विस्फोट से चुनाव बाधित करना चाहते हैं नक्सली
बस्तर में चुनाव के दौरान हर बार नक्सली कुछ न कुछ ऐसा करते हैं जिससे देश-दुनिया का ध्यान उनकी ओर जाए।
रायपुर, नईदुनिया राज्य ब्यूरो। बस्तर में चुनाव के दौरान हर बार नक्सली कुछ न कुछ ऐसा करते हैं जिससे देश-दुनिया का ध्यान उनकी ओर जाए। शनिवार को बीजापुर जिले के बासागुड़ा इलाके में हुई वारदात उनकी इसी रणनीति का नतीजा है। नक्सली अपने इलाके में लोकतंत्र की हत्या करने पर आमादा हैं। विस्फोट कर वे दहशत फैलना चाहते हैं ताकि चुनाव में विघ्न उत्पन्न् हो। उन्होंने चुनाव बहिष्कार का एलान कर सुरक्षा बलों और सरकार को सीधी चुनौती दे रखी है। उनकी चुनौती का जवाब देने के लिए फोर्स भी तैयार है। जवान बेधड़क उन इलाकों में गश्त कर रहे हैं जो नक्सलियों के आधार इलाके माने जाते हैं। छुपकर बैठे नक्सली हमेशा ताक में रहते हैं और उन्हें मौका मिल गया। जवान सतर्क न होते तो बासागुड़ा इलाके के मुरदंडा में हुई वारदात बड़ी हो सकती थी।
जवानों ने विस्फोट के बावजूद हौसला नहीं खोया। नुकसान सिर्फ विस्फोट से हुआ। इसके बाद जवानों ने नक्सलियों को हावी नहीं होने दिया और उन्हें खदेड़कर अपने साथियों को बचाया। संदेश साफ है, लोकतंत्र कायम रहेगा। भले ही जवानों को शहादत देनी पड़े, जन प्रतिनिधियों पर आंच नहीं आने दी जाएगी। लोकतंत्र का उत्सव उन जंगलों में भी मनाया जाएगा जहां नक्सली मांद में छुपे बैठे हैं। चुनाव के दौरान यह कोई पहली वारदात नहीं है। 1991 के लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सलियों ने नारायणपुर इलाके में एक बड़ी वारदात की थी। इवीएम मशीन छीनने, मतदान दलों पर गोलीबारी जैसी घटनाएं तो हर चुनाव में होती हैं। 2008 में मतदान दल को लेने बीजापुर जिले के पीडिया गांव में गए हेलीकॉप्टर पर नक्सलियों ने फायरिंग की। हेलीपैड मैदान में था और अगल- बगल पहाड़ियों पर उन्होंने मोर्चा ले रखा था। जैसे ही मतदान दल को लेकर हेलीकॉप्टर उड़ा फायरिंग होने लगी। एक गोली फ्लाइट इंजीनियर को लगी और कुछ हेलीकॉप्टर में धंस गईं।
पायलट ने इसके बावजूद हौसला नहीं खोया और लड़खड़ाते हेलीकॉप्टर को मतदान दल समेत सुरक्षित निकाल लाया। बस्तर में न हेलीकॉप्टर सुरक्षित हैं न पदयात्रा फिर भी सरकारी कर्मचारी सिर पर कफन बांध्ाकर लोकतंत्र की मशाल जलाने जंगल में जाते हैं। यह हमारे लोकतंत्र की ताकत है जिसे कोई हरा नहीं सकता। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले नक्सलियों ने दरभा इलाके के टाहकवाड़ा गांव में घात लगाकर फोर्स को एंबुश में फंसाया। गोलीबारी में 15 जवान और एक सिविलियन की मौत हुई थी। इससे पहले 2013 के विधानसभा चुनाव के पहले उन्होंने दरभा के ही झीरम घाट में कांग्रेस के काफिले पर हमला कर कांग्रेस के बड़े नेताओं की हत्या कर दी थी।
2013 में बीजापुर जिले के फरसेगढ़ इलाके के एक अंदरूनी मतदान केंद्र से लौट रही पोलिंग पार्टी जब जंगल निकलकर बस पर सवार हुई तो नक्सलियों ने ब्लास्ट कर दिया। छह कर्मचारी मारे गए। इसके बावजूद कर्मचारियों का हौसला नक्सली नहीं तोड़ पाए। घटनाओं को रोकने के उपाय भी किए जा रहे हैं। इस बार चुनाव से पहले फोर्स ने पांच क्विंटल से ज्यादा विस्फोटक बरामद किया है। जगह-जगह सर्चिंग हो रही है। नक्सली भी मारे जा रहे हैं। चुनाव है तो हिंसा होगी यह फोर्स के लोग भी जानते हैं।
सतर्क हैं नेता
अंदरूनी इलाकों में चुनाव का कोई माहौल नहीं है। नेता अंदर जा ही नहीं रहे हैं। बस्तर में चुनाव का पूरा माहौल सड़कों और पुलिस कैंपों के आसपास ही दिख रहा है। नक्सलियों ने भाजपा के लिए अंदर के रास्ते बंद कर दिए हैं। कांग्रेस और अन्य विपक्षियों को जन अदालत में लाने की बात कही है। ऐसे में प्रचार करने कौन जाएगा। नेता भले नहीं जा रहे हैं, सरकारी कर्मचारियों ने स्वीप कार्यक्रम के तहत मतदाता जागरूकता अभियान सुदूर नक्सल गांवों तक चलाया।
जवानों में आक्रोश
मुरदंडा कैंप से जवान रोड ओपनिंग के लिए निकले थे। कुल 45 जवान थे जिसमें पांच विस्फोट की चपेट में आए। एक घायल भी है। देर शाम तक एसपी मृत जवानों का नाम बताने की स्थिति में भी नहीं थे। शव नहीं निकाले जा सके थे। इन स्थितियों से इलाके के अन्य कैंपों में तैनात जवान बेहद आक्रोशित दिखे। एक जवान ने कहा-हम नेताओं की सहूलियत के लिए सड़कों को सुरक्षित कर रहे हैं। ताकि वे आ सकें। हम तो लड़ते रहेंगे लेकिन नेता और जनता क्या कर रही है।