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सुरजेवाला ने कहा, भ्रष्टाचार के केस में रमन सिंह के खिलाफ जांच हो

सुरजेवाला ने कहा कि छत्तीसगढ़ में एंटी इनकबेंसी प्रमुख तथ्य है।

By Sandeep ChoureyEdited By: Published: Wed, 31 Oct 2018 04:45 PM (IST)Updated: Wed, 31 Oct 2018 04:45 PM (IST)
सुरजेवाला ने कहा, भ्रष्टाचार के केस में रमन सिंह के खिलाफ जांच हो
सुरजेवाला ने कहा, भ्रष्टाचार के केस में रमन सिंह के खिलाफ जांच हो

जगदलपुर। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता व मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि कांग्रेस का काम भाजपा के भ्रष्टाचार को उजागर करना है और इस बात से भ्रष्टाचार का मामला तो उठा। पनामा पेपर्स मामले सहित चिटफंड और राशन कार्ड घोटाले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और उनके पुत्र पर लगे आरोपों की कम से कम जांच तो हो। बुधवार को जगदलपुर में आयोजित पत्रवार्ता में कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया पैनलिस्ट जयवीर शेरगिल भी मौजूद थे।

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सुरजेवाला ने कहा कि छत्तीसगढ़ में एंटी इनकबेंसी प्रमुख तथ्य है। इसके साथ ही यह चुनाव कांग्रेस विपक्ष में रहते हुए अपने परफारमेंस और भाजपा की दमनकारी नीतियों के दम पर जीतने जा रही है। पिछले 15 सालों से भाजपा सरकार ने बस्तरवासियों के दमन, उत्पीड़न व अधिकारों के हनन की क्रूर कहानी लिखी है।

प्रदेश की एक तिहाई जनता आदिवासी है पर भाजपा सरकार ने बस्तरवासियों के अधिकार छीनने और पूंजीपति मित्रों को सौंपने के अलावा कुछ नहीं किया। कांग्रेस द्वारा बनाए गए वन अधिकार कानून के तहत राज्य के आदिवासियों ने फरवरी 2017 तक 8,43,539 आवेदन व्यक्तिगत पट्टों के लिए दिए परंतु रमन सरकार ने 56 प्रतिशत वन पट्टे यानि 4,69821 पट्टे सिरे से ही खारिज कर दिए।

वनोपज का समर्थन मूल्य घटा दिया। सुरजेवाला ने कहा कि हद तो तब हो गई जब संविधान व कानून में दिए आदिवासियों की जमीन की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध को खत्म करने के लिए रमन सरकार ने छत्तीसगढ़ लैंड रेवेन्यू (संसोधन कानून) 2017 जबरन विधानसभा में पारित कर दिया।

कांग्रेस के विरोध के बाद राज्यपाल ने इस कानून को संविधान संगत न होने की वजह से सरकार को पुनर्विचार के लिए वापस लौटा दिया। विगत 15 वर्षों में राज्य में 90 हजार एकड़ से अधिक भूमि किसानों से छीन कर उद्योगपतियों को अंतरित की है जिसमें से अधिकांश जमीन का इस्तेमाल भी नहीं हुआ है।

केन्द्र की मोदी सरकार का आदिवासी विरोधी रवैया तो और ज्यादा मुखर है। मोदी सरकार ने आदिवासी कल्याण की 307 योजनाओं को घटाकर 261 कर दिया। साल 2017-18 में आदिवासी कल्याण के लिए बजट में 31,920 करोड़ रुपए आबंटित किए गए परंतु खर्च किए गए मात्र 18,073 करोड़।

यह भाजपा की आदिवासी विरोधी मानसिकता का जीता जागता सबूत है। छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार की नाकामी की हालत तो यह है कि 15 साल के भाजपाई शासन के बाद बस्तर में मूलभूत अस्पताल सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। यहां से आज भी मरीज रिफर किए जा रहे हैं।


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