बस्तर के जंगलों में लोकतंत्र की जंग, गठजोड़ का जमेगा रंग
सत्तारुढ़ भाजपा को दो बार बस्तर संभाग से ही सत्ता की चाबी मिली है। पहले चुनाव में संभाग ने भाजपा को नौ सीट दी।
रायपुर। बस्तर संभाग की ज्यादातर सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होता रहा है। राज्य में अब तक हुए तीनों चुनाव में इन्हीं दोनों दलों के प्रत्याशी जीतते रहे हैं। इस बार जकांछ-बसपा-सीपीआइ गठबंधन संघर्ष को त्रिकोणीय करने की तैयारी में है। संभाग की कुछ सीटों पर सीपीआइ पहले भी दम दिखाती रही है। बसपा भी सभी 12 सीटों पर प्रत्याशी खड़ा करती रही है, हालांकि अभी तक कोई भी जमानत नहीं बचा पाया है। राजनीतिक विश्लेषकों की राय में इसके बावजूद तीनों की संयुक्त ताकत संघर्ष को त्रिकोणीय तो बना ही सकती है।
भाजपा को दो बार मिली सत्ता की चाबी
सत्तारुढ़ भाजपा को दो बार बस्तर संभाग से ही सत्ता की चाबी मिली है। पहले चुनाव में संभाग ने भाजपा को नौ सीट दी। 2008 में सीटों की संख्या बढ़कर 11 हो गई। पिछले चुनाव में बस्तर ने भाजपा का साथ छोड़ दिया। पार्टी 11 से सीधे चार पर आ गई।
झीरम की सहानुभूति
पिछली बार विधानसभा चुनाव के ठीक छह महीने पहले 25 मई को बस्तर की झीरमघाटी में नक्सलियों ने कांग्रेस के काफिले पर हमला किया। इस हमले में तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल और बस्तर टाइगर के नाम से प्रसिद्ध महेंद्र कर्मा समेत कई कांग्रेसी नेता मारे गए। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार वोटरों पर इसका असर पड़ा, इसी वजह से वहां कांग्रेस को बड़ी जीत मिली थी।
गठबंधन में सीपीआइ के खाते में दो सीट
अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ व बसपा गठबंधन में शामिल हुई सीपीआइ को कोंटा और दंतेवाड़ा सीट मिली है। मनीष कुंजाम सीपीआइ के सबसे दमदार प्रत्याशी माने जाते हैं। कुंजाम कोंटा सीट से चुनाव लड़ते हैं। राज्य बनने से पहले विधायक भी रहे हैं।
पिछले चुनाव में कुंजाम 19834 वोट लेकर तीसरे नंबर पर थे। इस सीट पर बीएसपी प्रत्याशी को 2579 वोट मिला था। यानी दोनों को मिलाकर 22413 वोट। मौजूदा विधायक कवासी लखमा को 27610 व दूसरे नंबर पर रहे भाजपा प्रत्याशी को 21824 मिला था।
हार-जीत का अंतर 5786 वोट का था। इसी तरह दंतेवाड़ा सीट सीपीआइ प्रत्याशी बोधराम 12954 वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहे। बीएसपी प्रत्याशी को यहां 3008 वोट मिला था। दोनों का संयुक्त वोट 15962। जबकि विजयी प्रत्याशी देवती कर्मा को मिले थे 41417 वोट, दूसरे नंबर पर रहे भाजपा प्रत्याशी को 35430 वोट मिले थे। हार-जीत का अंतर 5987 वोट का रहा था।
बस्तर संभाग
07 जिले
12 विधानसभा सीट
01 अनारक्षित
11 अनुसूचित जनजाति
08 पर कांग्रेस
04 पर भाजपा
वोट शेयर
वर्ष भाजपा कांग्रेस बसपा सपीआइ
2003 43.10 33.25 0.79 6.91
2008 42.26 31.73 5.59 5.96
2013 40.79 42.99 2.79 5.21
किसके हिस्से कितने वोट
वर्ष भाजपा कांग्रेस बसपा सीपीआइ कुल मतदान
2003 414827 320089 7680 66521 962392
2008 469524 351005 62103 66229 1110894
2013 526969 559468 36331 67895 1301245
सीटों का हाल
वर्ष भाजपा कांग्रेस
2003 09 03
2008 11 01
2013 04 08
वोट शेयर 2013 (आंकड़े%)
40.79 भाजपा
42.99 कांग्रेस
2.79 बसपा
5.21 सीपीआइ
बसपा-सीपीआइ का संयुक्त वोट
08% बस्तर संभाग
4.93% छत्तीसगढ़
अब तक के तीन चुनाव
भाजपा:
2003 में भाजपा 09 सीटों पर जीत थी।
2008 में पार्टी ने केवल पांच चेहरों को रिपीट किया, सात नए चेहरे उतारे।
परिणाम: पांचों पुराने समेत छह नए चेहरे जीत गए।
2013 में नौ चेहरों को रिपीट किया और तीन नए चेहरे उतारे।
परिणाम: नए चेहरे एक भी नहीं जीते, नौ पुराने में से भी केवल तीन ही जीत पाए।
केदार कश्यप लगातार तीसरी बार तथा महेश गागड़ा व संतोष बाफना दूसरी बार जीते।
कांग्रेस
2003 में कांग्रेस केवल तीन सीट जीत पाई थी।
2008 में तीनों विधायक के साथ केवल एक हारे हुए प्रत्याशी को मैदान में उतारा बाकी आठ नए चेहरे थे।
परिणाम: कवासी लखमा के अलावा बाकी सभी हार गए।
2013 इकलौते विधायक, 2008 में हारे तीन प्रत्याशी व 98 में विधायक रहे दो के साथ छह नए चेहरों को मैदान में उतारा।
परिणाम- लखमा, 2008 व 98 के दोनों पुराने चेहरे समेत आठ प्रत्याशी जीत गए।
कवासी लखमा एकमात्र विधायक हैं जो लगातार जीत रहे हैं। मंगतूराम पवार को पार्टी ने तीनों चुनाव के साथ एक उपचुनाव में भी प्रत्याशी बनाया, हर बार हार गए।