलेश पति त्रिपाठी के हाथों हारे। शुरुआत में कपिल ने बढ़त बनाकर सांसें रोक दी थीं।
आम आदमी पार्टी की फायर ब्रैंड नेता अलका लाम्बा ने कुछ वक़्त पहले पार्टी छोड़ दी। उन्हें कांग्रेस ने चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया, मगर अलका का यह दांव नहीं चला और जनता ने उनकी बग़ावत को ठुकरा दिया। चांदनी चौक से आप के प्रह्लाद सिंह साहनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के सुमन कुमार गुप्ता से काफ़ी आगे चल रहे हैं।
हालांकि इनमें कुछ अपवाद भी हैं। आप नेता अनिल बाजपेयी ने टिकट ना मिलने पर बीजेपी का दामन थामा और पार्टी ने उन्हें गांधी नगर विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारा। बीजेपी का फ़ैसला सही रहा। अनिल बाजपेयी ने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार नवीन चौधरी को हराकर जीत हासिल की।
पांच बार विधायक रह चुके शोएब इकबाल ने 2015 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था, मगर इस बार वक़्त की चाल को भांपते हुए पाला बदलकर आम आदमी पार्टी के टिकट पर मटिया महल विधानसभा क्षेत्र से लड़े। नतीजा शोएब के हक़ में रहा।