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CG Election 2018 : मतगणना से पहले एक्जिट पोल ने बढ़ाई टेंशन

chhattisgarh exit poll 18 वर्ष के छत्तीसगढ़ में यह विधानसभा का चौथा चुनाव है। लगातार तीन चुनाव जीतकर 18 में से 15 वर्ष भाजपा सत्ता में रही है।

By Sandeep ChoureyEdited By: Published: Sat, 08 Dec 2018 12:22 PM (IST)Updated: Sat, 08 Dec 2018 12:22 PM (IST)
CG Election 2018 : मतगणना से पहले एक्जिट पोल ने बढ़ाई टेंशन
CG Election 2018 : मतगणना से पहले एक्जिट पोल ने बढ़ाई टेंशन

रायपुर। छत्तीसगढ़ में मतगणना की उल्टी गिनती शुरू हो गई है और प्रत्याशियों की धड़कनें तेज हो गईं हैं। महज तीन दिन बाद 11 दिसंबर को मतगणना होनी है। जैसे-जैसे तारीख नजदीक आ रही है नेताओं की बेचैनी भी बढ़ती जा रही है। रही-सही कसर शुक्रवार को टीवी चैनलों पर चले एग्जिट पोल ने पूरी कर दी।

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दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के उम्मीदवार सबसे ज्यादा परेशान हैं। भले ही सार्वजनिक स्थानों पर भले ही वे इसे जाहिर नहीं कर रहे लेकिन कई की भूख-प्यास मिट गई है। ज्यादातर सो नहीं पा रहे हैं तो कई चिड़चिड़े हो गए हैं बात-बात पर गुस्सा हो जा रहे हैं।

18 वर्ष के छत्तीसगढ़ में यह विधानसभा का चौथा चुनाव है। लगातार तीन चुनाव जीतकर 18 में से 15 वर्ष भाजपा सत्ता में रही है। पार्टी को मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के चेहरे और अपने विकास कार्यों पर बहुत भरोसा है। लेकिन को एंटी इंकम्बेंसी का डर भी सता रहा है।

परिवर्तन की उम्मीद के साथ कांग्रेस को इस बार वनवास खत्म होने संभावना नजर आ रही है। हालांकि उन्हें भी डर है कि कहीं 2013 की तरह ऐन वक्त पर खेल बदल न जाए। राजनीतिक दलों की ऊहापोह की सबसे बड़ी वजह जनता की खामोशी है। पूरे चुनाव के दौरान किसी भी पार्टी को वोटरों का स्र्ख समझ नहीं आया।

चिंता में छोटे दलों के प्रत्याशी भी

बड़े राजनीतिक दल ही नहीं छोटी पार्टियों और निर्दलियों की भी चिंता बढ़ी हुई है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि राज्य में भाजपा और कांग्रेस के अलावा दूसरी राजनीतिक पार्टियों के ज्यादातर प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा पाते हैं। हालांकि इन सबके भी कुछ निर्दलीय चुनाव परिणाम से बेपरवाह अपने दिनचर्या में व्यस्त हो गए हैं। इनमें ज्यादातर वे हैं जिन्होंने नामांकन फार्म तो भरा था, लेकिन न प्रचार करने निकले और नहीं उनकी चुनाव जीतने में कोई स्र्चि है।

बदला हुआ है व्यवहार

छत्तीसगढ़ में दो चरणों में मतदान हुआ है। दूसरे अंतिम चरण का मतदान करीब 18 दिन पहले 20 नवंबर को हुआ। ऐसे में प्रत्याशी मतदान के एक-दो दिन बाद रिलेक्स हो गए थे, लेकिन अब फिर उनका चिंता बढ़ गई है। प्रत्याशियों के नजदीकी और पार्टी सूत्रों के अनुसार टेंशन में कई उम्मीदवारों को व्यवहार बदला हुआ है। उनकी यह स्थिति चुनाव परिणाम आने तक बनी रहेगी।


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