इस सीट पर गजब संयोग, फिर दो दलबदलू नेता आमने-सामने
ये नेता एक बार फिर दल बदलकर भाजपा में चले गए हैं। कांग्रेस के लिए यह बड़ा झटका था।
रायपुर। पाली-तानाखार विधानसभा सीट का एक संयोग गजब है, यहां दलबदल करके आने वाले नेता राजनीति में सफल होते रहे हैं। पिछले दो चुनाव से यही एक सीट है, जहां दलबदलुओं के बीच मुकाबला देखने को मिलता है। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए नेता के मुकाबले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए नेता को चुनाव लड़ने का मौका मिला। दोनों प्रमुख दलों के पास दलबदलुओं को उतारने के सिवा कोई विकल्प भी नहीं रहता है।
भाजपा इस सीट पर लगातार हार रही थी। पार्टी को यह सीट निकालने के लिए कोई उपाय नहीं सूझा तो उसने कांग्रेस के तीन बार के विधायक रामदयाल उइके को अपने पाले में ले लिया और टिकट दे दिया। खास बात यह है कि उइके पहले भाजपा में ही थे। वे मरवाही सीट से भाजपा के विधायक थे।
छत्तीसगढ़ बना, तो उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के लिए मरवाही सीट छोड़ दी। इसके बाद 2003 में कांग्रेस ने उन्हें पाली-तानाखार से उतारा और वे चुनाव जीते भी। इसके बाद के दो चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की। पिछले चुनाव में भाजपा ने उइके को हराने के लिए एक दलबदलू का ही सहारा लिया।
भाजपा ने कांग्रेस ने श्यामलाल मरावी को तोड़ लाई और पाली-तानाखार के मैदान में उतार दिया। 2013 का यह चुनाव दो दलबदलुओं के बीच हुआ था। 90 में से सिर्फ यही एक सीट थी, जहां दो दलबदलू आमने-सामने थे। हालांकि, भाजपा से कांग्रेस में आए दलबदलू उइके इस बार भी सफल रहे थे।
संयोग यह है कि 2018 में भी इस सीट पर दो दलबदलुओं के बीच ही मुकाबला होने जा रहा है। उइके एक बार फिर दल बदलकर भाजपा में चले गए हैं। कांग्रेस के लिए यह बड़ा झटका था।
कांग्रेस ने प्रत्याशी तलाशा तो उसे भी उइके का मुकाबला करने के लिए दलबदलू ही मिला। अभी कांग्रेस ने मोहित केरकेट्टा को टिकट दिया है, वे पहले भाजपा में थे। फिर कांग्रेस में चले गए। कांग्रेस में उइके के रहते उन्हें भविष्य धुंधला दिखा तो वे जनता कांग्रेस में चले गए थे। जब उइके कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए तो दो दिन बाद ही केरकेट्टा वापस कांग्रेस में लौट आए। अब पाली-तानाखार में दो दलबदलू आमने-सामने फिर से हैं।