Chhattisgarh Chunav 2018: लोकतंत्र के रंग देख दुम दबाए रह गया नक्सल खौफ
Chhattisgarh Chunav 2018 नक्सल प्रभावित अनेक मतदान केंद्रों पर नक्सलियों की धमकी को दरकिनार करते हुए लोगों ने उत्साह से मतदान किया।
रायपुर, जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में पहले चरण के विधानसभा चुनाव में सोमवार को लोकतंत्र के रंग देख नक्सल खौफ दुम दबाए रह गया।
सुबह 11 बजे ही 87 फीसद वोट!
घोर नक्सल प्रभावित नारायणपुर के एक केंद्र में सुबह मतदाताओं में मतदान करने की होड़ लग गई। यहां के गोहड़ा मतदान केंद्र में सुबह 11 बजे तक 87 प्रतिशत मतदान हो गया। इसके बाद इस भवन में वीरानी छा गई। यह बताता है कि नक्सली धमकी के बाद भी मतदाताओं के उत्साह में कमी नहीं आयी।
पालम अडगु में पहली बार मतदान
सुकमा के पालम अडगु में 15 साल बाद पहली बार मतदान किया गया। यहां कभी मतदान केंद्र नहीं बनाया गया था और दूर के मतदान केंद्र तक नक्सली भय से मतदाता जाते नहीं थे। दोपहर तक वहां लगभग 44 मतदाता इवीएम का बटन दबा चुके थे।
12 किमी पैदल चल कर वोट देने आए
जगदलपुर विधानसभा के दरभा ब्लॉक के अतिसंवेदनशील क्षेत्र और एक समय के घोर नक्सल प्रभावित तुलसी डोंगरी के नजदीक बसे ग्राम एलेंग्गनार के मतदाता वोट डालने के लिए लगभग 12 किलोमीटर पैदल चल कर टाहकवाड़ा पोलिंग बूथ पर वोट डालने पहुँचे। इन्होंने कहा कि हमारे गांव में पानी ,बिजली और सड़क नहीं है, इसलिए वोट डालने जा रहे हैं। ज्ञात हो कि कभी इस इलाके में नक्सली बहुत ही ज्यादा सक्रिय हुआ थे। अब वहां पर सुरक्षा बलों का कैंप खुलने के बाद नक्सलियों का दबाव कम हो गया है। ज्यादातर मतदाताओं ने पहली बार वोट दिया।
कोंटा विधानसभा के किस्टाराम के पास सेंदूरगुड़ा में पिछली चुनाव में केवल पांच वोट पड़े थे, इस बार दोपहर दो बजे तक 315 मतदाता वोट डाल चुके थे।
नारायणपुर के अबूझमाड़ इलाके के एक बूथ में दोपहर 2 बजे तक 52 प्रतिशत मतदान हो चुका था। इस इलाके में केवल दो वोट पड़े थे पिछली बार। इस बार 35 ग्रामीणों ने दिखाया वोट देने का साहस।
0 इसी तरह नक्सलगढ़ के बूथ गोरखा में 144, गंचापली में 47 और कोलाइगुड़ा में 24 मत दोपहर तक पड़ चुके थे। जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में यहां एक भी वोट नहीं मिला था।
अमेरिका में भारतीय इंजीनियर ने डाला कांकेर में वोट
लोकतंत्र में मतदान की महत्ता को एक बार फिर साबित किया कांकेर निवासी अमेरिका में सॉफ्टवेयर इंजीनियर सुप्रजा मूर्ति ने। मूर्ति ने अमेरिका से कांकेर आकर अपनी बहन डॉ विजय लक्ष्मी के साथ मतदान किया और सेल्फी जोन में सेल्फी भी ली। इंजीनियर सुप्रजा मूर्ति ने कहा कि हमने विधानसभा चुनाव में मतदान कर अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का उपयोग किया है।
सिर्फ यहां रह गई कसक
दंतेवाड़ा के नीलावाया केंद्र को मादेंदा शिफ्ट किया गया। इस केंद्र में दोपहर एक बजे तक केवल पांच वोट पड़े थे। जबकि नीलावाया में 743 मतदाता हैं। नीलावाया में ही कुछ दिन पहले नक्सली फायरिंग में एक दूरदर्शन के कैमरामेन और तीन जवान शहीद हुए थे। इसके बाद और नक्सली फरमान के बाद केंद्र को नीलावाया शिफ्ट किया गया है।
और यह भी...
दोपहर दो बजे तक दंतेवाड़ा के हांदावाड़ा में नक्सलियों के भय से एक भी मतदाता नहीं पहुंचा था। प्रशासन दोपहर तक मतदाताओं को मतदान का महत्व समझाता रहा। इस केंद्र में करीब एक हजार मतदाता हैं।