नक्सलगढ़ में बढ़ रही लोकतंत्र में आस्था, देश के कई शहरों जितना पहुंचा मत-प्रतिशत
नक्सल हिंसा के लिए कुख्यात बस्तर संभाग में लोगों की लोकतंत्र के प्रति आस्था बढ़ी है। यही वजह है कि लोकतंत्र के सबसे बड़े त्योहार चुनाव में बड़ी संख्या में लोग शामिल हो रहे हैं।
रायपुर [संजीत कुमार]। नक्सल हिंसा के लिए कुख्यात बस्तर संभाग में लोगों की लोकतंत्र के प्रति आस्था बढ़ी है। यही वजह है कि लोकतंत्र के सबसे बड़े त्योहार चुनाव में बड़ी संख्या में लोग शामिल हो रहे हैं। नक्सली हिंसा और धमकी के बीच संभाग की 12 में से कई सीटों पर 84 फीसद तक मतदान हो रहा है, जबकि राज्य बनने से पहले (1998) में वहां अधिकतम 53 फीसद तक ही मत पड़ते थे। तब यहां अधिकांश सीटों पर मतदान का प्रतिशत 50 से नीचे ही था।
नक्सलियों की तथाकथित राजधानी में भी लहर
नक्सलियों की तथाकथित राजधानी अबुझमाड़ के दायरे में तीन विधानसभा क्षेत्र दंतेवाड़ा, बीजापुर व नारायणपुर आते हैं। एक मात्र बीजापुर में अभी मतदान 50 फीसद से नीचे हैं, वरना बाकी दोनों सीटों पर 60 से 70 फीसद तक मतदान हो रहा है। बीजापुर में 243 मतदान केंद्र बनाये गये थे, इसमें से एक भी मतदान केंद्र सामान्य नहीं था। 104 मतदान केंद्र अति संवेदनशील तो 139 संवेदनशील की श्रेणी में रखे गए थे।
कोंटा भी बदल रहा रंग
कोंटा विधानसभा क्षेत्र आंध्र और तेलंगाना की सीमा से लगा हुआ है। यहां भी फिलहाल मतदान का प्रतिशत 50 से नीचे हैं। हालांकि 2003 में हुए पहले चुनाव में वहां 52 फीसद मतदान हुआ था। 2008 में यह आंकड़ा करीब 44 फीसद पर आ गया। 2013 में फिर 48 फीसद तक पहुंचा है।
शांतिपूर्ण मतदान बड़ी चुनौती
छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के बाद अब तक तीन विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इसमें 2003 और 2008 में विधानसभा चुनाव में करीब 15 जवानों ने अपनी शहादत दी है। वहीं, 2013 के चुनाव में भी दो से अधिक जवान शहीद हुए थे। सबसे ज्यादा हिंसा पहले विधानसभा चुनाव में हुई। हालांकि मुठभेड़ कम हुई, लेकिन 73 स्थानों पर नक्सलियों ने ईवीएम लूट लिए थे। वहीं, 2008 के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा 48 मुठभेड़ें हुई थीं।
यह रही 2013 की स्थिति
अंतागढ़ विधानसभा क्षेत्र के दो मतदान केंद्रों छोटे पखांजूर और सीतरम में दोबारा मतदान करना पड़ा। दंतेवाड़ा के कटेकल्याण क्षेत्र में नक्सलियों ने पुलिस दल पर गोलीबारी की इसमें एक जवान शहीद हो गया। वहीं, पुलिस ने विभिन्न मतदान केंद्रों के आसपास से भारी मात्रा में गोला-बारूद भी बरामद किया था।
50 हजार से अधिक फोर्स, फिर भी अतिरिक्त तैनाती
बस्तर में इस वक्त केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल समेत करीब 50 हजार से अधिक जवान तैनात हैं। इसके बावजूद चुनाव के मद्देनजर सात हजार अतिरिक्त बल तैनात करने की मांग की गई है। 2013 के चुनाव में 350 से अधिक सुरक्षाबलों की अतिरिक्त कंपनियां तैनात की गई थी।