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छत्‍तीसगढ़ में चुनाव में खप जाएगी सरकारी कर्मचारियों की दिवाली

सबसे ज्यादा दिक्कत में वे सरकारी कर्मचारी हैं जिनकी चुनाव में ड्यूटी लगने जा रही है।

By Hemant UpadhyayEdited By: Published: Tue, 30 Oct 2018 09:18 PM (IST)Updated: Tue, 30 Oct 2018 09:18 PM (IST)
छत्‍तीसगढ़ में चुनाव में खप जाएगी सरकारी कर्मचारियों की दिवाली
छत्‍तीसगढ़ में चुनाव में खप जाएगी सरकारी कर्मचारियों की दिवाली

रायपुर। छत्तीसगढ़ में पहले चरण का मतदान 12 नवंबर को है और सात नवंबर को हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार दीपावली है। चुनाव के दौरान दिवाली के उत्सव में विघ्न पड़ना ही है।

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नेता त्योहार छोड़कर वोटरों के घर-घर घूमेंगे, व्यापारी अपनी दुकानों में व्यस्तता के बीच उम्मीदवारों और उनके समर्थकों की भी सुनेंगे, लेकिन सबसे ज्यादा दिक्कत में वे सरकारी कर्मचारी हैं जिनकी चुनाव में ड्यूटी लगने जा रही है।

चुनाव ड्यूटी के लिए मतदान दलों की ट्रेनिंग का शेड्यूल ऐसा है कि कर्मचारियों के पास घर-परिवार के लिए वक्त नहीं मिल पाएगा। मतदान दलों की ट्रेनिंग के लिए नियुक्त एक मास्टर ट्रेनर ने कहा-मैं तो बच्चों के लिए कपड़ा खरीदने भी नहीं जा पा रहा हूं।

दिवाली के दूसरे दिन अंतिम ट्रेनिंग है। यानी त्योहार के बाद भी आराम नहीं मिलने वाला है। बस्तर में मतदान दलों की एक ट्रेनिंग आज यानी 31 अक्टूबर को है। यह तीसरी ट्रेनिंग है। इससे पहले दो बार की ट्रेनिंग हो चुकी है। इसके बाद तीन और चार नवंबर को ट्रेनिंग है।

तीन नवंबर को ट्रेनिंग स्थल पर ही कर्मचारियों के लिए मतदान केंद्र का गठन किया जाएगा। वहीं डाक मतपत्र दिए जाएंगे और मौके पर ही वोटिंग हो जाएगी। चार नवंबर को धनतेरस के दिन भी ट्रेनिंग होगी। इसके बाद दो दिन दिवाली के लिए अवसर मिलेगा। दिवाली के अगले दिन यानी आठ नवंबर को अंतिम ट्रेनिंग होगी। इस दिन मतदान दलों का गठन किया जाएगा और पीठासीन अधिकारियों से मतदान अधिकारी नंबर एक-दो और तीन की मुलाकात कराई जाएगी।

बस्तर के लिए खास तैयारी
बस्तर के अंदरूनी इलाकों में मतदान दलों को पैदल भी जाना होता है। पैदल जाने वाले मतदान दल एक-दो रोज पहले रवाना होते हैं। इसका मतलब यह है कि 10 या 11 नवंबर को मतदान दलों की रवानगी हो जाएगी। बस्तर में बढ़ी नक्सल घटनाओं ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। कर्मचारी मानसिक रूप से तैयार हो रहे हैं। बीजापुर जिले के एक शिक्षक ने कहा-हम तो हर बार अंदर जाते हैं। जो होना है वह तो होगा ही लेकिन लोकतंत्र को बचाए रखना है।


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