CG Election 2018: अफसरों का चुनावी रथ औंधे मुंह गिरा
OP choudhary प्रदेश की 90 विधानसभा सीट में से आठ विधानसभा में पूर्व अफसर ताल ठोंक रहे थे
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में सबसे दिलचस्प मुकाबला पूर्व अफसरों और खाटी नेताओं के बीच देखने को मिला। प्रदेश की 90 विधानसभा सीट में से आठ विधानसभा में पूर्व अफसर ताल ठोंक रहे थे, जिसमें से पांच को हार का सामना करना पड़ा। प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीट में से एक खरसिया में पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी ने युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उमेश पटेल को कड़ी टक्कर दी, लेकिन ओपी हार गये।
हालांकि ओपी की टक्कर में उमेश की जीत का अंतर जरूर कम हो गया। रिटायर्ड आईएएस शिशुपाल सोरी कांग्रेस की टिकट पर कांकेर से मैदान में थे। उन्होंने भाजपा के हीरा मरकाम को करीब 13 हजार मतों से परास्त किया। कांग्रेस ने यहां वर्तमान विधायक शंकर धु्रर्वा का टिकट काटकर शिशुपाल को उम्मीदवार बनाया था।
सीतापुर से भाजपा ने प्रो गोपालराम भगत को मैदान में उतारा था, जिनको अमरजीत भगत करारी शिकस्त देते हुए चौथी बार जीत दर्ज की है। अंतागढ़ से कांग्रेस के अनूप नाग ने जीत दर्ज की। अनूप पुलिस अधिकारी रह चुके हैं।
प्रदेश की हाईप्रोफाइल कोटा विधानसभा में पूर्व डीएसपी विभोर सिंह को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया था। यहां से रेणु जोगी लगातार चुनाव जीत रही थी, लेकिन अजीत जोगी के अलग पार्टी बनाने के बाद कांग्रेस ने रेणु को टिकट नहीं दिया। यहां विभोर का हार का सामना करना पड़ा।
शिक्षाकर्मी आंदोलन के अगुवा चंद्रदेव राय को कांग्रेस ने बिलाईगढ़, तो शिक्षक टेसू धुरंधर को भाजपा ने बलौदाबाजार से उम्मीदवार बनाया है। बिलाईगढ़ में चंद्रदेव राय ने जीत दर्ज की है। वहीं धुरंधर को हार का सामना करना पड़ा।
आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार कोमल हुपेंडी राज्य सेवा की नौकरी छोड़कर चुनाव मैदान में उतरे थे। हुपेंडी भानुप्रतापपुर विधानसभा से करारी हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में कई असफर और उनकी पत्नी चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंची थी। इसमें विधायक आरके राय और सांवलाराम डाहिरे को हार का सामना करना पड़ा।