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CG Chunav 2018: तीसरी ताकत का कितना होगा प्रभाव, बसपा के अलावा अन्य सभी दल बेअसर

Chhattisgarh Chunav 2018 कुल मतदान का औसतन 80 फीसद हिस्सा भाजपा और कांग्रेस की झोली में जाता रहा है।

By Rahul.vavikarEdited By: Published: Sat, 08 Dec 2018 11:37 PM (IST)Updated: Sun, 09 Dec 2018 07:44 AM (IST)
CG Chunav 2018: तीसरी ताकत का कितना होगा प्रभाव, बसपा के अलावा अन्य सभी दल बेअसर
CG Chunav 2018: तीसरी ताकत का कितना होगा प्रभाव, बसपा के अलावा अन्य सभी दल बेअसर

रायपुर, नईदुनिया, राज्य ब्यूरो। छत्तीसगढ़ में तीसरी शक्ति का दंभ भरने वाली राजनीतिक पार्टियां इस बार खेल करेंगी या फिर उन्हीं का खेल हो जाएगा। इसका कारण यह है कि अब तक हुए विधानसभा चुनाव में कुल मतदान का औसतन 80 फीसद हिस्सा भाजपा और कांग्रेस की झोली में जाता रहा है।

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इन राष्ट्रीय दलों का हिस्सा बढ़ा है और बाकी दलों का मतदान प्रतिशत लगातार कम हुआ है। केवल बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ही है, जो एक-दो सीट जीतकर आती रही है। 11 दिसंबर को चौथे विधानसभा चुनाव के आने वाले नतीजे से यह साफ होगा कि प्रदेश में अबकी कोई राजनीतिक दल तीसरी शक्ति बन पाया भी या नहीं? मतलब साफ है कि यह चुनावी परिणाम कई क्षेत्रीय और छोटे दलों का भविष्य तय करेगा।

राज्य बनने के बाद अब तक चार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। पिछले तीन चुनावों में भले ही तीसरी शक्ति के दावे होते रहे, लेकिन भाजपा और कांग्रेस के बीच ही सीधा मुकाबला रहा। राज्य बनने के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से अलग हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल और उनके समर्थकों ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का झंडा थाम लिया। उन्होंने तीसरी शक्ति होने का दावा किया और सात फीसद वोट हासिल करके तीसरी शक्ति बने भी थे। एक सीट पर कब्जा भी हुआ। उसके बाद राकांपा प्रदेश में एक तरह से गर्त में चली गई।

2009 में भाजपा से निष्कासित पूर्व सांसद व विधायक ताराचंद साहू ने छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच बनाया था। उन्होंने तीसरी शक्ति बनने का दावा किया था, लेकिन अगला विधानसभा चुनाव आने से पहले उनका निधन हो गया। उनके पुत्र ने ही भाजपा का दामन थाम लिया था। पार्टी का विखंडन होता गया। 2018 के चुनाव के लिए कांग्रेस से निष्कासित पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ बनाया। पार्टी को तीसरी शक्ति बनाने के लिए बसपा और सीपीआइ से गठबंधन भी किया। चौथे विधानसभा चुनाव का नतीजा आने को है।

केवल बसपा जीती, लेकिन असर सीमित

राष्ट्रीय दलों में भाजपा व कांग्रेस के बाद बसपा ही एकमात्र पार्टी है, जिसके विधायक हर बार सदन में रहते हैं। 2003 व 2008 में पार्टी के दो- दो विधायक चुने गए। 2013 में एक विधायक चुना गया। बसपा लगभग सभी 90 सीटों पर प्रत्याशी खड़ी करती है, इसके बावजूद उसका असर सीमित है।

छत्तीसगढ़ के नाम पर राजनीति करने वाले विफल

छत्तीसगढ़ व स्थानीय के नाम पर राजनीति करने वाली पार्टियां भी अब तक के चुनावों में कोई खास असर नहीं डाल पाई हैं। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा), छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (छमुमो) और छत्तीसगढ़ समाज पार्टी (छसपा) के कई प्रत्याशी चुनाव लड़ते हैं, लेकिन उनकी जमानत भी नहीं बच पाती है।

राज्य में चुनाव लड़ने वाले दलों की स्थिति

राष्ट्रीय दल क्षेत्रीय दल गैर मान्यता प्राप्त निर्दलीय नोटा

वर्ष संख्या वोट संख्या वोट संख्या वोट संख्या वोट वोट

2003 06 88.80 05 1.30 17 2.78 254 7.12 --

2008 07 86.97 05 1.32 28 3.24 386 8.47 --

2013 06 86.64 05 0.98 34 3.98 355 5.33 3.07

राष्ट्रीय दलों की स्थिति

पार्टी 2003 2008 2013

भाजपा 39.26 40.33 41.04

कांग्रेस 36.71 38.63 40.29

बीएसपी 4.45 6.11 4.27

एनसीपी 7.02 0.52 0.30

सीपीआई 1.08 1.12 0.66

सीपीएम 0.29 0.24 0.08

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