रमन सिंह के बोनस का दांव भी पड़ा उलटा, नाराज किसान करेंगे पदयात्रा
रमन सिंह सरकार 21 सौ रुपये प्रति क्विंटल धान मूल्य व बोनस सरकार देने जा रही, लेकिन किसान संगठन खुश होने के बजाए नाराज हो गए हैं।
नईदुनिया (अनिल मिश्रा)। चुनावी वर्ष में किसानों को संतुष्ट करने के लिए रमन सरकार ने कैबिनेट बैठक बुलाकर आनन-फानन में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का फैसला लिया। मंशा स्पष्ट की कि किसानों को धान मूल्य के साथ बोनस देने के लिए अनुपूरक बजट होगा। सरकार ने दावा किया कि किसानों को उनकी मांग के अनुरूप 21 सौ रुपये प्रति क्विंटल धान मूल्य व बोनस सरकार देने जा रही, लेकिन यह दांव भी कारगर होता नहीं दिखा रहा। किसान संगठन खुश होने के बजाए नाराज हो गए हैं। इससे पहले शिक्षाकर्मियों के संविलियन के बाद शिक्षकों के एक खेमे व अन्य कर्मचारी संगठनों की मांगों के दबाव से जूझ रही सरकार को अब किसानों की मानमनौव्वल की भी नई तरकीब खोजनी होगी।
किसान संगठनों का कहना है कि चुनाव के दौरान बोनस देकर सरकार किसानों को फिर छलने जा रही है। छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के संयोजक राजकुमार गुप्त ने कहा, 'हमने धान का 21 सौ रुपये क्विंटल मूल्य नहीं मांगा था। सरकार ने अपने पिछले चुनावी घोषणा पत्र में खुद ही धान का दाम 21 सौ रुपये देने और प्रति वर्ष तीन सौ रुपये बोनस देने का वादा किया था। यह वादा पूरा नहीं किया। जब चुनाव नजदीक आ गए तो दो साल का बोनस थमा दिया। अब इस साल की धान खरीद में समर्थन मूल्य के साथ बोनस देने की तैयारी की जा रही है।'
दावा किया जा रहा है कि सरकार ने किसानों की मांग के अनुरूप धान का दाम 21 सौ रुपये कर दिया। समर्थन मूल्य में बोनस जोड़ देने से धान का दाम प्रति क्विंटल 2050 रुपये हो जाएगा। जबकि सरकार ने 21 सौ रुपये समर्थन मूल्य और तीन सौ रुपये बोनस यानी कुल 24 सौ रुपये प्रति क्विंटल देने का वादा खुद किया था।
किसानों का कहना है कि यह चुनावी शिगूफा है। राजकुमार गुप्त ने कहा है कि इससे पहले केंद्र सरकार ने धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1550 से बढ़ाकर 1750 किया और प्रचार किया कि हमने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने का चुनावी वादा पूरा कर दिया है। केंद्र के बाद अब राज्य सरकार प्रचार कर रही है कि धान का दाम 21 सौ करने का वादा पूरा कर दिया है। यह दावा फर्जी है। जो दाम मिलेगा वह सरकार के वादे से 350 रुपये कम है। किसान हमेशा एक ही मांग करते रहे हैं कि सरकार अपना चुनावी वादा पूरा करे। हमने यह नहीं कहा कि दाम 21 सौ कर दो।
बस्तर के किसान राजधानी तक करेंगे पदयात्रा
बस्तर में कर्ज के बोझ तले किसानों जगदलपुर से रायपुर तक किसान न्याय यात्रा निकालेंगे। पिछले दिनों बस्तर के किसानों ने इसके लिए कोरग्रुप का गठन किया और प्रशासन को चेतावनी भी दी थी। 10 सितंबर से किसान पदयात्रा पर रवाना होंगे। रास्ते में जितने भी गांव व कस्बे पड़ते हैं वहां से किसान इस पदयात्रा में जुड़ते चले जाएंगे। किसानों का कहना है कि हम कर्ज के बोझ तले दबते चले गए, जबकि हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। चुनावी साल में किसानों का यह प्रदर्शन सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द बन सकता है।