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CG Election 2018 : नक्सल क्षेत्रों में बढ़ा हुआ वोट क्या गुल खिलाएगा

CG Election 2018 : छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में इस बार टूटा मतदान का रिकॉर्ड। इन बढ़े हुए वोटों को लेकर कांग्रेस-भाजपा दोनों का दावा है।

By Hemant UpadhyayEdited By: Published: Mon, 10 Dec 2018 06:02 PM (IST)Updated: Mon, 10 Dec 2018 06:02 PM (IST)
CG Election 2018 : नक्सल क्षेत्रों में बढ़ा हुआ वोट क्या गुल खिलाएगा
CG Election 2018 : नक्सल क्षेत्रों में बढ़ा हुआ वोट क्या गुल खिलाएगा

रायपुर। बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों में बढ़ा हुआ मतदान का प्रतिशत क्या गुल खिलाएगा इसे लेकर तमाम कयास लगाए जा रहे हैं। दरअसल इस बार कई मतदान केंद्रों में पहली बार आदिवासी वोट डालने आए। बस्तर की सर्वाधिक नक्सल प्रभावित बीजापुर और सुकमा जैसी सीटों पर बढ़ा हुआ मतदान प्रतिशत प्रत्याशियों के दिल की धड़कन बढ़ा रहा है।

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गणित लगाया जा रहा है कि जिन इलाकों में पहली बार आदिवासी वोटर निकले वहां किसके पक्ष में वोट पड़े होंगे। असल में क्या हुआ है यह तो मंगलवार को मतगणना के बाद ही पता चलेगा लेकिन इन बढ़े हुए वोटों को लेकर कांग्रेस-भाजपा दोनों का दावा है।

अति नक्सल प्रभावित बीजापुर सीट पर जहां प्रचार के लिए भी सड़क के अंदर के गांवों तक नेता नहीं पहुंचे वहां मतदान 2.41 फीसद बढ़ गया। इस बार बीजापुर में कुल 47.35 प्रतिशत मतदान हुआ है जबकि 2008 के चुनाव में यहां 44.94 फीसद वोटिंग हुई थी। यह बढ़ा हुआ वोट अंदरूनी इलाकों का है।

नारायणपुर में इस बार 74.40 फीसद वोटिंग हुई है। पिछली बार यहां 70.17 फीसद वोट पड़े थे। यानी इस बार नारायणपुर में 4.23 फीसद वोट ज्यादा पड़े हैं। यही हाल कोंटा का भी है। कोंटा सीट पर इस बार 55.30 फीसद वोटिंग हुई है जबकि पिछली बार 43.89 फीसद हुई थी। यानी यहां भी 6.94 फीसद वोट बढ़े हैं।

सुकमा जिले के अति नक्सल प्रभावित भेज्जी जैसे मतदान केंद्रों पर 12 नवंबर को वोटरों की लंबी लाइनें देखी गई थीं। ऐसे ही उत्तर छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल सरगुजा संभाग में भी कुछ सीटों पर वोटिंग बढ़ी है। मनेंद्रगढ़ में 1.7 फीसद, प्रेमनगर में 0.4 फीसद और कुछ अन्य सीटों पर भी वोटिंग में हुई वृद्धि राजनीतिक दलों के चिंता का सबब बनी हुई है।

दंतेवाड़ा के नीलावाया में मतदान से पहले नक्सलियों ने दूरदर्शन के कैमरामैन को मार दिया था वहां 19 मतदाता निकले। इस मतदान केंद्र को कुछ दूर मारेंगा में शिफ्ट किया गया था। इलाके के अन्य केंद्रों में भी वोटिंग हुई। कोंटा के धुर नक्सल प्रभावित चिंतागुफा में 68 फीसद वोटिंग हुई। किस्टारम, भेज्जी, गगनपल्ली, कलनार, गोलापल्ली आदि नक्सल इलाकों में जहां पिछली बार एक भी वोट नहीं पड़ा था वहीं इस बार जमकर मतदान हुआ है।

दंतेवाड़ा के छोटेकरका और चेरपाल से इंद्रावती नदी पार कर मुचनार पहुंचे मतदाता। नक्सली धमकी के बावजूद छोटेकरका में 63.3 प्रतिशत और चेरपाल में 32 फीसद मतदान हुआ। इसी घाट पर पिछले चुनाव के दौरान नक्सलियों ने नाव डुबा दी थी। नारायणपुर के गोहड़ा मतदान केंद्र में सुबह 11 बजे तक 87 फीसद वोटिंग हो गई थी। दंतेवाड़ा के भैरबंद केंद्र में 12 बजे तक 87 फीसद वोट पड़ चुके थे। दंतेवाड़ा के ही मांझीपदर में दोपहर तक 63 प्रतिशत मतदान हुआ था।

दावा तो सब कर रहे हैं

नक्सल प्रभावित इलाकों में चुनाव बहिष्कार का एलान किया गया था लेकिन इसका कोई असर नहीं दिखा। भाजपा के नेता मानते हैं कि वोट बढ़ने का हमेशा ही भाजपा को फायदा होता है जबकि कांग्रेसी कह रहे कि आदिवासी तो कांग्रेस के पक्ष में आ गए हैं। यही वजह है कि वोट बढ़ा है।

जोगी और बसपा भी इन वोटों पर दावा करने से पीछे नहीं है। कोंटा सीट पर अंदरूनी इलाकों में बढ़े मतदान को जोगी गठबंधन में शामिल सीपीआई अपना मान रही है। अबूझमाड़ के जंगलों में हुई वोटिंग को भाजपा विकास से जोड़कर देख रही है। नक्सल इलाकों में बढ़ा वोट क्या गुल खिलाएगा इसे जानने के लिए अब एक दिन का इंतजार और है।


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