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नक्सलियों के कब्जे वाले इलाकों में गूंजने लगा लोकतंत्र का नारा

नक्सली बहिष्कार से सहमे ग्रामीण घरों से बाहर नहीं निकलते थे, लेकिन अब तस्वीर जुदा नजर आ रही है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Thu, 18 Oct 2018 09:11 PM (IST)Updated: Thu, 18 Oct 2018 09:33 PM (IST)
नक्सलियों के कब्जे वाले इलाकों में गूंजने लगा लोकतंत्र का नारा
नक्सलियों के कब्जे वाले इलाकों में गूंजने लगा लोकतंत्र का नारा

सुकमा, राज्य ब्यूरो। कोंटा विधानसभा क्षेत्र में इस बार हालात बदले हुए नजर आ रहे हैं। पिछले चुनावों तक यहां के दर्जनों मतदान केंद्रों में एक भी वोट नहीं पड़ते थे। नक्सली बहिष्कार से सहमे ग्रामीण घरों से बाहर नहीं निकलते थे, लेकिन अब तस्वीर जुदा नजर आ रही है। ग्रामीण हाथों में मशाल लिए लोगों से मतदान करने की अपील करते घूम रहे हैं। ग्रामीणों को बिना किसी प्रलोभन में आए मतदान करने का संकल्प भी यहां दिलाया जा रहा है। यह बदलाव प्रशासन के द्वारा चलाए जा रहे स्वीप कार्यक्रम से आया है।

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दोरनापाल-जगरगुंडा मार्ग पर स्थित धुर नक्सल प्रभावित गांव मुकर्रम में घर-घर पहुंचकर ग्रामीणों को मतदान का महत्व समझाया गया। इसके बाद ग्रामीण स्वेच्छा से आगे आए और हाथ में मशाल थामे पूरे क्षेत्र के गांवों में भ्रमण करके 12 नवंबर को होने वाले चुनाव में मतदान करने का संकल्प दिला रहे हैं।

मुकर्रम में नहीं पड़ा था एक भी वोट

मुकर्रम वही गांव है जहां 2013 के चुनाव में एक भी ग्रामीण मतदान करने घर से बाहर नहीं आया था। यहां नक्सलियों ने वोट करने पर उंगली काटने की धमकी दी थी।

13 केंद्रों पर हुआ था जीरो मतदान

2013 में कोंटा विधानसभा के 13 मतदान केंद्रों पर नक्सली डर से जीरो प्रतिशत मतदान हुआ था। यानी एक भी वोट नहीं पड़ा था। इनमें मुकर्रम, भीमापुरम, पूवर्ती, चिमलीपेंटा, सुरपनगुड़ा, एलमपल्ली, कोलईगुड़ा, गोरखा, भेज्जी 2, गुमोड़ी, कामाराम, उरसापाल व वैनपल्ली शामिल थे। वहीं सिलगेर, मोरपल्ली, लखापाल जैसे 18 मतदान केंद्र ऐसे रहे जहां मात्र चार- पांच लोगों ने ही मतदान किया था।

'निष्पक्ष व शांतिपूर्ण चुनाव कराना मुख्य मकसद है जिसके लिए सामुदायिक सहभागिता जरूरी है। स्वीप कार्यक्रम चलाकर लोगों को मतदान के प्रति जागरूक किया जा रहा है। ग्रामीण स्वेच्छा से इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।

- जय प्रकाश मौर्य, कलेक्टर व जिला निर्वाचन अधिकारी, सुकमा

अबुझमाड़ में मशाल थामे ग्रामीण कर रहे मतदान की अपील

अबूझमाड़ के गांवों में नक्सलियों के खौफ से कभी चुनावी सीजन में सन्नाटा पसरा रहता था। राजनैतिक दलों के कार्यकर्ता भी इन गांवों में घुसने से कतराते थे। परिणाम स्वरूप कई मतदान केंद्रों में शून्य मतदान की स्थिति रहती थी। इस बार फोर्स ने न केवल इन इलाकों में अपनी पहुंच व प्रभाव बढ़ाया है बल्कि वह ग्रामीणों को लोकतंत्र का महत्व बताते वोटिंग के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं। जवान नक्सलियों के मांद में घुसकर ग्रामीणों को चुनावी प्रक्रिया के बारे में जानकारी देकर मतदान प्रक्रिया में हिस्सा लेने की अपील कर रहे हैं। पिछले एक पखवाडे से जिले में तैनात सुरक्षाबल सर्चिंग अभियान के दौरान गांव-गांव में चौपाल लगाकर ग्रामीणों को लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेने के प्रति प्रेरित कर रहे हैं। फोर्स स्थानीय गोंडी बोली के साथ हिंदी में ईवीएम व वीवीपैट के बारे में बता रहे हैं।

एसपी जितेन्द्र शुक्ल ने बताया कि जिले के आकाबेड़ा, ओरछा, धानौरा, धौड़ाई, छोटेडोंगर, बासिंग, फरसगांव, बेनूर, भाटपाल, कुकड़ाझोर, एड़का, कुरूषनार के थाना एवं पुलिस कैंप के अंतर्गत आने वाले गांवों में मतदाताओं को जागरूक करने की मुहिम चलाई जा रही है। लोगों को बिना डर के अधिक से अधिक मतदान करने के लिए आगे आने को कहा जा रहा है। एसपी ने बताया कि साप्ताहिक बाजारों में भी मतदान के महत्व, मतदान करने का तरीके तथा अपना वोट चेक करने के बारे में जानकारी दी जा रही है।


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